4 दिन में 52 मौतें होना अजमेर के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना

congress logoअजमेर 21 दिसम्बर। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में पिछले 4 दिन में 52 मौतें होना अजमेर के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना है, यदि सरकार ने शीघ्र कोई संज्ञान नहीं लिया तो अजमेर का कांग्रेसी सड़कों पर उतर कर विरोध करेगा। कांग्रेस का आरोप है कि ऐसी संवेदनहीन सरकार को बने रहने का कोई नैतिक दायित्व नहीं जिसको लोगों की जिंदगी की परवाह नहीं है जनता इसे उखाड़ फेंकने को तैयार बैठी है।
शुक्रवार को शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन के नेतृत्व में कांग्रेसियों के एक शिष्टमंडल ने संभागीय आयुक्त मीणा से मुलाकात कर इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में पिछले 4 दिनों में 52 लोगों की जान जा चुकी है। सरकार के दोनों मंत्री और प्रशासन बेखबर है आज तक अजमेर का प्रतिनिधित्व कर रहे दोनों मंत्रीगण या किसी प्रशासनिक आला अधिकारी ने अस्पताल का दौरा करना तक मुनासिब नहीं समझा है जिससे प्रतीत होता है कि मंत्रियों और अधिकारियों को भी आमजन की जिंदगी की कोई परवाह नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि सम्भागीय आयुक्त को सौंपे ज्ञापन में बताया गया कि सेवारत चिकित्सकों के सामुहिक इस्तीफों और उसके बाद उनकी हड़ताल से अजमेर में बिगड़े हालातों से चिकित्सा विभाग और जिला प्रषासन बिलकुल बेखबर एवं लापरवाह है कोई ठोस वैकलपिक व्यवस्था नहीं की गई है हालात इतने बिगड़ गऐ हैं कि इलाज के आभाव में मरीजों का लगातार मरना जारी है और सरकार सहित जिला प्रषासन को इसकी कोई चिंता नहीं है। चिकित्सकों और सरकार के बीच चल रही तकरार से सर्वाधिक परेशानी को जनता हो रही है। लोग अपने बीमार परिजनों को लेकर एक से दूसरे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं उपचार नहीं मिल पा रहा है। कांगेंस पदाधिकारियों ने सम्भागीय आयुक्त से दो टूक शब्दों में चेतावनी देते हुऐ कहा यदी शीघ्र हालात सामान्य नही हुऐ तों शहर का कांग्रेसजन शान्ति से बैठने वाला नही है मौतों का सिलसिला यूंही चलता रहा तों प्रषासन की ईंट से ईंट बजा दी जाऐगी।
सम्भागीय आयुक्त से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने पत्रकारों से बात करते हुऐ सरकार पर आरोप लगाया कि चिकित्सा मन्त्री के रह-रहकर आपत्तिजनक बयान, जान-बूझकर किए गए तबादलों और अचानक की गई गिरफ्तारियों के कारण स्थिति बिगड़ी है। इसके लिए मंत्री और सरकार का रवैया जिम्मेदार है। पिछले महीने 12 नवंबर को सेवारत चिकित्सकों और सरकार के बीच समझौता हो गया था। लेकिन लिखित समझौते की क्रियान्विति के बीच सरकार एक के बाद एक सख्त फैसले करती गई। चिकित्सा मंत्री सख्त बयान भी देते रहे। इस बीच डॉक्टरों के तबादले किए तो बात बिगडने लगी है।
उन्होने कहा कि जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय में पिछले 4 दिनों में 52 लोगों की मौत होना सरकार की संवेदनहीनता की प्राकाष्ठा है। चिकित्सकों की हड़ताल से बिगड़े हालातों से चिकित्सा विभाग और जिला प्रषासन बिलकुल बेखबर एवं लापरवाह है कोई ठोस वैकलपिक व्यवस्था नहीं की गई है हालात इतने बिगड़ गऐ हैं कि अस्पताल में दम तोड़ते मरीजों के आंकड़े इसकी पोल खोल रहे हैं। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में डाॅक्टरों की हड़ताल के कारण चरमराई चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू करने के लिये व्यापक स्तर पर वैकलपिक व्यवस्थाऐं अपेक्षित थी मगर जिला प्रषासन और चिकित्सा विभाग की लापरवाही के कारण वैकलपिक व्यवस्थाऐं नही की गई और अस्पताल मे हालात बद से बदतर हो गये।
उत्तर ब्लाॅक ब के प्रभारी क्रांति तिवारी ने सरकार को घेरते हुऐ कहा कि सरकार डॉक्टरों का दमन कर रही है पिछली बार हड़ताल के लिए चिकित्सा मंत्री ने राजनीतिक चाल को जिम्मेदार बताकर ठीकरा फोडने की कोशिश की थी। लेकिन इस बार खुद मंत्री के बयान और सरकार का रवैया हड़ताल का कारण बना है। पिछले समझौते की पूरी तरह पालना कराने की बजाय सरकार दमन की कार्रवाई कर रही है। सरकार ब्यूरोक्रेट्स के इतने दबाव में है कि लिखित समझौते के बावजूद आरएएस अधिकारी को नहीं हटाया उलटे डॉक्टरों को ही हटाया जा रहा है। सरकार और चिकित्सा मंत्री का रवैया ही हड़ताल का कारण बना है।
दक्षिण ब्लाॅक अ के प्रभारी विक्रम वाल्मीकी ने कहा कि चिकित्सा के आभाव मे कई मरीजों की मौत हो चुकी है। जेएलएन अस्पताल के 210 रेजीडेंट चिकित्सकों के बाद शेष 60 और रेजीडेंट चिकित्सक कार्य बहिष्कार कर हड़ताल पर चले गए हैं। कैज्युल्टी के वार्ड मंगलवार को खाली हो गए, चिकित्सक भी अब मरीजों को कम ही भर्ती कर रहे हैं जिससे मरीजों के परिजनों को अपने रोगी को लेकर इधर से उधर भटकना पड़ रहा है।
षिष्टमंडल में कुलदीप कपूर फकरे मोईन, प्रताप यादव, कैलाश झालीवाला, गुलाम मुस्तफा, नौरत गुर्जर, दीपक हसानी, विपिन बेसिल, श्याम प्रजापति, अंकुर त्यागी, रश्मि हिंगोरानी, शिव बंसल, सुरेश लद्दड़, अभिलाषा बिश्नोई, सर्वेश पारीक, सबा खान, सागर मीणा, हमित चीता, राकेश चैहान, कैलाश कोमल, बालमुकुंद टांक, रमेश सोलंकी, अतुल अग्रवाल, मनीष शर्मा, नीरज यादव, अरुण कच्छावा, मनीष सेठी शामिल थे।

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