दहकते हुए अंगारों पर चलकर मनाया मातम

fb_img_1450607254673अजमेर / दौराई/09 दिसम्बर ! निकटवर्ती ग्राम दौराई में शुक्रवार को शिया समुदाय के लोगों ने नवासा-ए-रसूल की याद में अलविदाई मातम मनाया। मातम के दौरान अकीदतमंद इमाम हुसैन की याद में दहकते हुए अंगारों पर चले और जंजीर,कमा, ब्लेड से खूनी मातम मनाया। कार्यक्रम की पहली मजलिस सुबह आठ बजे दरगाह हजरत अब्बास पर शुरु हुई। जिसे मौलाना काजिम अली जैदी ने खिताब फरमाया। इसके बाद बनी असद का मंजर पेश किया गया। दूसरी मजलिस हुसैनीया मशहदी मस्जिद में सुबह 10 बजे शुरु हुई, मौलाना मोहम्मद आसिफ मुरादाबादी की तकरीर के बाद 18 कमरेबनी हाशिम शबीहे ताबूत की जियारत करवाई गई। हुसैनिया बाबुल मुराद में दोपहर को मौलाना मोहम्मद मेहन्दी साहब की ओर से अंतिम मजलिस के बाद कर्बला से मदीने के सफर का मंजर पेश करते हुए अमारी का जूलूस निकाला गया। शाम 5 बजे सैकड़ौं की संख्या में बच्चे, बड़े, बुजुर्गो ने नवासा-ए-रसूल की याद में दहकते हुए अंगारों पर चलकर मातम किया। इसके बाद जंजीर, कमा, ब्लैड से शरीर को लहुलुहान करते हुए खिराजे अकीदत पेश की गई। कार्यक्रम के अंत में अकीदतमंदों को लंगर तकसीम किया गया। कार्यक्रम का आयोजन अंजूमने शहीदाने फुरात, अंजूमने जाफरिया विकास समिति व अंजूमने फाताहे फुरात के तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस मौके पर कई ग्रामीण व जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

जश्ने ईद-ए-जेहरा मनाया

देर रात ग्राम स्थित हुसैनीया मशहदी मस्जिद मे जश्ने ईद-ए-जेहरा का कार्यक्रम शुरु हुआ। दूर दराज से आए जाने माने शायरों ने अपने कलाम पेश किए।

शिया समुदाय में लौटी खुशीयां

अय्यामे अजा के दौरान 72 दिनों तक समुदाय में गम के माहौल के बाद शनिवार को खुशीयों का दौर शुरु होगा। ऑल इंडिया शिया फांउडेशन के जिलाध्यक्ष सैय्यद आसिफ अली ने बताया कि मोहर्रम में सभी खुशीयों के कार्य निषेध होते है। शनिवार से समाज के सभी खुशनुमा कार्यो का दौर शुरु हो जाएगा। इस दौरान समुदाय के लोगो ने नए कपड़े पहनकर विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर एक दूसरे को मुबारकबाद देंगे।

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