राजपूत संघर्ष समिति का कांग्रेस समर्थन का फतवा मंजूर नही

IMG-20180117-WA0212अजमेर 17 जनवरीं। कल अजमेर में बैठक कर कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का फतवा जारी करने वाली संघर्ष समिति के फैसले के खिलाफ राजपूत युवा जागृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह कारंगा, देवेंद्र सिंह शेखावत, नरेन्द्र सिंह चुंडावत, प्रदीप सिंह गोयला ने प्रेस वार्ता कर इस राजनीतिक फतवे को सिरे से खारिज किया उन्होंने कहा कि समिति समाज को स्पष्ट करें कि आखिर कांग्रेस को समर्थन देने की क्या मजबूरी थी, क्या पढ़ा लिखा समझदार आम राजपूत स्वविवेक से मतदान करने का भी अधिकार नहीं रखता, आखिर सामाजिक उत्थान और सेवा के लिए बनी संस्थाएं अपने भवनों को राजनीतिक अखाड़ा क्यों बना रही ह,ै प्रत्येक समाज में विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के लोग बसते हैं ऐसे इन संस्थाओं को किसने अधिकार दिया कि वह एक पार्टी के पक्ष में फतवा जारी करें,
सामाजिक संस्थाएं समाज के भवन में राजनीतिक फतवे जारी न करें यह परिपाटी समाज के हित में नहीं है, समाज जिन मामलों को लेकर आक्रोशित है जिसमें आनंदपाल एनकाउंटर और फिल्म पद्मावत से संबंधित है दोनों ही मामलों में वर्तमान राज्य सरकार पूर्णत मांगे मान चुकी है आनंदपाल मामले में सीबीआई की जांच और फिल्म पद्मावत मसले में सबसे पहले राजस्थान सरकार ने बैन लगाकर समाज की मांगों को पूरा किया

एनकाउंटर के अलावा दो अन्य मामलों के हो रही सीबीआई जांच में किसी भी सामाजिक नेता को प्रभावित नहीं किया जाए , हम यह मांग सरकार से करते हैं तथा समाज के नेताओं ओर युवाओं पर लगे झूठे मामलों का जल्द निस्तारण करते हुए उन्हें वापस लिया जाए।

हम सहित किसी भी सामाजिक संगठन को हक नहीं कि राजनीतिक फतवे जारी करें ऐसे में आम राजपूत को स्वविवेक से मतदान करने दिया जाए , कांग्रेस को समर्थन देने वाली तथाकथित संघर्ष समिति आखिर क्यों तीनों सीटों में से एक भी टिकट राजपूतों को नहीं दिलवा सके । राजपूती स्वाभिमान और गौरवान्वित इतिहास से जुड़े फिल्म पद्मावत मामले में एक भी कांग्रेस शासित प्रदेश में बैन नहीं किया गया है जबकि भाजपा शासित कई राज्यों में फिल्म पूर्ण हो चुकी है और हम प्रधानमंत्री जी से मांग करते हैं पूरे देश में फिल्म बैन की जाए।

समाज की इस संघर्ष समिति को किसने हक दिया कि वह स्वजातीय नौजवान भाई शक्ति सिंह हाडा को मांडलगढ़ से हराने का फतवा जारी करें क्या राजनीतिक लाभ और लालच में राजपूत का साथ देने क्षत्रिय धर्म भी भूला चुके हैं क्या एक 31 वर्षीय, सदैव समाज के साथ खड़े होने वाले युवा नेता की राजनीतिक बलि देकर यह सब समाज के साथ न्याय कर रहे हैं। आम राजपूत ऐसे फतवों को सिरे से खारिज करतें हुए स्वविवेक से मतदान करेंगा।

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