अजमेर 5 जून । धर्मगुरू एवं सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ति के वंशज एवं वंशानुगत सज्जदप्नशीन दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने लंदन ब्लास्ट में हताहत हुऐ लोगों को श्रधांजलि देते हुऐ कहा कि धर्म के माध्यम से ही संपूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है। तभी पूरे विश्व में सद्भावना और शाति की परिकल्पना संभव हो पाऐगी। इसके लिए सभी देषों को सामुहिक प्रयास को आधार मानते हुए आतंवाद के खिलाफ निर्णायक माहौल बनाना होगा।
दरगाह दीवान ने आतंवाद की इस घटना की कठोर शब्दों मे निंदा करते हुऐ कहा कि रमज़ान के पाक महीने में जो कत्लो.गारत और दहशतगर्दी के कामों को अंजाम दे रहे हैं वो कुरान और अल्लाह के रसूल की तालीमों का अपमान करतें है। क्योंकि कुरान वो ग्रंथ है जिसने एक कत्ल के अपराध को पूरी इंसानियत के कत्ल करने के अपराध के बराबर रखा और कहा श्किसी जान को कत्ल न करो जिसके कत्ल को अल्लाह ने हराम किया है सिवाय हक के।श् ;सूरह इसराए 33द्ध
आतंकवाद फैलाने वालों पर कटाक्ष करते हुऐ दरगाह दीवान ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आतंकवादी की कोई राष्ट्रीयता नहीं होती उसका कोई देश नहीं होताए आतंकवादीए आतंकवादी होता है। जिस तरहे से काबुल ओर दुनिया के अन्य देशो में लगातार आतंकी हमले हो रहे हे ओर नाहक निर्दोष लोगों को मारा जा रहा हे ओर दुनिया का हर देश आज इन आतंकियों से जूझ रहा हे उस से पूरी दुनिया के देशी को एक साथ आकर आतंक के ख़िलाफ़ सुनियोजित रणनीति बनाकर लड़ना होगा वरना यह आतंकी यूही नाहक निर्दोष बच्चों ओरतो मरते राहेंगे ओर दुनिया के बड़े बड़े नेता सिर्फ़ एसे हमलो की निंदा करने तक ही सीमित रहजाएँगे ।
दरगाह दीवान ने कहा कि आज पूरी दुनिया में आतंकवादी धर्म के नाम पर जहर फैलाने का काम कर रहे हे और एक सामाजिक वायरस बन कर समाज नष्ट करने में लगे हुए हैं। जिसकी की वजह से स्थिति बहुत खतरनाक मोड़ ले रही है। कोई भी धर्म आतंकवाद का समर्थन नहीं करता लेकिन आईण्एसण्आई जैसे संगठन इस्लाम का गलत इस्तेमाल करके युवाओं का ब्रेन वाॅष करते हैं और उन्हें आतंकवादी बना देते हैं। दुनिया के तमाम देशों और खासतौर पर इस्लामिक देशों को ऐसे सभी आतंकवादी संगठनों का खुलकर विरोध करना होगा तभी ये स्थिति सुधरेगी। लंदन ओर काबुल जेसी इन तमाम आतंकवादी घटनाओं और हमलों का किसी भी धर्म से ना तो कोई संबंध है और ना ही हो सकता है लेकिन तमाम आतंकवादी इस्लाम धर्म के नाम का दुरुपयोग करके ऐसे हमलों को जायज ठहराना चाहते हैं।
दरगाह दीवान ने कहा कि आज विश्व को जिस चीज की आवश्कता है वह शांति के लिए वैश्विक वचनबद्धता है और पुरानी व पारम्परिक शैली में आमुलचूल परिवर्तन होना चाहिये ताकि विश्व में अधिक न्यायए नैतिकता और प्रजातंत्र स्थापित हो सके। क्योंकि शांति के टिकाऊ होने के लिए उसका न्यायिक होना आवश्यक है। दशकों के अनुभव इस बात के सूचक हैं कि राजनीतिक और आर्थिक कारक अब भी विश्व में शांति स्थापित होने की दिशा में रुकावट बने हैं। पिछड़ापनए अतिवादी सोच में विस्तारए और सामूहिक विनाश के हथियारों को नष्ट करने के संबंध में एक नीति का न होना जैसे कारक विश्व में शांति व सुरक्षा की स्थापना में रुकावट बने हैं।
द्वारा
दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान
सज्जादनशीन एवं दरगाह के आध्यात्मीक प्रमुख दरगाह अजमेर शरीफ।