राज्य भर के महाविद्यालयों में षिक्षण कार्यठप्प

ructaउच्च षिक्षा में कार्यरत हजारों षिक्षक यूजीसी रेगुलेषन के अनुरूप पदनाम व्याख्याता के स्थान पर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर करने को लेकर 7 नवम्बर को सड़कों पर उतरेंगें।
इस संबंध में जानकारी देते हुए महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि राज्य भर में तैयारियाँ जोरों पर है। रुक्टा(राष्ट्रीय) के पदाधिकारी महाविद्यालयों में जाकर बैठकें ले रह है, सोषल मीडिया पर भी विषय जम कर छाया हुआ है। राज्य के अधिकांष महाविद्यालय षिक्षकों ने प्रदर्षन में भाग लेने के लिए अवकाष प्रार्थना पत्र दे दिये है। राज्य के लगभग सभी महाविद्यालयों में 7 नवम्बर को षिक्षण कार्य ठप्प रहेगा लगभग 3500 षिक्षक विभिन्न साधनों में चलकर जयपुर आयेंगे तथा 7 नवम्बर के प्रातः 11 बजे से ज्योति नगर टी पॉइंट प्रदर्षन रैली प्रारंभ करेंगे। रैली ज्योति नगर टी पॉइंट से सहकार मार्ग, सहकार चौराहा, राजमहल होटल होते हुए सिविल लाइन्स फाटक तक जायेगी जहाँ विषाल धरना सभा आयोजित किया जाएगा तथा मुख्यमंत्री की को ज्ञापन दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि देश के समस्त राज्यों में यू.जी.सी. के रेगुलेशन के अनुरूप व्याख्याता पदनाम समाप्त कर असिस्टेंट व एसोसियेट प्रोफेसर कर दिये हैं किन्तु राजस्थान में केबिनेट मंत्री श्री कालीचरण सराफ की घोषणा के तीन वर्ष बाद भी इस संबंध में आदेश जारी नहीं हुए हैं। यू.जी.सी. ने विभिन्न परिपत्रों के माध्यम से यू.जी.सी. रेग्यूलेशन 2010 में वर्णित सभी नियमों एवं उपबंधों को (केवल सेवानिवृति आयु को छोड़ कर) रूड्डठ्ठस्रड्डह्लशह्म्4 किया है। यू.जी.सी. द्वारा छटे वेतनमान के कारण पड़े अतिरिक्त वित्तीय भार हेतु राज्य सरकारों को 1-1-2001 से 31-3-2010 तक के अतिरिक्त वित्तीय भार का 80 प्रतिशत अनुदान यू.जी.सी. रेग्यूलेशन 2010 की पालना की बाध्यता के साथ ही किया है, किन्तु राजस्थान द्वारा न केवल महाविद्यालय शिक्षकों के पदनाम को यथावत व्याख्याता ही रखा है वरन यू.जी.सी. को रेग्यूलेशन 2010 की पालना संबंधी भाम्रक घोषणा पत्र देकर 1-1-2016 से 31-3-2010 तक छठे वेतनमान के अतिरिक्त वित्तीय भार हेतु अनुदान भी यू.जी.सी. प्राप्त कर लिया है। राजस्थान के महाविद्यालय शिक्षकों के पदनाम परिवर्तन नहीं होने से राजस्थान में महाविद्यालय शिक्षकों को अपने पुराने पदनाम व्याख्याता के कारण अनेक बार अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार/प्रोजेक्ट आदि हेतु पात्र नहीं माना जाता है साथ ही उन्हें शोध हेतु उपर्युक्त अनुदान प्राप्त नहीं होता है। जिससे समान योग्यता एवं वेतन श्रृंखला होने पर भी उनके जायज हक नहीं मिलने से वे हीन भावना में ग्रसित होते हैं। संगठन के प्रतिनिधि मंडल की अप्रेल 2016 में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से हुई भेंट में समस्त तथ्यों को रखने के बाद भी अभी तक पदनाम परिवर्तन नहीं किये जाने के कारण शिक्षकों में जबरदस्त आक्रोश है।

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