डॉक्टरों की हड़ताल पर, एक डॉक्टर ने किये कई सवाल खड़े

अखिलेश पालरिया- चिकित्सक
अखिलेश पालरिया- चिकित्सक
सरवाड़-अजमेर[इक़बाल खान]
चिकित्सकों की हड़ताल पर एक यक्ष प्रश्न, जो उत्तर माँग रहा है। जहा पुरे राजस्थान के डॉक्टर सामूहिक हड़ताल पर चल रहे वही सरवाड़ कस्बे के डॉक्टर अखिलेश पलरिया ने हड़ताल पर उठाये कई सवाल। और अपना कर्तव्य समझते हुए मरीजो के मरने की संख्या में इजाफा,प्रसूता को तड़फते देख हड़ताल के चन्द दिन बाद ही ड्यूटी पर चढ़कर मरीजो की सेवा में जुट गए है।और डॉक्टरों की सामूहिक हड़ताल पर कई सवाल खड़े किये जो डॉक्टरों की अन्तरात्मा को झिझकोर रख देगा। इन्ही सवालो के माध्यम से हड़ताल बन्द कर ड्यूटी पर चढ़ने की डॉक्टरों से अपील की है।
पृथ्वी पर सबसे संवेदनशील कौम चिकित्सकों की है… माना, भगवान का दर्जा पाने वाले चिकित्सकों के आत्मसम्मान से जुड़े कुछ ज्वलंत बिन्दु हैं जो असंवेदनशील सरकार के समक्ष विचारार्थ रख दिए गए हैं। लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण हजारो मरीज मर रहे हैं…? इन लाचार मरीजों व उनके परिजनों का क्या गुनाह है…..?
क्या हम चिकित्सक अपने सपनों का महल मरीजों की लाशों पर बनाएं….? हम बेगुनाहों को मरने से न बचा कर अपने सपने साकार कर भी लें,तो क्या मन चीत्कार नहीं करेगा…? यदि हाँ,तो यह लड़ाई क्यों जारी रखे हुए हैं…? यदि नहीं, तो उस माँ के बारे में सोचें जिसकी आँखों का तारा हमारे कारण बच जाता…? उस प्रसूता की दर्दनाक मौत को लेकर उसके बिलखते बच्चों व पति के बारे में भी सोचें… ? हम उनके कुछ नहीं लगते लेकिन उन्हें बचा लेने का सुख हमारे आत्मसम्मान से बढ़ कर है…? उसे अनुभव करके देखें !
“सरकार तो निकम्मी है… विपक्ष भी निकम्मा है,क्योंकि उसे राजनैतिक लाभ चाहिए “.. लेकिन फिर क्या हम भी निकम्मे बन जाएं?

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