दमा के अटैक को रोकने के अपनाएं ‘स्मार्ट ’तरीके- डॉ. दाधीच

dr-pramod-dadhichअजमेर 26 अक्टूबर। मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के अस्थमा, टीबी व श्वास रोग विषेषज्ञ डॉ. प्रमोद दाधीच ने कहा कि अस्थमा के अटैक को रोकना है तो इन्हेल्ड थैरेपी का ‘स्मार्ट’ तरीका इस्तेमाल करना होगा।
डॉ दाधीच बुधवार को मित्तल हॉस्पिटल के सभागार में अस्थमा रोग विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। डॉ. दाधीच ने कहा कि अमूमन आमजन हृदय रोग (हार्ट अटैक) को लेकर ही गंभीर होता है । लोगों को ‘अस्थमा के अटैक’ के बारे में जानकारी का अभाव है, जबकि तेजी से होते पर्यावरण प्रदूषण, मौसमी बदलाव, असंतुलित खान-पान आदि के कारण लोग अनजाने ही दमा रोग के गिरफ्त में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जानकारी नहीं होने की वजह से वे सही तरीके से दवाइयां भी नहीं ले पा रहे हैं।
डॉ दाधीच ने भारत में तेजी से बढ़ते ‘अस्थमा अटैक’ को लेकर सभी को चिंता और चिंतन की आवष्यकता दर्षाई और इससे बचाव के लिए स्मार्ट तरीके अपनाए जाने के लिए पावर प्रजेंटेषन के जरिए विस्तार से बताया। डॉ. दाधीच ने कहा कि अस्थमा व सीओपीडी रोग मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण है। अस्थमा रोग से ग्रसित होने पर व्यक्ति सांस के द्वारा ली जाने वाली दवा (इन्हेल्ड थैरेपी) के बजाय गोली या सिरप लेता है। इससे थोड़ा आराम तो मिलता है पर बीमारी अन्दर ही अन्दर बढ़ती जाती है व विकराल रूप धारण करके मरीज को मृत्यु के द्वार पर ले जाती है। डॉ. दाधीच ने बताया कि एक सर्वे में पाया गया कि 83 प्रतिषत भारतीय आराम वाले इन्हेलर्स (रिलीवर) इस्तेमाल करते हैं व 89 प्रतिषत लोग स्टीरोइड्स का इस्तेमाल करते हैं जिससे उन्हें आराम तो मिलता है पर डाइबीटीज, हड्डियांे का कमजोर होना, फ्रेक्चर, मोटापा आदि दुष्प्रभाव भी होते हैं।
डॉ दाधीच ने बताया कि सिंगल मेंटेनेस एण्ड रिलीवर थैरेपी अर्थात सांस के द्वारा लेने वाली दवा में स्टीरोइड की मात्रा कम से कम हो व बीमारी की स्टेज के आधार पर दवा ली जाए तो निष्चित ही उसका लाभ रोगी को मिलता है। उन्होंने बताया कि नियमित रूप से दवा लेने पर अस्थमा के दौरे की संभावना 80 प्रतिषत घट जाती है। पर यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि तकलीफ होने पर शुरूआत में ही पुनः उसी दवा का इस्तेमाल करें जिसे आरंभ में लिया था। इससे शरीर में स्टीरोइड् द्वारा पड़ने वाले दुष्प्रभाव से बचाव होगा व अस्थमा काबू में रहेगा। स्मार्ट थैरेपी अस्थमा के दूरगामी परिणामों को रोकने में कारगर है।
अब भारत में उपलब्ध होने जा रही है डिजीटल एप-
डॉ दाधीच ने बताया कि फेफड़े की कार्यक्षमता को जांचने के लिए नई तरह की डिजीटल एप भी शीघ्र भारत में उपलब्ध होने जा रही है जिसके द्वारा अस्थमा के अटैक का पूर्वानुमान मरीज को मोबाइल पर ही चल जाएगा।
सेमिनार में मित्तल हॉस्पिटल के सीओओ डॉ. प्रवीण कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनोद विजयवर्गीय, क्वालिटी एंड ऑपरेषन हैड डॉ. दीपक अग्रवाल, वरिष्ठ अस्थिरोग विषेषज्ञ डॉ. नंदलाल झामरिया, डॉ बृजेष माथुर, डॉ मधु माथुर, डॉ प्रषांत शर्मा, डॉ. सिद्धार्थ वर्मा, डॉ प्रीतम कोठारी, डॉ. मंजू गुप्ता सहित अन्य चिकित्सक एवं अधिकारी उपस्थित थे।

सन्तोष गुप्ता/प्रबंधक जनसम्पर्क/9116049809

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