अजमेर स्थापना दिवस पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए

अजमेर की गंगा जमुनी तहजीब में सभी का हमेशा स्वागत
अजमेर का 906 वा स्थापना दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग राजस्थान एवं पृथ्वीराज फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में अजमेर का 906 वा स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर शाम अजमेर के ऐतिहासिक, धार्मिक और शैक्षणिक महत्व पर संगोष्ठी आयोजित की गयी जिसमे शहर के प्रबुद्ध विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये और अजमेर के सभी क्षेत्रो के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कई विषयो में अजमेर की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खूबियों से सभी को अवगत करवाया।
पद्म श्री डॉ चंद्र प्रकाश देवल ने अपने सम्बोधन में कहा की अजमेर स्थापना दिवस पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए। जिस प्रकार अजमेर में जन्माष्टमी -रामनवमी आदि के आयोजन होते है वैसे ही भगवान श्री राम का अनुसरण करते हुए जन्मभूमि अर्थात अपने शहर को स्वर्ग सामान मान इसके स्थापना दिवस को पारम्परिक रूप में मनाना चाहिए जिसमे जिला प्रशासन, अजमेर विकास प्राधिकरण, अजमेर नगर निगम सभी की प्रमुख भूमिका होनी चाहिए । अजमेर के बगड़ावतों की वीर गाथा बिलकुल आल्हा और ऊदल जैसी है अगर इसका पाठ करें तो जन जागरण होगा। अजमेर, इलाहाबाद, विशाखापत्तनम ये तीनों हैरिटेज शहरों में से एक है, यह सब हमारे लिए गर्व की बात है।
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी ने कहा की अजमेर और पुष्कर का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है अजमेर में आना एक दिनों सौभाग्य शाली बात समझी जाती थी । अजमेर का ब्यावर शहर उन्नीस सौ छप्पन में सबसे ज्यादा आयकर देने वाला शहर बना। अजमेर का टाडगढ़ कर्नल टाड की देन है यहां के रावत, बैराठ, चीता बड़े निडर और होनहार सपूत साबित हुए हैं।
शिक्षाविद अनंत भटनागर ने कहा की अजमेर के इतिहास को टटोल कर देखिए अजमेर की गंगा जमुनी तहजीब में सभी का हमेशा स्वागत रहा। यहां आज स्मार्ट अजमेर की बात कही जाती है मगर आज से पचास साल पहले यह पहनावे में, शिक्षा में, साहस में, निर्माण में सबसे स्मार्ट रहा है। अंग्रेजी सरकार कलकत्ता से बदलकर राजधानी स्थापित कर रही थी तब अजमेर पर भी बहुत विचार किया गया था मगर यह दुर्भाग्य रहा कि अजमेर न देश की न राज्य की राजधानी बन सका।
राजकीय संग्रहालय के अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने कहा की अजमेर के राजकीय संग्रहालय को अतिक्रमण मुक्त करने की जरूरत है तथा इसको ऐसा पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है जहां पर कम से कम चार पांच घंटे का समय गुजारा जा सके। अजमेर एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक नगर है और यह संग्रहालय इसका मुख्य चेहरा बन सकता है।
दरगाह कमेटी के सहायक नाजिम डॉ. मोहम्मद आदिल ने कहा की पूरी दुनिया में चाहे युद्ध हो, तबाही आये, झगडे फसाद हो लेकिन अजमेर वह शहर है जहा ख्वाजा साहब की दरगाह में दुआ व पुष्कर में प्रार्थना अभिषेक किये जाते है। अजमेर का आज़ादी की जंग में भी प्रमुख रोले रहा तो
स्वतंत्र होने के बाद 15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि गोलप्याऊ पर तिरंगा भी उत्साह से फहराया गया। अजमेर में गांधी जी, नेहरू जी, विनोबा भावे, राधाकृष्णन, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, पधारे थे । विश्व विख्यात दार्शनिक , कवि,लेखक शेख सादी जी ने अपनी कृति गुलिस्ताने सादी में
अजमेर का जिक्र किया है ।
इन्टेक अजमेर चैप्टर के प्रभारी भारतीय महेंद्र विक्रम सिंह ने कहा की अजमेर तो दुनिया में अकेला विश्व बंधुत्व का पर्याय है जो पूरे संसार को एकता का सन्देश देता है। शिक्षाविद के के शर्मा ने कहा की अजमेर के दर्शनीय स्थल हमे घर आगन में संजो कर रखना चाहिए ताकि एक मिनी अजमेर हमेशा हमारी निगाह के सामने रहे।
कार्यक्रम संयोजक पृथ्वीराज फाउंडेशन के दीपक शर्मा ने कहा की विगत 5 वर्षो से लगातार अजमेर स्थापना दिवस मनाया जा रहा है, अगले वर्ष सभी के साथ मिलकर विशाल स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे। हर अजमेरवासी के मन में अजमेर के प्रति श्रद्धा का भाव होगा तभी शहर का हित सोच सकेंगे। पृथ्वीराज फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ पूनम पाण्डे ने अजमेर की ऐतिहासिक, शैक्षणिक, धार्मिक, सामजिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक खूबियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर लोक कला संस्थान के संजय सेठी ने विशाल रंगोली बनायी। फाउंडेशन के संजय शर्मा ने आभार प्रदर्शन किया।

Deepak Sharma
9828549049

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