मोदी से आई.एस.आई.एस. का मसला अन्र्तराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष रखने का आग्रह

dargaah deewanअजमेर 2 जुलाई। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिष्ती के वंषज एवं अजमेर दरगाह के अध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जेनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि आई.एस.आई.एस. के भेस मे यह कैसा मुसलमान है जो बेगुनाहों का कत्ल करके इस्लाम को बदनाम करने की मुहिम चला रहा है। इस आंतकी संगठन के वैष्विक स्तर पर बढ़ते दायरे को समेटने के लिय विष्व स्तरीय संयुक्त फौज की स्थापना की आवष्यकता है। मुस्लिम धर्म प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस मसले को अन्र्तराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष रखने का आग्रह किया।
उन्होने शनिवार को तुर्की के शहर इस्तांबुल में आतंकी संगठन आई.एस.आई.एस द्वारा किये गऐ आत्मघाती हमले के बाद जारी ब्यान में कहा कि इस्तांबुल में यह हमला ऐसे वक्त हुआ जब रमजान का महीना चल रहा है जो मुसलिम समुदाय के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है। लेकिन हमलावरों और उनके आकाओं ने रमजान का भी खयाल नहीं किया। पिछले दिनों अफगानिस्तान में तालिबान ने एक बार फिर कहर बरपाया। वह भी रमजान के महीने में हुआ। दरअसल, तालिबान तथा आइएस जैसे संगठन इस्लाम को सिर्फ अपनी गिरोहबंदी के लिए इस्तेमाल करते हैं।
उन्होने कहा कि इस्लाम के उसूलों और मुस्लिम समुदाय की मजहबी आस्थाओं से उनका कोई मेल नहीं है। सच तो यह है कि उनकी करतूतों ने सारी दुनिया में मुसलमानों को मुसीबत में ही डाला है। पर सवाल है कि हर अंतरराष्ट्रीय मंच से दोहराए जाते संकल्पों और तमाम सुरक्षा तैयारियों तथा रणनीतियों के बावजूद आतंकवाद फिर से सिर क्यों उठा लेता है ? इन्हे नेस्तनाबूद करना विश्व शांति की एक बड़ी चुनौती है जो केवल तभी संभव है जब तक अन्र्तराष्ट्रीय समुदाय एक जाजम पर आकर विष्व से आतंक के खात्मे के लिये सयुक्त फौज का गठन नही कर लेता है। भारत सरकार को इसमे पहल करनी चाहिये अैर प्रधानमंत्री को यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के समक्ष रखना चाहिये।
उन्होने कहा कि चिष्तिया सूफीमत के संस्थापक सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिष्ती ने कव्वाली को चिष्ती संप्रदाय से इसलिये जोड़ा था कि सभी समुदायों को इससे जोड़ा जाऐ कव्वाली अतीतकाल से ही असहिष्णुता और कट्टरता के खिलाफ जंग में नए विचारों का एक मंच रही है। आतंकी संगठन आई.एस.आई.एस. ने अपनी कट्टर सोच की परिणिती मे प्रख्यात सूफी कव्वाल अमजद साबरी को बुधवार को तालिबान उग्रवादियों ने कराची में गोली मार दी थी, जिससे साबरी की मौत हो गई इसीलिये अमजद साबरी की हत्या अभिव्यक्ति, धर्म एवं आस्था की मूलभूत स्वतंत्रता पर हमला है।
उन्होने बिती रात बंगलादेष की राजधानी ढ़ाका में हुऐ आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुऐ कहा की आतंकी संगठन कथित तौर पर मुसलमान होने का दावा करके गैर इस्लामी जेहाद की मुहीम चलाकर ऐसे पवित्र महीने मे एक के बाद एक अलग अलग देषों में आतंकी वारदाते अंजाम देकर बेगुनाहों को कत्ल कर रहे है यह कतई मुसलमान नही है इनका इस्लाम और इसके मौलिक सिद्धांतों से कोई वास्ता नहीं है यह सिर्फ और सिर्फ आतंकी है जिनका इन्सानियत से कोई वास्ता नहीं है।
धर्म प्रमुख ने तुर्की के शहर इस्तांबुल में आतंकी संगठन आई.एस.आई.एस द्वारा किये आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुऐ हमले मे मारे गऐ बेगुनाहों के लिये दुख का इजहार करते हुऐ शोकाकुल परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की और विष्व के राष्ट्राध्यक्षों से अपील की के दुख की इस घड़ी में तुर्की के साथ डटे रहे।

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