राष्ट्रीय लोक अदालत में सफल हुए मुकदमें

zz1. नम्रता (बदला हुआ नाम) ने अपने पति राकेश (बदला हुआ नाम) की शादी 2013 में हुई। दोनों एक-दूसरे को बेहद पसंद करते थे। जीवन की हर चुनौती से लड़ने को दोनों तैयार रहते थे। किन्तु दोनों को ही जीवन के लंबे सफर में आने वाले मुश्किल पड़ावों का अनुभव नहीं था। इन पड़ावों में आर्थिक स्थिति की असमानता से भी दोनों अनभिज्ञ थे। जीवन में सुख की अनुभूति के लिए पैसे का बड़ा महत्व होता है और पैसे की कमी के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को वे दोनों एक-दो साल तक नहीं जान सके। इनका दाम्पत्य जीवन चलता रहा और इनकी जिन्दगी में आर्थिक तंगी का राक्षस कब घर कर गया इनको पता ही नहीं चला। रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए पैसे की आवश्यकता होने लगी। जरूरतें पूरी नहीं होने के कारण नम्रता के मन में असंतोष की भावना जागृत होने लगी। राकेश भी अपने आप को कभी-कभी असहाय महसूस करता था। इनकी जिन्दगी नीरस होती गई। कुछ समय बाद नम्रता को पुत्री हुई। पुत्री के स्नेह ने इनके जीवन में खुशहाली के कुछ भाव पैदा किये। घर में एक नये सदस्य के जुड़ जाने के कारण अब जरूरतों में भी बढ़ोतरी होने लगी। नम्रता और राकेश अपनी जरूरतों के पूरा होने या नहीं होने पर दुखी नहीं होते थे किन्तु पुत्री के वर्तमान एवं भविष्य को लेकर चिन्तित रहने लगे। नम्रता को लगने लगा कि परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी परिवार के मुखिया यानी राकेश की होती है इसलिए राकेश का दायित्व है कि वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। वक्त के चलते नम्रता के भाव शब्दों की कड़वाहट में बदलते गये। राकेश भी अपनी असहायता को कड़वे शब्दों में नम्रता को दर्शाने लगा। जीवन की कड़वाहट को मिठास में बदलने का नम्रता को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। राकेश को भी कहीं से आर्थिक मदद नहीं मिल रही थी। फिर वही हुआ जो पारिवारिक जीवन के कलह को सुलझाने में आमतौर पर होता है। नम्रता ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उसने पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दे डाली। वह राकेश से अलग रहना चाहती थी। अपनी बच्ची के साथ ही जिन्दगी जीना चाहती थी। नम्रता को पता नहीं था कि न्यायालय में प्रकरणों को सुलझने में कितना अधिक समय लगता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अजमेर द्वारा दिनांक 08 जूलाई, 2017 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें नम्रता जैसे विशेष प्रकरणों का चिन्ह्किरण किया गया। न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय, अजमेर द्वारा नम्रता के प्रकरण को सुना गया। नम्रता और राकेश को उसी दिन बुलाया और दोनों की पूरी बात सुनी। न्यायाधीश ने नम्रता और राकेश को पारिवारिक जीवन के विभिन्न स्तरों के बारे में बताया। सफल परिवारिक जीवन की चुनौतियों से उनको बताया। एक-दूसरे की भावनाओं और मजबूरियों को समझने के लिए प्रेरित किया। उनको यह भी बताया गया कि पारिवारिक जरूरतें हर प्रकार के परिवार की होती है फिर चाहे वह बड़े से बड़े व्यापारी की हो या छोटे से छोटे फुटकर व्यापारी की। आमदनी कम हो और खर्चा अधिक हो तो पति-पत्नि को मिलजुलकर जरूरतों में तारतम्य बनाना चाहिए। सफल वैवाहिक जीवन में हर प्रकार चुनौती का सामना करने हेतु प्रेरित किया। राकेश को अपनी जिम्मेदारियों को निभाने हेतु और अधिक परिश्रम करने हेतु समझाया गया तो नम्रता को आमदमी के अनुरूप ही खर्चे करने हेतु प्रोत्साहित किया। इनकी पुत्री के अच्छे भविष्य के निर्माण में दोनों की भागीदारी की अनिवार्यता को बताया। माता-पिता के कलह के दुष्परिणाम यदि बच्ची पर पड़ते है तो बच्ची का शैक्षणिक स्तर भी निम्नतर होता चला जाएगा। उसका जीवन भी अंधकारमय हो जाएगा। नम्रता और राकेश को पुनः नये सिरे से जीवन शुरू करने हेतु प्रेरित किया गया। उन्हें न्यायालय में चल रहे कई प्रकरणों की मिसाल दी गई जिनमें दोनों ही पक्षों को प्राप्त होने वाली हानि के बारे में बताया गया। इन्हीं के जैसे कई प्रकरणों में किस प्रकार से पति-पत्नि को हुए नुकसान एवं उनके बच्चों के भविष्य के गर्त में जाने के प्ररकणों से अवगत कराया गया। नम्रता और राकेश न्यायाधीश की बातों से प्रभावित हुए उन्होंने अपने जीवन की कड़वाहट दूर कर फिर से सुखी जीवन जीने की कसम खाई। राकेश ने आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए और अधिक परिश्रम करने की बात न्यायाधीश और नम्रता को कही। नम्रता ने भी पारिवारिक जरूरतों को पैसे के साथ समन्वयीत करने हेतु न्यायाधीश को आश्वस्त किया। दोनों ही प्रकरण में राजीनामा करना चाहते थे। न्यायाधीश ने उनमें राजीनामा करवाया। दोनों को उपस्थित जिला एवं सेशन न्यायाधीश एवं अन्य न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं द्वारा माला पहनाकर बधाइयां दी गई। नम्रता और राकेश की आखों में पश्चाताप के आंसू थे। उपस्थित लोगों ने प्रकरण को सार्थक बताते हुए इसे न्यायालय की मिसाल बताया।

