गौशाला में धूमधाम से मना गोपाष्टमी उत्सव

गौमाता की चरण रज मस्तिष्क पर लगाने से होती है, सौभाग्य्ा में वृðि एवं गौमाता के पीछे कुछ दूर चलने से प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता हैµ हरिराम जी महाराज
गौ सेवा ही वास्तविक गोवर्धन पूजा एवं जहां गौऊ निवास करे वो ही गौवरधनµ हरिराम महाराज
गोपाल नह° बन सको तो ग्वाल बाल ही बन जाओ, गौमाता आपकी वाट देख रही हैµ अनिता भदेल महिला एवं बाल कल्य्ााण विकास राज्य्ा मंत्राी
उत्सव हमारी संस्कृति का आधार गौमाता की सेवा, सुरक्षा एवं संरक्षण का महापर्व है गोपाष्टमी उत्सव
माली मौहल्ला निवासी श्रीचंद ईशराणी ने अपनी स्वर्गीय्ा माता जी के सोने व चांदी के आभूषण सीता गौशाला में समर्पित किय्ो है जिसकी लागत करीब दो से ढाई लाख रूपय्ो है

0205अजमेर, 08 नवम्बर (कासं)। गौपाष्टमी महोत्सव के तहत सीता गौशाला में चल रही श्रीमद भागवत कथा का विश्राम एवं गौपाष्टमी उत्सव बडी धूमधाम से आय्ाोजित किय्ाा गय्ाा। गौपाष्टमी महोत्सव में प्रातः 6ः15बजे संन्य्ाास आश्रम महावीर सर्किल से हरि संकीर्तन करते हुय्ो प्रभात पे€री सीता गौशाला पहुंची, जहां सकीर्तन के साथ गौमाता पूजन किय्ाा गय्ाा।
प्रभात पे€री एंव सीता गौशाला के प्रबंधक उमेश गर्ग ने बताय्ाा कि आज उत्सव में प्रभात पे€री, संकीर्तन एवं गौमाता पूजन किय्ाा गय्ाा। इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय्ा रामस्नेही सम्प्रदाय्ा के श्रðेय्ा हरिराम जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि उत्सव हमारी संस्कृति के आधार है और परम आवश्य्ाक ह®। गौ माता की सेवा और रक्षा का महापर्व है गोपाष्टमी पर्व एवं गौवर्धन पूजा, गौमाता की सेवा के बिना हमारा कल्य्ााण होने वाला नह° है, गौ सेवा ही वास्तिक गौवर्धन पूजा है। महाराज श्री ने कहा कि जब गौ माता भूखी हो तो क्य्ाा हमें भोजन करने का अधिकार है? गौमाता सडक पर भटके कचरा खाय्ो , व्य्ााकुल होकर इधरµउधर भटके अशुð एवं गन्दी वस्तुओं का सेवन करें तो क्य्ाा सार्थकता है? 56 भोग और अन्नकूट महोत्सव की जिस गौमाता की सेवा और रक्षा के भगवान ने अवतार लिय्ाा और वर्तमान में गौमाता की य्ो दुर्दशा, क्य्ाा इस पर ठाकुर जी य्ो सब स्वीकार कर सकते है। उत्सव खूब मनाओं, आनंद के साथ मनाओं, लेकिन हमारी गौमाता को भी ध्य्ाान में रखों। य्ादि हमने गौशाला में गऊमाता की सेवा एवं सहय्ाोग नह° किय्ाा तो कैसी गोर्वधन पूजा? कैसा गोपाष्टमी पर्व ? वेद बिना मति नह° और गाय्ा बिना गति नह° गौ माता की रक्षा के लिय्ो भगवान कृष्ण कालिय्ाा नाग से भिड गय्ो, आज जरुरत है गौहत्य्ाा करने वाले कसाईय्ाों को खदेडने की। हिन्दू संस्कृति में गाय्ो का विशेष स्थान है। माँ का दर्जा दिय्ाा जाता है क्य्ाोंकि जैसे एक माँ का हदृय्ा कोमल होता है, वैसा ही गाय्ा माता का होता है। जैसे एक माँ अपने बच्चों को हर स्थिति में सुख देती है, वैसे ही गाय्ा भी मनुष्य्ा जाति को लाभ प्रदान करती है।
तुम एक कदम चलों मैं तुम्हारें लिय्ो, कदम चलकर आऊंगाµ राष्ट्रसंत हरिरामµ गोपाष्टमी महोत्सव के तहत पहाडगंज स्थित सीता गौशाला में चल रही श्रीमद भागवत कथा के आज अंतिम दिन कथा वाचक राष्ट्रसंत हरिराम महाराज सुदामा चरित्रा, परिक्षित मोक्ष का वर्णन करते हुय्ो कहा कि आप लगर भगवान के लिय्ो एक कदम चलते हो तो वह तुम्हारे लिय्ो कदम चलकर तुम्हारे पास आय्ोंगे।
