निशुल्क दवा योजना के एक वर्ष पूर्ण होने पर कार्यशाला

अजमेर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर विगत वर्ष 2 अक्टूबर को राज्य में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के क्रियान्वयन का एक वर्ष पूर्ण होने पर चौंकाने वाली जनहितकारी उपलब्धियां अर्जित हुई हैं।
राज्य में एक वर्ष में 300 करोड़ रूपये की जेनरिक दवाईयां रोगियों को निशुल्क दी गई यदि आम गरीब व्यक्ति इन दवाईयों को पूर्व की भांति ईलाज के लिए बाजार से खरीदता तो 1500 करोड़ रूपया उसकी जेब से निकलता, इसका सीधा लाभ दवा बनाने वाली ब्रांडेड कम्पनियों को मिलता और इसमें कई परिवार कर्ज से डूब जाते तो कई अपने ईलाज के लिए पैसा नहीं होने के कारण परिजन को खो देते।
यह महत्वपूर्ण खुलासा राज्य चिकित्सा सेवा निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. समित शर्मा ने मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के एक वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित अधिकारी, डॉक्टर्स एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की कार्यशाला में किया। इस योजना के क्रियान्वयन से आमजन में सस्ती जेनरिक दवाईयों के उपयोग के प्रति विश्वास बढ़ने से अस्पतालों में आउटडोर और इन्डोर रोगियों की संख्या में 40 से 55 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है । इतना ही नहीं आमजन गरीब व्यक्ति दवा निर्माता कम्पनियों के भ्रमित विज्ञापनों और जेब खाली कराने वाली नीति को समझने लगा है, एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में लगभग एक हजार करोड़ रूपये के फालतू विटामिंस और गैर जरूरती दवाईयां जो व्यक्ति अपने मन एवं डाक्टर की सलाह से ले लेते, उन पर नियंत्राण लगा है।
सरकारी स्तर पर उच्च गुणवत्तापूर्ण दवा प्रबन्धन, वितरण व्यवस्था, चिकित्साधिकारियों की संवेदनशीलता व सजगता से मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा शुरू की गई यह योजना अब डाक्टर  व रोगी के मध्य एक संवेदनशील रिश्ते के रूप में एक दूसरे के पास लाई है। एक वर्ष में अपनी क्रांतिकारी उपलब्धियों और जनसहयोग से यह योजना अब गरीब की जान बचाने की योजना बन गई है। इस योजना ने चिकित्सा प्रबंधन में पनप रही उस बुराई को भी दूर किया जिसमें अस्पताल मात्रा रोगी को पर्ची लिखने का मात्रा काउन्टर रह गये थे । अब रोगी भी जागरूक हुआ है और योजना का लाभ लेने के लिए स्वयं ही मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना वितरण काउन्टर पर पहुंचने लगा है । अस्पतालों की उपयोगिता बढ़ी है।

योजना का क्रियान्वयन देश के लिए आदर्श बन गया है

डॉ. समित शर्मा ने बताया कि राजस्थान में प्रभावी क्रियान्वयन और विशिष्ठ उपलब्धियों से मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना देश के लिए आदर्श बन गई है । अन्य राज्यों में भी इसे लागू करने के लिए राजस्थान को उदाहरण के रूप में देखा जाता है ।
उन्होंने चिकित्साधिकारियों और डाक्टर्स के इसके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और अपने व्यवसाय के प्रति न्याय संगत परंपराओं पर आगे बढ़कर योजना को और प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए स्पष्ट किया कि रोगी को मात्रा दवा लिख देना चिकित्सा शास्त्रा नहीं है, रोगी का उपचार करना, चिकित्सा शास्त्रा है । उन्होंने कहा कि रोगी को दवा लिखते वक्त अपने ईश्वर और ईमान को ध्यान में रखें, निश्चित ही गौरवपूर्ण सफलता मिलेगी । चिकित्सालय उपचार के केन्द्र बनें । मरीज की मदद करें ।
डॉ. शर्मा ने कार्यशाला में डाक्टर्स को पावर प्रजेन्टेशन के माध्यम से विभिन्न दवा कम्पनी द्वारा निर्मित ब्रांडेड दवाओं की कीमत, फार्मूले और जेनरिक दवाईयों की उपचार क्षमता, कीमत में भारी अन्तर आदि कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी दी ।
उन्होंने कहा कि दवा कम्पनियों का मुख्य ध्येय दवा बेचना है, मुनाफा कमाना है यदि डाक्टर्स भी अपने व्यवसाय में ऐसे हो जायेंगे तो उस गरीब रोगी का क्या होगा जिसके पास ईलाज कराने को पैसा नहीं है । उनके लिए तो डाक्टर ही भगवान है और वह विश्वास से आपके पास आता है । उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि रोगी को अनावश्यक दवाईयां नहीं लिखें । केंसर व अन्य गंभीर बीमारियों की दवाईयां ब्राडेंड कम्पनी, जेनरिक दवाईयों की तुलना में कई गुना मंहगी है । उन्होंने डाक्टर्स को योजना को और आगे बढ़ाने में सहयोग करने का आव्हान भी किया ।
जवाहरलाल नेहरू मेडीकल कॉलेज के आचार्य डॉ. पी.के.सारस्वत ने योजना के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं और उनके निराकरण पर विचार रखे और मुख्यमंत्राी निशुल्क दवा योजना को जीने का अधिकार देने वाली योजना कहा । इसके लिए उन्होंने स्टैंडर्ड पीपुल्स गाईड लाईन को पढ़ने की बात भी कही । जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. अशोक चौधरी ने चिकित्सालय में योजना के क्रियान्वयन एवं प्रबंधन तथा दवा भंडार प्रभारी डॉ. मोहित देवल ने दवाओं के भण्डारण और चिकित्सा केन्द्रों तक वितरण व्यवस्था के बारे में जानकारी दी ।
इससे पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लक्ष्मण हरचंदानी ने सभी का स्वागत किया । इस अवसर पर जिला कलक्टर श्री वैभव गालरिया, राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव श्री के.के.पाठक, जनाना अस्पताल की अधीक्षक श्रीमती ए. सुमन, कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेन्द्र माहेश्वरी, डॉ. जी.एस.झाला सहित विभिन्न चिकित्सा केन्द्रों के प्रभारी, उपमुख्य चिकित्सा धिकारी मौजूद थे । संचालन देवनायक जोशी ने किया।

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