केकड़ी के बांठिया, धम्माणी एवं संचेती सम्मानित

*अलवर में रावण पार्श्वनाथ तीर्थ पर महावीर जयंती महोत्सव के अंतर्गत देश-विदेश से पधारे 108 जिनशासन समर्पित पुण्यशालियों का हुआ बहुमान
*नगर के हंसराज बांठिया, रिखबचंद धम्माणी एवं उदय सिंह संचेती का हुआ सम्मान

केकड़ी
महावीर जयंती के शुभ कार्यक्रम में अलवर स्थित श्री रावण पार्श्वनाथ तीर्थ पर नवपद ओली जी की आराधना का कार्यक्रम दिनांक 29 मार्च 2013 को सम्पन्न हुआ। श्री पीयूष पूर्णा श्री जी महाराज साहब एवं इस तीर्थ के मुख्य प्रेरक सिरोही (राज.) निवासी श्री मनोज कुमार बाबुमलजीहरण ने महावीर जयंती के उपलक्ष में एक अनोखा कार्यक्रम रखा गया। इस कार्यक्रम के तहत देश विदेश के 108 जिनशासन समर्पित पुण्यशालियों का भव्य अभिनंदन एवं पद प्रदान समारोह हुआ। इन 108 पुण्यशालियो में लंदन, बोस्टन, न्यूयॉर्क, नेपाल आदि के साथ-साथ राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आसाम, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के निवासी सम्मिलित थे। ये 108 व्यक्तित्व वो है जो समय-समय पर धर्म एवं समाज के उत्थान के लिए समय देते हैं एवं समाज की रीढ़ की हड्डी हुआ करते हैं। यह सभी पुण्यशाली तन मन धन से मंदिरों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार के कार्यों के साथ-साथ समय पर धर्मसभाये आयोजित करवाते हैं। क्षेत्र के लिए गौरव की बात यह है कि देश विदेश से चुने हुए इन 108 नामों में 3 नाम केकड़ी क्षेत्र से चुना गए। केकड़ी के तीन पुण्यशाली हंसराज बांठिया, रिखबचंद धम्माणी एवं उदयसिंह संचेती है। राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री श्री प्रमोद जैन “भाया” ने इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। कार्यक्रम के चलते सभी 108 पुण्यशालियो को एक जैसे गणवेश में रथ में बिठाकर बेण्डबाजो के साथ ससम्मान सभा स्थल पर लाया गया ।सभी पुण्यशाली एक जैसे पहने हुए दर्शको को आकर्षित कर रहे थे। मंच पर सभी को सिंहासन पर बिठाकर चौकी पर थाली रखकर अंगुष्ठ अभिषेक किया गया। तत्पश्चात माला, दुप्पटा, साफा पहनाकर एवं अभिनंदन पत्र देकर बहुमान किया गया।इस अवसर पर अन्तराष्ट्रीयख्याति प्राप्त शासनरत्न श्रीमनोज कुमार बाबुमलजीहरण ने अपनी चिरस्मरणीय शैली मे एक एक पुन्यशाली का परिचय दिया। उल्लेखनीय है कि अलवर मे जैन समाज की विभिन्न आठ सम्प्रदाय मिलकर भगवान महावीरस्वामी जन्मकल्याणक महोत्सव मनाते है।आठ वर्ष मे आए इस महान अवसर का लाभ आयोजक श्री जैन श्वैताम्बर मुर्तिपुजक संघ अलवर को मिला। प्रातः विशाल रथयात्रा का आयोजन भी हुआ जिसमें भगवानमहावीरस्वामी के जीवन की विभिन्न झाकिया एवं विभिन्न संगीत मण्डली की संगीत ध्वनि से वरघोडे की शोभा बढ़ा रहे थे। दादाबाडी प्रागण में ध्वजारोहण के पश्चात समग्र जैन समाज का स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया। इस धर्मसभा के लगभग 10000 से भी अधिक लोग साक्षी बने।

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