2. राधेश्याम(परिवर्तित नाम) एवं गोपाल (परिवर्तित नाम) ने सन् 1999 में किसी कारण से हुए झगडें की वजह से दोंनो ने न्यायालय में एक मुकदमें दायर कर दिया। परन्तु शायद उनकों यह मालुम नही था कि न्यायालय में न्याय मिलने में इतनी देरी हो जाती है। उनको लगातार मिल रही तारीखों की वजह से परेशानी भी हो रही थी एवं आपसी खींचातान भी बढ़ रही थी। तथा पैसे भी खर्च हो रहे थे। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अजमेर द्वारा दिनांक 08 जूलाई, 2017 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें इस तरह के विशेष प्रकरणों का चिन्ह्किरण किया जा गया था। न्यायाधीश ने इस प्रकरण की तथा दोनो पार्टीयों को बुलाकर आपस में समझाईश की और उन्हे बताया कि इस मुकदमें की वजह से उन्हे कितना नुकसान हुआ है तथा आगे भी अभी इस मुकदमंे और समय लग सकता है इस बात को दोनो पार्टीयों ने समझा एवं आपसी गिले सिकवे मिटाकर सहमति से इस प्रकरण को लोक अदालत की भावना निस्तारण करवाने पर सहमत हुए। इस प्रकार दोनो पक्षों को एक लम्बे समय के बाद सुखद अहसास हुआ और मामले का निस्तारण हुआ।

