संत पुष्करदास जी एवं गौ भक्त हटूका का अभिनंदन

सत्कर्म मानव जीवन की अमूल्य पूंजी:श्री पुष्करदास जी महाराज
शांतिपूर्ण वातावरण में सुगति बने रहने की संभावना
सत्संग वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है
जो व्यक्ति धैर्य और संयम रखता है वो ही जिंदगी में आगे बढ़ता हैं

1अजमेर। श्री पुष्कर गौ आदि पशुशाला समिती की ओर से लोहागल रोड स्थित गौशाला में चल रही भक्त नरसी मेहता और नानी बाई का मायरा कथा के पंचम दिवस गुरुवार को सुविख्यात संत एवं कथावाचक श्री पुष्करदास जी महाराज ने कथा के दौरान कहा कि सत्कर्म मानव जीवन की अमूल्य पूंजी है। सत्कर्मों से व्यक्ति महान बनता है। सत्कर्म ही मानव जीवन को ऊंचे शिखर पर पहुंचा सकता है। उसे मुक्ति दिलाने तक की यात्रा सत्कर्म पूरा कराती है। सत्कर्म में मन लगाए रखना सतत व्यस्तता दे सकता है और यह प्रयास ही तपस्या है। कर्म और उनके आचरण में निरंतर परिष्कृत होते रहने की आवश्यकता है और होता भी है। यह सर्व हिताय अपने-अपने कर्म या सत्कर्म करने में सहजता/सरलता लाएगा। शांतिपूर्ण वातावरण में सुगति बने रहने की संभावना है, इसीलिए मानव हित या जीव हित में यह कहा जाता है कि कर्म को सत्कर्मों की ओर बढ़ायें। सर्वसुविधायुक्त सत्य मार्ग पर चलने से सभी जीव जगत को सहजता और सरलता प्राप्त होती रहेगी।
कथा आयोजन समिति के लक्ष्मी नारायण हटूका ने बताया कि संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि जब हमारे सत्कर्म हमेशा हमारे आचरण में होंगे तो परमात्मा का साथ होना शत-प्रतिशत संभव है। परमात्मा की अपने संग उपस्थिति का अनुभव कितना सरल और सहज है, जबकि एक आध्यात्मिक विचार इसे अत्यन्त क्लिष्ट, दुर्गम्य एवं दुर्लभ बताता है। हमें ऐसे क्लिष्ट परमात्मा की प्राप्ति के प्रयासों में उलझने की आवश्यकता नहीं है। मनुष्य यदि सत्कर्मों पर अग्रसर होता रहे, तब उसका कल्याण निश्चित है। सत्कर्मों में ईश्वर की उपस्थिति रहती ही है और यही उपस्थिति सत्कर्म करते रहने की प्रेरणा देती है।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि सत्संग की बहुत महिमा है, सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है ओर साथ साथ चरित्र को सुधारता भी है। सत्संग से मनुष्य को जीवन जीने का तरीका पता चलता है, सत्संग से ही मनुष्य को अपने वास्तविक कर्तव्य का पता चलता है। सत्संग से विवेक जागृत होता है ओर विवेक जागृत होने के बाद भगवान से प्रेम होता है ओर प्रेम से प्रभु प्राप्ति होती है। सत्संग से मनुष्य के करोडो करोडो जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है,सत्संग से मनुष्य का मन बुद्धि शुद्ध होती है, सत्संग से ही भक्ति मजबूत होती है। भगवान की जब कृपा होती है तब मनुष्य को सत्संग ओर संतो का संग प्राप्त होता है। सत्संग मे बतायी जाने वाली बातो को जीवन मे धारण करने पर भी आनंद की प्राप्ति ओर प्रभु से प्रीति होती है। जीवन से सत्संग को अलग नही करना चाहिये। जब सत्संग जीवन मे नही रहेगा तो संसार के प्रति आकर्षण बढेगा। सत्संग बहुत दुर्लभ है ओर जिसे सत्संग मिलता है उसपर भगवन की विशेष कृपा होती है।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि ईश्वर या देवता की भक्ति के लिये उनके नामों को भांति-भांति रूप में उच्चारना कीर्तन कहलाता है। यह भक्ति के अनेक मार्गों में से एक है। इस कलियुग में ईश्वर की आराधना की विधि यह है कि भगवान के पवित्र नाम के कीर्तन द्वारा यज्ञ किया जाए, जो बुद्धिमान ऐसा करता है वह निश्चय ही ईश्वर के चरणकमलों में शरण प्राप्त करता है। कीर्तन से आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं, दैवी शक्तियां बढती हैं, ईश्वर के प्रति विश्वास बढता है, आत्मबल, आत्म विश्वास व आत्मज्ञान में वृद्धि होती है।
