महर्षि दयानन्द का १३३ वाँ बलिदान समारोह का भव्य आयोजन प्रारम्भ

dsc02348दिनांक ३ नवंबर २०१६ वीरवार। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी महर्षि दयानन्द का १३३ वाँ बलिदान समारोह महर्षि की तपस्थली ऋषि-उद्यान, अजमेर की भव्य यज्ञशाला में उत्साहपूर्वक ‘ऋग्वेद पारपायण यज्ञ के आयोजन के साथ गत दिनांक ३१ अक्टूबर सोमवार को प्रयाज रूप से प्रारम्भ हो गया।Ó प्रात: सायं दो सत्रों में चलने वाले इस यज्ञ के वर्तमान ब्रह्मा सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान् आचार्य सोमदेव जी हैं।
ऋषि उद्यान स्थित गुरुकुल के सुयोग्य वेदपाठी ब्रह्मचारियों द्वारा ऋग्वेद के मन्त्रों के सुमधुर पाठ के साथ यज्ञाग्नि में श्रद्धापूर्वक आहुतियाँ प्रदान की गईं जिससे सम्पूर्ण वातावरण वेद एवं ईश्वर भक्ति-रस से सराबोर हो उठा।
३ नवम्बर, २०१६ गुरुवार, आज ‘ऋग्वेद पारायण महायज्ञÓ के ब्रह्मा अन्तर्राष्ट्रीय वेद प्रचारक आचार्य सोमदेव जी ने अपने प्रेरक उपदेश में कहा कि ईश्वर ही मनुष्य का सबसे बड़ा कल्याण करने वाला है। अपने उपासकों, आज्ञापालकों और धार्मिक लोगों की बुद्धियों को सन्मार्ग में प्रेरित कर ईश्वर उनका कल्याण करता है। प्रभु उपासक ईश्वर के पास बैठकर आनन्दित होताहै। ऋग्वेद के मन्त्र की व्याख्या करते हुये आपने कहा कि ईश्वर के ध्यान में बैठकर हम अपनी सभी बुराइयों को दूर कर कल्याणकारक मार्ग और आचरण के अनुगामी बन जाते हैं। जो व्यक्ति अविद्या अंधकार से ढंका होता है, वह ईश्वर को जान नहीं सकता। अनित्य वस्तु शरीर, धन आदि को नित्य मानना, शरीर, नशाकारी व तामसिक भोजन आदि अशुद्ध वस्तुओं को शुद्ध मानना, दु:खप्रद वस्तुओं में सुख की आशा करना तथा मूत्र्ति आदि जड़ पदार्थों में चेतन बुद्धि रखना-ये चार प्रकार की अविद्या है। उन्होंने मूत्र्तिपूजा को मानव और देश की अवनति का कारण बताया। मूत्र्तिपूजा को त्यागकर ही हम निराकार सर्वव्यापक ईश्वर की सच्ची भक्ति कर जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
वस्तुत: महर्षि दयानन्द के १३३वें बलिदान का मुख्य समारोह दिनांक ४, ५, ६ नवंबर को होगा जिसके अन्तर्गत विभिन्न प्रेरक, ज्ञानवर्धक व अन्धविश्वास-पाखण्ड निवारक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।
कल ४ नवम्बर को वेद-प्रवचनादि नियमित चलने वाले कार्यक्रमों के अतिरिक्त ११.०० बजे से १२.३० बजे तक ”मानव के लिये गाय का महत्त्व और गो-रक्षा की आवश्यकता क्यो?ÓÓ सायं २.०० से ५.०० बजे तक ”राष्ट्र निर्माण में आर्य समाज की भूमिकाÓÓ तथा रात्रि ८.०० से १०.०० बजे तक ”धर्मान्तरण-समस्या और समाधानÓÓ-इन विषयों पर विशेष परिचर्चा में देश के विविध विषयों के विशेषज्ञ विद्वान् अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इसी प्रकार ५ नंवम्बर को ”महर्षि दयानन्द के विचारों की प्रासंगिकता,ÓÓ ”डॉ. धर्मवीर कृतज्ञता सम्मेलनÓÓ तथा ”शिक्षा नीति-देश का भविष्यÓÓ- आदि विषयों पर विशेष चर्चार्यें होंगी। ६ नवम्बर को ‘गुरुकुल सम्मेलनÓ एवं ‘युवा सम्मेलनÓ होंगे। साथ ही ‘दयानन्द दर्शन की वेद मूलकताÓ विषय पर प्रतिदिन गोष्ठी होगी।
इस बीच ऋषि-उद्यान की सजावट, अलंकरण व सुव्यवस्था का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। सम्प्रति देश के कोने-कोने से एवं विदेशों से विद्वानों, साधु-महात्माओं व श्रद्धालु जनों का ऋषि उद्यान में आगमन शुरु हो गया है। आज गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. सुरेन्द्र कुमार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के इतिहासज्ञ प्राध्यापक राजेन्द्र जिज्ञासु, कम्प्यूटर-वैज्ञानिक श्री शत्रुञ्जय जी रावत आदि विद्वान ऋषि-उद्यान पधार चुके हैं।
दिल्ली गाजियाबाद व अन्य स्थानों से देश के चोटी के पुस्तक प्रकाशक और विक्रेता अपनी दुकानें सजाने लगे हैं। ऋषि-उद्यान की भव्यवता में श्री-वृद्धि होने लगी है।
मन्त्री

error: Content is protected !!