पश्चिम क्षेत्रीय कुलपति सम्मेलन का आयोजन

img_4911महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर एवं भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय में दिनांक 7 अक्टूबर को पश्चिम क्षेत्रीय कुलपति सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य विषय भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् से उच्च शिखा का उद्भव था। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य के मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया थे। मुख्य वक्ता के रूप में आई.सी.एस.एस.आर., नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रोफेसर सुखदेव थोरोट थे। विशिष्ट अतिथि भारतीय विश्वविद्यालय संघ के संयुक्त सचिव प्रो. फुरकान कमर थे। सत्र की अध्यक्षता ए.आई.यू. के अध्यक्ष प्रो. डी.एस. चौहान ने की। स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने दिया। उन्होंने उच्च शिक्षा की आलोचना का खंडन करते हुए कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता का ही परिणाम है कि हमारे देश ने इतनी प्रगति की। उन्होंने सरकार के हस्तक्षेप से विश्वविद्यालयों में घटती स्वायत्ता पर चिन्ता जताई। साथ ही उन्होंने शैक्षणिक वातावरण एवं परीक्षा प्रणाली में सुधार के सुझाव दिए। उन्होंने शोध की गुणवत्ता पर भी जोर दिया। प्रो. फुरकान कमर ने बताया कि भारतीय विश्वविद्यालय संघ में 831 विश्वविद्यालय सदस्य के रूप में हैं। पूरे देश में विश्वविद्यालय की संख्या तो बढ़ी परन्तु शिक्षा की गुणवत्ता घटी है। उन्होंने अपने उद्बोधन में महिला शिक्षा पर जोर दिया तथा कहा कि समाज की अपेक्षाओं पर शिक्षकों को खरा उतरना अत्यन्त आवश्यक है। मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुखदेव थोरोट ने उच्च शिक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए। शिक्षा से मानवता, ज्ञान, दक्षता एवं रोजगार पाना सरल हो जाता है। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया ने सदन से प्रश्न किया कि ‘‘क्या आप (उच्च शिक्षा की इस व्यवस्था से) खुश हैं? उच्च शिक्षा की समस्याएं आप जानते हैं इसलिए इनके हल भी आप इन दो दिनों में ढूंढ पाएंगे। अध्यक्षीय उद्बोधन में ए.आई.यू. अध्यक्ष प्रो. डी.एस. चौहान ने विश्वविद्यालय के समक्ष चुनौतियाँ एवं उनके समाधान पर चर्चा की। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा युनिवर्सिटी न्यूज शोध पत्रिका के विशेष अंक का विमोचन किया गया। धन्यवाद प्रस्ताव नोडल अधिकारी प्रो. बी.पी. सारस्वत ने दिया। तत्पश्चात् प्रथम सत्र ‘‘सुशासन एवं प्रशासन’’ हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.पी. सिंघल ने की। इसमें चार वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए- प्रो. बी.पी. शर्मा, प्रो. जी.सोरल, प्रो. रमेश कासेटवार एवं प्रो. एम.एस.शर्मा। द्वितीय सत्र का विषय था पाठ्यक्रम जिसकी अध्यक्षता महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. चन्द्रकला पांडिया ने की। इस सत्र में तीन वक्ता थे- प्रो. देवानन्द शिन्दे, प्रो. रंजीत गोस्वामी एवं प्रो. वी.के. शर्मा जिन्होंने विषय सम्बंधित अपने विचार व्यक्त किए।
तृतीय सत्र में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष प्रो. डी.एस. चौहान एवं संयुक्त सचिव प्रो. फुरकान कमर ने विश्वविद्यालयों की समस्याओं एवं हल संबंधित सुझाव पर चर्चा की।

प्रो. बी.पी. सारस्वत
नोडल अधिकारी
पश्चिम क्षेत्र कुलपति सम्मेलन

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