अनुभूति से अभिव्यक्ति की प्रक्रिया है कविता

साहित्य अकादमी की कविता लेखन कार्यशाला संपन्न

DSC_6906अजमेर/‘मन दृग से निसरित धार बहे तब जाकर होती है कविता‘ और ‘कविता लिखना है बहुत कठिन पूछो इन फनकारों से, ये तो लोहा काट रहे हैं कलम की तलवारों से‘ जैसी प्रेरक कविताओं के माध्यम से कविता का मर्म और कर्म समझाते हुए राष्ट्रधारा के प्रख्यात वीर रस कवि योगेन्द्र शर्मा ने कहा कि आस्था जितनी प्रबल होगी कविता उतनी ही सफल होती है। उन्होंने शहीदों के बलिदान और शौर्य का चित्रण करते हुए ओजस्वी स्वर में जब मार्मिक व जोश से भरी कविताओं का पाठ किया तो श्रोताओं की आँखें श्रद्धा से नम हो गयीं और पूरा सदन तालियों की गड़गड़हट से गूंज उठा। वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा नाट्यवृंद संस्था की सहभागिता से सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में मंगलवार 19 दिसम्बर को आयोजित कविता विधा पर केन्द्रित ‘रचनात्मक लेखन कार्यशाला एवं प्रतियोगिता‘ के अवसर पर अतिथिकवि के तौर पर बोल रहे थे। हास्य-व्यंग्य के लिए प्रख्यात कवि रासबिहारी गौड़ ने कहा कि वायु का प्रवाह, खुश्बू का भीनापन और पानी की गति अहसास का विषय है और इसी अहसास का बोध कराती है कविता। उन्होंने कविता के संस्कार और परम्परा को नयी पीढ़ी तक ले जाने के अकादमी के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कविता जीविकोपार्जन चाहे न देती हो पर जीवन का बोध कराती है। अच्छी कविता के लिए शब्द, संवेदना, संप्रेषण और परिष्कार महत्वपूर्ण तत्व हैं।
मुख्य अतिथि डॉ बद्रीप्रसाद पंचोली ने वरिष्ठ साहित्यकारों से युवा रचनाकारों को कविता से जोड़ने का आह्वान किया। अध्यक्षता कर रहे उपाचार्य डॉ हासुल दासानी ने प्रभावी कविताएं लिखने के लिए विद्यार्थियों से अधिकाधिक साहित्य पढ़ने की बात कही। अकादमी सदस्य उमेश कुमार चौरसिया ने युवा पीढ़ी को अपनी ऐसी काव्य रचनाएं लिखने का आह्वान किया जो मनुष्य व समाज को सही दिशा दिखाने वाली और राष्ट्र के प्रति श्रद्धा व समर्पण का भाव जगाने वाली हों। इस अवसर पर अकादमी अध्यक्ष डॉ इन्दुशेखर तत्पुरूष का संदेश भी पढ़कर सुनाया गया। सभी अतिथियों ने महाविद्यालय परिसर में पौधारोपण भी किया।
प्रारंभ में कार्यशाला संयोजक डॉ पूनम पाण्डे ने कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताते हुए अतिथियों का परिचय दिया। प्रथम सत्र में 76 युवा प्रतिभागियों को कविता लिखने का विधिवत प्रशिक्षण देते हुए डॉ अनन्त भटनागर ने बताया कि कविता अनुभूति से अभिव्यक्ति की ओर बढ़ने की प्रक्रिया है। महाकवि निराला की कविता ‘राम की शक्ति पूजा‘ का उदाहरण देते हुए कविता में बिम्ब और प्रतीकों के विशेष महत्व को समझाया। मधुर गज़लकार गोपाल गर्ग ने सस्वर ‘एक उजड़े पेड़ पे बैठे परिंदे को लगा, जो सहारा था कभी खुद बेसहारा हो गया‘ सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। डॉ परमानन्द शर्मा ने छान्दस कविताओे के बारे में बताया। संस्कृत व हिन्दी विभाग के सहयोग से हुई इस कार्यशाला की समन्वयक डॉ अर्चना भार्गव व डॉ अन्जू गुप्ता ने सभी का आभार ज्ञापित किया और डॉ अनीता खुराना व डॉ दीपा सहाय ने सहयोग किया। डॉ जितेन्द्र थदानी ने रोचकतापूर्ण संचालन किया।
श्रेेष्ठ कविताओं को मिला पुरस्कार
दूसरे सत्र में प्रतिभागी विद्यार्थियों ने कार्यक्रम स्थल पर ही विविध विषयों पर कविताएंँ लिखीं। इनका त्वरित मूल्यांकन करने के उपरान्त गरिमा मौर्य की कविता ‘नया सवेरा‘ को प्रथम, सांवरलाल चौधरी की कविता‘जिन्दगी का सफर‘ को द्वितीय, शैली कनौजिया की कविता ‘पानी की प्यास‘ को तृतीय तथा विद्या अग्रवाल की ‘माँ‘ तथा झलक अग्रवाल की ‘नन्हीं चिड़िया‘ कविता को प्रोत्साहन पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। इन्हें वसीयत है कविता सहित श्रेष्ठ कवियों की पुस्तकंे भी भेंट की गयीं।

डॉ पूनम पाण्डे
संयोजक
संपर्क-9828792720

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