वयोवद्घ लेखक साखलकर को प्रज्ञा पुरस्कार देने की घोषणा

अजमेर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अजमेर के वयोवृद्घ लेखक साहित्यकार एवं चित्रकार श्री रत्नाकर विनायक साखलकर को हिन्दी ग्रंथ अकादमी की ओर से प्रतिष्ठित लेखक के रूप में प्रज्ञा पुरस्कार देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने हिन्दी ग्रंथ अकादमी की ओर से प्रकाशित श्री साखलकर की प्रतिष्ठित पुस्तक ”आधुनिक चित्रकला का इतिहास” के लिए अकादमी की ओर से यह पुरस्कार देने की घोषणा की है। पुरस्कार के रूप में श्री साखलकर को 51 हजार रूपये की नकद राशि तथा स्मृति चिन्ह प्रदान किया जायेगा।
मुख्यमंत्री निवास से अजमेर के वयोवृद्घ लेखक को पुरस्कृत करने की जानकारी जिला कलक्टर वैभव गालरिया को प्रात: दी गई। अतिरिक्त कलक्टर शहर जे.के.पुरोहित व सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सहायक निदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी ने साखलकर के आदर्शनगर स्थित निवास स्थान पर पहुंच कर उन्हें और परिवारजनों को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा उन्हें सम्मानित करने की घोषणा के बारे में जानकारी दी।
राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष आर.डी.सैनी ने बताया कि ”प्रज्ञा” पुरस्कार अकादमी का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जो प्रतिष्ठित लेखक को उनकी पुस्तिका के 15 संस्करण प्रकाशित हो जाने पर प्रदान किया जाता है। श्री रत्नाकर विनायक साखलकर ऐसे ही सर्वाधिक प्रतिष्ठित लेखक हैं, जिनकी पुस्तक ”आधुनिक चित्रकला का इतिहास” के 15 संस्करण अकादमी द्वारा प्रकाशित किये गये हं। सैनी ने बताया कि श्री साखलकर एक मात्र ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने चित्रकला विषय पर शुद्घ हिन्दी में रोचक तरीके से पुस्तकें लिखीं और उनकी पुस्तक ”आधुनिक चित्रकला का इतिहास” अकादमी द्वारा प्रकाशित सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक है।
साखलकर की चित्रकला पर लिखी गई पुस्तकों के पढऩे के बाद ही ललित कला के क्षेत्र में पुस्तकें पढ़ी जाने लगी है। अकादमी द्वारा श्री साखलकर की चार पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है।
94 वर्षीय रत्नाकर विनायक साखलकर को आज प्रात: उनके आदर्शनगर स्थिति निवास स्थान पर उनकी पुत्री श्रुति व पुत्र श्री सचिन साखलकर के माध्यम से इस पुरस्कार के बारे में बताया गया। अत्यधिक बुजुर्ग व शारीरिक कमजोरी तथा कम सुनने की तकलीफ के कारण उनके पुत्र व पुत्री ने बताया। रत्नाकर विनायक साखलकर 1954 में अजमेर आये तथा डी.ए.वी. कॉलेज में चित्रकला के विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। चित्रकला के एम.ए. के पाठ्यक्रम के निर्धारण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने पूना के सर जे.जे. स्कूल ऑफ आटर्स से स्नातक तथा स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।

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