‘म्हारी हुंडी स्वीकारो महाराज सांवरो गिरधारी।’ भक्त शिरोमणि नरसिंह मेहता की यह करुण पुकार जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुनी, तो वे प्रकट हो गए। भाव में डूबा भजन गुरुवार को कथा में सुनाया गया, तो गौशाला परिसर में बैठे श्रद्धालु भावुक हो उठे। पुष्करदास जी महाराज ने नरसिंह मेहता की भगवान के प्रति अगाध श्रद्धा की कथा सुनाई। कहा कि मात्र सात सौ रुपए की हुंडी द्वारकाधीश भगवान ने सांवरे सेठ के नाम लिखी थी और उस हुंडी के भुगतान के लिए प्रभु श्रीकृष्ण खुद सांवरे सेठ बन गए। उन्होंने कहा जहां भाव से भक्त भजन करते हैं ओहा प्रभु का निवास होता है। भजन से सभी गम और चिंताएं समाप्त हो जाते हैं।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति धैर्य और संयम रखता है वो ही जिंदगी में आगे बढ़ता हैं जो व्यक्ति ऊंची आवाज में बात करता है उनका वर्चस्व जल्दी खत्म होता हैं। युवाओं को अपनी भाषा और वाणी पर संयम रखना चाहिए। हमारे धैर्य का सीधा संबंध न केवल हृदय और मन से ही होता है, बल्कि हमारी चेतना से भी होता है।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज का अभिनंदन
गुरुवार को श्री राधाकृष्ण सखा परिवार द्वारा संत श्री पुष्करदास जी महाराज एवं गौ भक्त लक्ष्मीनारायण हटूका का अभिनंदन किया गया। परिवार के ओमप्रकाश मंगल, पवन फतेहपुरिया, ईश्वरचंद्र अग्रवाल, रामरतन छापरवाल, गोकुल अग्रवाल, दिनेश परनामी, सत्यनारायण पलड़ीवाल, बेनीगोपाल गनेड़ीवाल, चतुर्भुज गनेड़ीवाल, उमेश गर्ग, विष्णु गर्ग, अशोक टांक, राजेंद्र अग्रवाल, महेश चाँद गुप्ता ने संत श्री पुष्करदास जी महाराज को माल्यार्पण कर और शॉल ओढ़ाकर अभिनन्दन किया। लॉयंस क्लब अजमेर उमंग द्वारा संत श्री पुष्करदास जी महाराज का अभिनंदन किया गया। हतुका को साफा पहना कर और शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। क्लब के अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल, उपाध्यक्ष इंदु टांक, सचिव अशोक टांक, संरक्षक महेंद्र मित्तल, ज्योत्स्ना मित्तल, शकुंतला मित्तल आदि ने संत श्री पुष्करदास जी महाराज का अभिनंदन किया।
कथा के दौरान संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने साज की मधुर धुन पर सब दुःख दूर हुए जब तेरा नाम लिया, भाया रंग सूं तो रंग मिल जाये गुणा ऋ जोड़ी नाही मिले, म्हारी हुंडई स्वीकारो महाराज रे सांवरा गिरधारी, गाडी में बैठा ले रे बाबा म्हारे जानो नगर अंजार, भगत म्हारो मुकुट मणि मोकु भजे तो भजुँ मैं उनको, आदि भजन भी प्रस्तुत किये जिस पर कथा प्रांगण मे उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।
गुरुवार की कथा का शुभारम्भ ग्रन्थ पूजन से हुआ। विद्वान आचार्यगण पंडित गोविन्द जी कोइराला, आचार्य बालकिशन और आनंद जी ने भगवत पूजन कराया। गुरुवार को कालीचरण खंडेलवाल, माणकचंद सिसोदिया, रणजीतमल लोढ़ा, रमाकांत बाल्दी, अग्रवाल समाज के अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रवाल, किशन दानी, श्रीकृष्ण टंडी और कमल पंसारी ने कथा पूजन किया और संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने का चरणवन्दन किया। मंच संचालन उमेश गर्ग ने किया। संचालन उमेश गर्ग ने किया।

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