कामनाओं पर गुरु का ज्ञान नहीं टिकता- संत अशोक

केकड़ी:-सत्संग में जाने पर जो रुकावट पैदा करे उससे दूर रहने का प्रयास करें।सत्संग की महिमा महान है इसके लिए,परमात्मा के गुणगान के लिए देवी देवता भी तरसते हैं।
उक्त उद्गार संत अशोक ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चंद्र टहलानी के अनुसार संत अशोक ने कहा कि अगर हमारी नजर में ऊंच-नीच अमीर गरीब का भेद दूर करना है तो हमें समरसता से रहना होगा। आज मनों में भेद हैं,तभी मतभेद हैं।अभाव और प्रभाव से दूर होकर हमें एकरस रहना है इच्छाओं कामनाओं से रहित जीवन जीना है क्योंकि कामनाओं पर गुरु का ज्ञान कभी नहीं टिकता है उठना-बैठना,चलना- फिरना,खाना-पीना,सोना-जागना भी मुबारक बन जाता है जब हम सतगुरु की परमात्मा की रजा में रहना सीख जाते हैं।सद्गुरु की रजा में रहने से उल्टे भाग्य की लकीरें भी सीधी हो जाती है कुमति सुमति में बदल जाती है। हर इंसान अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं किसी पर बोझ ना बने सद्गुरु की सिखलाई अपने जीवन में अपनाएं,अपनापन, आदर,सत्कार,प्यार,नम्रता, सहनशीलता इंसान सत्संग के संग से ही सीख पाता है इसलिए हम हमारे हजार काम छोड़कर भी सत्संग में जाएं संतो महापुरुषों के वचनों को सुनकर अपने जीवन में अपनाएं तो ही हमारा जीवन जीना सार्थक है।इंसान कर्ता न बनकर सद्गुरु की शरण में जाकर परमात्मा को समर्पित हो जाए फिर तू जाने तेरा काम जाने वाली अवस्था बन जाती है और परमात्मा सभी का हित करते हैं सुख दुख तो इंसान के बनाए हुए हैं।
सत्संग के दौरान नमन,गौरव, सानिया,दिव्या,अंजू,भावना,निशा, आरती,दीपक,गोपाल,रतनचंद, हर्षा,ऋशिता,आशा आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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