3. इसी प्रकार रामलाल (परिवर्तित नाम) एवं पूनम देवी के मध्य सन् 2004 से एक मुकदमा चल रहा है। जिस वजह से दोनो के मध्य काफी खींचातान चल रही थी और समय भी बरबाद हो रहा था। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अजमेर द्वारा दिनांक 08 जूलाई, 2017 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें इस तरह के विशेष प्रकरणों का चिन्ह्किरण किया जा गया था। न्यायाधीश ने इस प्रकरण की तथा दोनो पार्टीयों को बुलाकर आपस में समझाईश की और उन्हे बताया कि इस मुकदमें की वजह से उन्हे कितना नुकसान हुआ है तथा आगे भी अभी इस मुकदमंे और समय लग सकता है इस बात को दोनो पार्टीयों ने समझा एवं आपसी गिले सिकवे मिटाकर सहमति से इस प्रकरण को लोक अदालत की भावना निस्तारण करवाने पर सहमत हुए। इस प्रकार दोनो पक्षों को एक लम्बे समय के बाद सुखद अहसास हुआ और मामले का निस्तारण हुआ।

4. राजेश (बदला हुआ नाम) बनाम सरकार व अन्य के प्रकरण मेें दो सगे भाईयांे से सम्ंबधित विवाद के रहते हुए लंबित चल रहा था। प्रकरण में दोनो करीब 90 वर्ष से अधिक आयु प्राप्त करने के कारण वरिष्ठ नागरिक का दर्जा प्राप्त किया है। उक्त प्रकरण को आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित लोक अदालत में आपसी समझाईश से प्रकरण का राजीनामा से निस्तारण कर दिया तथा न्यायालयों के विवाद के कारण दोनों भाईयांे में वर्षो से जो बोल चाल बंद थी वह पुनः शुरू गई और दोनों भाई गले मिल कर हंसते -हंसते अपने घर को प्रस्थान किया ।

5. गोविन्द (बदला हुआ नाम) एवं कविता (बदला हुआ नाम) व अन्य यह प्रकरण न्यायालय में करीब 05 साल से लंबित चलता आ रहा था। प्रकरण में दोनों चाचा ताउ के लड़के ही थे। उक्त प्रकरण को आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित लोक अदालत में आपसी समझाईश से प्रकरण का राजीनामा से निस्तारण कर दिया तथा न्यायालयों के विवाद के कारण दोनों भाईयांे में वर्षो से जो बोल चाल बंद थी वह पुनः शुरू गई और दोनों भाई गले मिल कर हंसते -हंसते अपने घर को प्रस्थान किया ।
6. राजु (बदला हुआ नाम) एव राधा देवी (बदला हुआ नाम) के मध्य वर्ष 2011 से लंबित दीवानी प्रकरण चल रहा था। जिसे आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित लोक अदालत में आपसी समझाईश से प्रकरण का राजीनामा से निस्तारण कर दिया तथा न्यायालयों के विवाद के कारण दोनों भाईयांे में वर्षो से जो बोल चाल बंद थी वह पुनः शुरू गई और दोनों भाई गले मिल कर हंसते -हंसते अपने घर को प्रस्थान किया।

7. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित लोक अदालत में एक ऐसा प्रकरण भी सामने आया जिसमें भारतीय सेना एवं भारतीय दूर संचार निगम लिमिटेड के बीच फोन के बिल को विवाद चल रहा था जो कि 1598/- रू का था जिसे भी आपसी समझाईश से राजीनामा के माध्यम से लोक अदालत में निस्तारित किया गया।

8. इसी प्रकार तालुका विधिक सेवा समिति किशनगढ़ मे लोक अदालत के माध्यम से एक प्रकरण ऐसा भी निस्तारित किया गया जो विगत 03 वर्षों से पति पत्नी के मध्य मिलने वाले मुआवजे को लेकर चल रहा था लेकिन लोक अदालत बैंच के द्वारा दोनों के मध्य समझाइश की गयी और दोनों पक्षकारान जो करीब 03 वर्षों से एक दूसरे से अलग-अलग अपना दाम्पत्य जीवन यापन कर रहे थे दोनों न्यायालय से राजीखुशी साथ जीवनयापन हेतु रवाना हुए।

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