मित्तल हाॅस्पिटल में हुआ थायराइड की गांठ का दूरबीन से इलाज

कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रशांत शर्मा ने की बिना चीरा लगाए सर्जरी
अत्याधुनिक तकनीक से हुए दो महिलाओं के सफल आॅपरेशन

IMG-20171003-WA0006अजमेर, 3 अक्टूबर()। पुष्कर रोड, अजमेर स्थित मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर में दो महिलाओं के थायराइड की गांठ का बिना चीरा लगाए सफल आॅपरेशन किया गया। दूरबीन के जरिए मुंह के अंदर से इस तरह की काॅस्मेटिक सर्जरी अजमेर में पहली बार मित्तल हाॅस्पिटल में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत शर्मा ने की है। चिकित्सकीय भाषा में इस सर्जरी को ‘‘ट्रांस ओरल एन्डोस्कोपिक थायराइड सर्जरी’’ कहा जाता है।
डाॅ प्रशांत शर्मा के अनुसार थायराइड की गांठ के आॅपरेशन सामान्य रूप से किए जाने पर पीड़ित के गले पर चीरे का निशान रह जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए सर्जन अनेक बार शरीर के ऊपरी हिस्से में ऐसे स्थान का चयन करते हैं जहां चीरा लगाए जाने पर वह सामने से दिखाई ना दे और सर्जरी भी आसानी से संभव हो सके। इसके लिए छाती पर तो कभी अंडर आर्म चीरा लगा कर गले में स्थित थायराइड की गांठ तक पहुंचा जाता है और उसे शल्य क्रिया कर निकाला जाता है।
डाॅ प्रशांत शर्मा ने बताया कि थायराइड गांठ की समस्या से पीड़ित एक महिला की उम्र तो करीब 55-60 साल की है जबकि दूसरे की उम्र मात्र 30 साल है। इन महिलाओं के थायराइड गांठ का आकार भी बड़ा था। डाॅक्टर ने बताया कि थायराइड की गांठ का आकार बढ़ने से उसका दबाव श्वास नली पर पड़ता है और पीड़ित को श्वास लेने में दिक्कत होती है। कभी-कभी यह कैंसर के रूप में भी डवलप हो जाती है। डाॅ प्रशांत ने बताया कि थायराइड की गांठ शरीर में आयोडीन की कमी के कारण होती है। ज्यादातर महिलाओं में गर्भावस्था के समय बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि यूं प्रारम्भिक स्तर पर सामान्य जीवन में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। गांठ का आकार बढ़ जाता है तो वह गले पर बाहर की तरफ उभरी हुई दिखाई देने लगती है। इसका सर्जरी के अतिरिक्त कोई विकल्प भी नहीं है। पूर्व में थायराइड गांठ की सर्जरी के लिए मरीजों को अजमेर से बाहर जाना पड़ता था। उन्होंने बताया कि इस आॅपरेशन में उनके साथ नाक, कान गला रोग विशेषज्ञ डॉ रचना जैन, निश्चेतन विशेषज्ञ डॉ नेल्सन बोस, नर्सिंग स्टाफ साजिद, राहुल व मुकेश का सराहनीय सहयोग रहा।
थायराइड हार्मोन के कम या ज्यादा होने पर लक्ष्ण-
डाॅ प्रशांत ने बताया कि शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होने पर मरीज को कार्य करने में शिथिलता, सर्दी सामान्य से अधिक लगना, पैरों में सूजन आना, पेट या मोटापा होना, शरीर में कमजोरी महसूस होना होता है। वहीं थायराइड हार्मोन ज्यादा होने पर गर्मी सामान्य से ज्यादा महसूस होती है। सर्दी में ठण्ड सामान्य से कम लगती है, मन बेचैन या अधीर रहता है, दिल की धड़कन तेज होती है, नींद में कमी रहती है, शरीर दुबला होने लगता है लेकिन भूख अच्छी लगती है।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया मित्तल हाॅस्पिटल में एक ही छत के नीचे सभी सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा सेवाएं यथा हृदय रोग, हार्ट व वास्कुलर सर्जरी, कैंसर रोग, गुर्दा रोग, ब्रेन व स्पाइन रोग, एंडोक्राइनोलाॅजी, पथरी, प्रौस्टेट व मूत्र रोगों के उपचार की सुविधा उपलब्ध हंै। मित्तल हाॅस्पिटल अजमेर संभाग का एक मात्र एनएबीएच मान्यता प्राप्त हाॅस्पिटल है। भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निर्धन व वंचित वर्ग को निःशुल्क चिकित्सा प्रदान कर रहा है।
सन्तोष गुप्ता/जनसम्पर्क प्रबन्धक/9116049809

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