अपने पापों की सफलता के लिए भगवान से मनौति मत मांगो

श्रावक संस्कार शिविर का आठवें दिन, उत्तम तप धर्म पर प्रवचन
IMG_20170902_181811मदनगंज-किशनगढ़। दशलक्षण पर्व पर आयोजित श्रावक संस्कार शिविर के आठवें दिन मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने उत्तम तप धर्म पर अपने प्रवचन में कहा कि तप की भूमिका में जब हम विचार करते है कुछ हमें करने की प्रेरणा मिलती है, कुछ जागने की प्रेरणा मिलती है। कुछ ऐसा हमें करना बाकी रहता है जो हमें करना चाहिए। हम धर्म के निकट पहुंच जाते है भगवान को पा लेते है गुरू को पा लेते है, शास्त्र की बातें भी सुन लेते है। लेकिन वह सब हासिल नहीं हो पाता जो हमें करना चाहिए। कई बार हम ऐसे अनैतिक कार्यों में देव-शास्त्र-गुरू को भी शामिल कर लेते है जो कार्य करने योग्य नहीं थे, अनैतिक थे। लोग अपने पापों की सफलता के लिए भगवान से मनौति मांगते है। सफलता के लिए भगवान से भावना बहाते है। ये स्थितियां तो बहुत ही निकृष्टतम निकृष्ट है। कितना भी कोई अपराध हो जाए उस अपराध के प्रायश्चित के लिए बहुत झूठ बोल देना, अपनी सौगंध खा लेना कि यदि मैंने अपराध किया तो नर्कों में पडू, दुर्गती में जाउँ। सौगंध हमेशा अनिष्ट की खाई जाती है, ईष्ट की नहीं खाई जाती है। तुम भले ही सब झूठ बोल लेना किन्तु अपने प्रिय व भगवान की सौगंध मत खाना। हमें ऐसी कोई गलत इच्छा नहीं करनी चाहिए जिसके सफल होने के लिए देव शास्त्र गुरू का सहारा लेना पड़े, उनका नाम लेना पड़े, उनको जपना पड़े। मुनिश्री ने कहा कि उपवास कोई व्यक्ति करता है तो लोग उसे क्रियाकांड कहते है, कितनी अज्ञानता है। उपवास एक भेद विज्ञान का प्रेक्टिकल है। समयसार में कहा गया है कि आत्मा शरीर से भिन्न है। शरीर से आत्मा का कोई संबंध नहीं है। तुमने ये सात दिन जो रटा है उसके बाद आठवें दिन उपवास करके प्रेक्टिकल करो।
मुनिश्री ने कहा कि उपवास करने की शक्ति नहीं है तो उनोदर करो यानि भूख से कम खाना। चार रोटी खाते हो तो तीन खाओ। चार गिलास पानी पीते हो तो तीन पीओ। एकासन के नाम पर लोग एक बार में डेढ़ा भोजन कर लेते है। वैसे भोजन करने में 10 मिनट लगते है तो एकासन के दिन 1 घंटे तक बैठे ही रहते है। एकासन तो वह माना जाएगा जितना टाइम हमेशा लगाते हो खाने में उतना ही समय लो, तुम जितना एक बार में खाते हो उतना ही खाओ तो वह सही मायने में एकासन माना जाएगा। थोड़ा सोचा तो सही तुम ये क्या कर रहे हो। त्याग के नाम पर नमक का त्याग करके मीठा बढ़ा देना ये तो त्याग के नाम पर बेईमानी है। मुनिश्री ने कहा कि मैंने जीवन भर के लिए 1 बार ही आहार करने का संकल्प ले रखा है और उसको भी छोडऩे के लिए कई बार उपवास कर लेता हँू मेरे भक्तों तुम कम से कम रात्री भोजन करने का त्याग तो कर लो।
ये कार्यक्रम हुए
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार सामूहिक प्रार्थना, अभिषेक एवं सामूहिक संगीतमय पूजन, तत्वार्थसूत्र वाचना एवं अर्घ समपर्ण, सामूहिक सामयिक अध्ययन पठन पाठन, जिज्ञासु प्रश्रोत्तर (मुनिश्री से), मुनिश्री द्वारा कक्षा पाठ्यक्रमानुसार, सामूहिक श्रावक प्रतिक्रमण, आचार्य भक्ति एवं सामूहिक आरती, ग्रुप अनुसार अध्ययन कक्षाएं सहित विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम विधिवत रूप से सम्पन्न हुए।
शिविर पुण्यार्जक
26 वें श्रावक संस्कार शिविर पुण्यार्जक का सौभाग्य चत्तरदेवी पाटनी, किशनगढ़ को मिला।
ये रहे श्रावक श्रेष्ठी
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार प्रात: अभिषेक एवं शांतिधारा, चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन, सायंकालीन आरती एवं वात्सल्य भोज पुण्यार्जक का सौभाग्य कंवरलाल महावीरप्रसाद अशोक कुमार सुरेश कुमार विमल कुमार विनीत विकास विनय विवेक ऋषभ पाटनी (आर.के. मार्बल) परिवार को मिला। द्रव्य पुण्यार्जक का सौभाग्य रमेशचंद मनोरमा देवी सत्येन्द्रकुमार शुभांगी कुमारी, श्रुति एवं सेजल नजा परिवार को मिला। अल्पाहार पुण्यार्जक का सौभाग्य नेमिचंद, माणकचंद, नरेन्द्रकुमार गंगवाल परिवार को मिला।
ये रहे उपस्थित
इस मौके पर आर.के. मार्बल ग्रुप के अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी, राजीव गंगवाल, राजेन्द्रकुमार बैद, भागचंद बोहरा, निर्मल पाटोदी, विनोद चौधरी, राजेन्द्र चौधरी, प्राणेश बज, जयकुमार बैद, विजय गंगवाल, विनोद छाबड़ा, दिनेश पाटनी, सुभाष चौधरी, चेतनप्रकाश कटारिया, स्वरूपचंद छाबड़ा, कुंतीलाल काला, प्रदीप गंगवाल, मनोज बोहरा, विनय छाबड़ा, अंकित सेठी, रोहित बाकलीवाल आदि मौजूद थे।

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