संसार का सिरमोर सिन्ध व महाराजा दाहरसेन पर संगोष्ठी
अजमेर 25 अगस्त। हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार में स्थित सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक पर जयन्ती के अवसर पर संगोष्ठी ‘‘संसार का सिरमौर सिन्ध व महाराजा दाहरसेन’’ विषय पर आयोजन की गयी। साथ साथ महाराजा दाहरसेन को श्रृद्धासुमन व हिंगलाज माता पूजाअर्चना आयोजित की गयी। जिसमें शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल, महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, उपमहापौर सम्पत सांखला, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चानी, मुख्य वक्ता सिन्धु शोधपीठ की निर्देशक प्रो. लक्ष्मी ठाकुर की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
मुख्य वक्ता लक्ष्मी ठाकुर ने कहा कि सिन्धु पीठ पर महाराजा दाहरसेन पर शोध किया जाये तो हमें बहुत जानकारियों प्राप्त होंगी। उन्होने दाहरसेन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपनी सभ्यता, संस्कृति के साथ राष्ट्र की रक्षा के लिये सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन उनकी पत्नि वीरांगना लाडी बाई तथा पुत्रियों राजकुमारी सूर्य कुमारी व परमाल ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। एक सम्पूर्ण परिवार का राष्ट्र की रक्षा के लिये अपनी कुर्बानी का ऐसा उदाहरण शायद इतिहास में अन्यत्र न मिले। उन्होने कहा कि शोधपीठ विद्यार्थीयों व बच्चों के लिये सहयोग देने के लिये तैयार है। चार स्कूली बच्चों को आर्थिक सहयोग भी दिया जा सकता है। रिसर्च के कामों में जनसहयोग अपेक्षित है।
इस अवसर पर देवनानी ने कहा कि महापुरूषों के जीवन पर जिस भी क्षेत्र में आदमी को काम करने का मौका मिले, उसे करना चाहिए। उन्होने कहा कि श्री ओंकारसिंह लखावत जी द्वारा महाराजा दाहरसेन व सम्राट पृथ्वीराज चौहान के स्मारक बनाकर सौगात दी है। मेरे शिक्षा विभाग के कार्यकाल में भी महापुरूषों के साथ महाराजा दाहरसेन का पाठ्यक्रम जोड़कर मुझे खुशी है।
कार्यक्रम में बोलते हुए श्रीमती अनिता भदेल ने कहा कि निश्चित रूप से संसार का सिरमोर सिंध रहा है और महाराजा दाहरसेन के जीवन से हमें प्रेरणा लेकर लोगों को प्रेरित करना चाहिए। उन्होने कहा कि सिंधु शोधपीठ से लोगों को जोड़कर सिन्धु संस्कृति व सभ्यता पर रिसर्च करवाना चाहिए।
इस अवसर पर महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, व नवलराय बच्चानी ने अपने विचार रखे। स्वागत भाषण उपमहापौर सम्पत सांखला ने दिया। मंच संचालन महेन्द्र तीर्थानी ने किया। आभार प्रस्तुत कंवल प्रकाश किशनानी ने किया। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान गाया गया। पुजा अर्चना ताराचन्द राजपुरोहित व लक्ष्मणदास दौलतानी ने की। इस अवसर पर सीताराम शर्मा, महेश लखन, नवीन सोगानी, मनोज जोशी, रणधीर कच्छावा, गिरधर तेजवानी, धर्मू पारवानी, अरविन्द पारीक, मोहन कोटवानी, भगवान पुरसवानी, गुल छतानी, कमलेश शर्मा, ओम प्रकाश चौहान आदि उपस्थित थे।
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