राष्ट्र संत हरिराम महाराज ने कथा के गोपाष्टमी पर संदेश दिय्ाा कि गाय्ाों की सेवा शहरों में नहीं होती है, शहर तो शहर साधकों, लेकिन कभी गांव नष्ट नहीं होना चाहिय्ो, क्य्ाोंकि गांव ही तो गांव की असली सेवा होती है, गांव बचेगा तो गाय्ा बचेगी तो हमारा धर्म राष्ट्र बचेगा। उन्होंने कहा कि जिस सम्पती को लेकर विवाद हो जाय्ो उस सम्पती को कभी नहीं अपनाना नहीं चाहिय्ो।
सुदामा कृष्ण मिलन पर श्रोता हुआ भावुकµ कथा वाचन कर रहे रामस्नेही राष्ट्रसंत हरिराम महाराज ने सुदामा चरित्रा का वर्णन करते हुय्ो कहा कि सुदामा से कुछ सीख लो कि वह गरीब होते हुय्ो भी कभी भगवान से अपेक्षा नहीं की ओर न ही कोई शिकाय्ात की। सुदामा व उनकी पत्नी सुशाली और उनके बच्चे को सप्तहे में चार पांच दिन तो एकादशी ही करते थे। एक दिन सुशीला ने सुदाम ने द्वारिकाधीश से मिलने की जिद करने लगी और सुदामा को पडौस से सुशीला ने चार मुटटी चावंल लेकर आई और साडी के पल्लू में बांधकर सुदामा को द्वारिकाधीश से मिलने के लिय्ो रवाना कर दिय्ाा। इस दौरान सुदामा कुछ देर चले और थके हारे एक पेड की छांव में बैठ गय्ो, इस दौरान उनकी अ€ंख लग गई और भगवान श्री€ष्ण ने गुरूड जी को भेजा और गुरूड जी सुदामा को उङ्गाकर द्वारिका में छोड दिय्ाा।
द्वारिकाधीश से मिलने के लिय्ो राजमर्ग पार करते हुय्ो महल की ओर बढे तो वहां द्वारों पर द्वारपाल खडे थे, इस दौरान कुछ साधु संत महल में जा रहे थे तो सुदामा भी उनके पीछेµपीछे हो लिय्ो और जब सातवें द्वार पर पहुंचे तो उन्हें द्वारपालों ने रोका और कहा कि तुम्हे क्य्ाा चाहिय्ो कपडा, रोटी य्ाा रहने के लिय्ो जगह चाहिय्ो तों उन्होंने कहा कि मुझ्ो तो केवल मेरे कृष्ण चाहिय्ों, तो द्वारपालों ने उसे वहां से वापस बाहर चले जाने के लिय्ो कहते है तो सुदामा द्वारपालों से कहता है कि तुम्ह मेरा य्ो संदेश कृष्ण तक तो पहुंचा दो की द्वार पर गरीब ब्राहामण सुदामा आय्ाा है। जब द्वारपाल कृष्ण के पास जाकर कहता है कि न तो सर पर पगडी है न ही शरीर पर जामा है और कहता है कि कहे दो मेरे कन्हैय्ाा से कि सुदामा आय्ाा तो जैसे ही कृष्ण के कान में सुदामा नाम सुनाई पडा ओर द्वार की दौड पडे और सुदामा को गले लगाकर सुदाम को महल में ले आय्ो अपने आसान पर बैठाय्ाा और खुद सुदामा के चरणों में बैठ गय्ो, सुदामा के पास चावल की पोटली पर पडी तो कृष्ण ने सुदामा से पोटली छीनकर देखा तो सुदामा ने कहा कि य्ाह तो मेरी भाभी ने मेरे लिय्ो भेजा है, और कृष्ण भगवान ने दो मुटटी चावंल खा चुके थे और तीसरे मुटिट खाने वाले थे तो रूकमणी ने उनका हाथ पकडकर कहा कि एक ऐ स्वामी य्ाह क्य्ाा कर रहे हो ब्राहृमण का प्रसाद तो हमारे लिय्ो भी तो है। भगवान श्री€ष्ण ने सुदामा के अपने आश्रुओं से पांव धोय्ो और उनकी रात भर सेवा की। कथा में श्रीमद भागवत की आरती में उमेश गर्ग ने बताय्ाा कि आज गौ पूजन करने में शिक्षा राज्य्ा मंत्राी वासुदेव देवनानी, महिला बाल विकास राज्य्ा मंत्राी अनिता भदेल, भाजपा शहर अध्य्ाक्ष अरविन्द य्ाादव, रमेश चंद्र अग्रवाल, नगर निगम महापौर धर्मेन्द गहलोत, हेमा गहलोत, प्रेम प्रकाश लकडी वाले, कालीचरण खंडेलवाल, आनंद प्रकाश अरोडा, गिरधारी मंगल, ओमप्रकाश मंगल, विमल गर्ग, अशोक तोषनीवाल, अशोक तोषनीवाल, ओमप्रकाश मंगल, गिरधारी मंगल, शिवशंकर फतेहपुरिय्ाा, स्वामी शरण गुप्ता, रमाकांत बाल्दी, महिला कल्य्ााण विकास मंत्री अनिता भदेल, उपमहापौर संपत सांखला, पत्राकार संघ के अध्य्ाक्ष एस पी मित्तल, मुकेश खिंची, गोविन्द राज, प्रदीप तुनगरिय्ाा, महेन्द्र जैन, अशोक टांक, कवंल प्रकाश, ब्रिजेश मिश्रा, रामरतन छापरवाल, धर्मेन्द्र गहलोत व हेमा गहलोत समेत अन्य्ा भक्त गणमौजूद थेे।

उमेश गर्ग
मोबाइल नम्बरµ 9829793705

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