अजमेर जेल में घट रही अपराधिक घटनाओं की जांच एसआईटी से कराने की मांग

मुज़फ्फर भारती
अजमेर 20 अप्रैल। शहर जिला कांग्रेस ने लोकायुक्त राजस्थान को शिकायत कर अजमेर जेल में हो रहे भ्र्ष्टाचार और घट रही अपराधिक घटनाओं की जांच एसआईटी से कराने की मांग करते हुए कहा कि बिर्टिशकाल से ही संपूर्ण भारत की सर्वाधिक सुरक्षित एवं व्यवस्थित माने जाने वाली सेंट्रल जेल एवं हाई सिक्योरिटी जेल वसुंधरा सरकार की अनदेखी के परिणाम स्वरुप कुख्यात अपराधीयों द्वारा अपराधिक गतिविधियां संचालित करने की षड्यंत्र स्थली बन चुकी है।
शहर कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन द्वारा राजस्थान के लोकायुक्त को भेजें पत्र में बताया गया कि अजमेर में स्थित सेंट्रल जेल एवं हाई सिक्यूरिटी जेल दोनों ही जेल प्रशासन के नियंत्रण से बाहर हो चुकी है दोनों जेलो की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौपट होने के साथ-साथ गैंग संचालन और अपराधिक गतिविधियों के केंद्र बन चुकी है हाल ही में सेंट्रल जेल अजमेर में बंद, बंदी पन्नालाल मीणा की एक दूसरे बंदी द्वारा हत्या किए जाने को जेल प्रशासन द्वारा लीपापोती कर दबाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि इन जेलों में विगत एक वर्ष से लगातार हो रही वारदातों से यह संकेत मिल रहे हैं कि यह साधारण कहा सुनी में की गई हत्या का साधारण मामला नहीं है बल्कि जेल के भीतर पनप रही विभिन्न अपराधिक गैंगों वर्चस्व की लड़ाई से ही यह हत्या कारित जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
लोकायुक्त को भेजी शिकायत में बताया कि उन दोनों बन्दियों की पिछली लंबे समय से चली आ रही रंजिश की जेल प्रशासन द्वारा अनदेखी किए जाने का ही परिणाम इस हत्या के रूप में सामने आए हैं गृह विभाग द्वारा हिरासत में हुई मृत्यु को हल्के में लिया जाना जांच का विषय है जबकि समय समय पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हिरासत में हुई मौत को बेहद गंभीरता से लेते हुए निर्णय प्रतिपादित किया चुके हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने वसुंधरा सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अजमेर की दोनों जेलें सरकार की लापरवाही के कारण हार्डकोर अपराधियों के लिए सैरगाह और अपराधी गतिविधियों के संचालन हेतु राज्य का सबसे सुरक्षित स्थान बन चुकी है। आनंदपाल की फरारी की योजना हाई सिक्यूरिटी जेल अजमेर में ही बनाई गई, आनंदपाल के भाई विक्की द्वारा एसओजी इंस्पेक्टर सूर्य प्रताप सिंह पर जेल के भीतर ही हमला किया गया, अनिल पांडेय नामक कुख्यात गैंगस्टर द्वारा जेल अधीक्षक लखावत पर जानलेवा हमला भी जेल परिसर में ही अंजाम दिया गया, बन्दियों1र की लंबी भूख हड़ताल भी इस जेल में व्याप्त अनियमितता को सिद्ध कर रही है।
कांग्रेस का आरोप है कि पिछले 2 वर्षों में पुलिस एवं जिला प्रशासन द्वारा की गई छापेमारी में हर बार मोबाइल एवं सिम कार्ड का मिलना जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था की ना केवल धज्जियां उड़ा रहा है बल्कि जेल प्रशासन की अपराधियों से मिली भगत और रिश्वतखोरी के गोरख धंधे स्पष्ट पुष्टि कर रहा है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि हाल ही में अपने साथी बंदी की हत्या करने वाले बंदी अनवर को जेल प्रशासन द्वारा मनोरोगी बताया जाकर अब अलग कोठरी में बंद किया जाना जेल अधीक्षक की लापरवाही को जाहिर करता है क्योंकि मनोरोगी के संबंध में यह कार्रवाई हत्या से पूर्व की जाती तो एक बंदी को बेवजह अपनी जान नहीं गवानी पड़ती।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार की गृह विभाग की लापरवाही पर खुली दलील देते हुए कहा कि दोनों जेलों में अधीक्षक पद सुकृत होने के उपरांत भी गृह विभाग द्वारा अपने चहेते उप अधिक्षको पद स्थापित किया जाना अनुचित एवं गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि मीडिया समाचारों के आधार पर यह विश्लेषित होता रहा है कि पिछले दो वर्षों में इन दोनों जेलों में लगभग 250 मोबाइल एवं 600 से अधिक सिम कार्ड छापेमारी में बरामद हो चुकी है जिसका उदाहरण है कि एक बॉर्डर सिक्योरिटी गार्ड का जेल के भीतर सिम लेकर जाते पकड़े जाना यह सिद्ध करता है कि जेल प्रशासन से जेलों से अपराधिक गैंग के संचालन में बंदियों के साथ संलिप्त हो चुका है दुख बिंदु यह है कि सरकार द्वारा इन जेलो पर जैमर लगाए जाने पर भारी भरकम खर्चा किए जाने के बाद भी जेल प्रशासन द्वारा जेमरों रखरखाव सही ढंग से नहीं किया जाने का मूलभूत कारण मोबाइल सुविधा के बदले बंधुओं से मिलने वाली भारी भरकम घूसखोरी है।
कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि आपराधिक गतिविधियों का अड्डा बन चुकी अजमेर की दोनों जेलों की दयनीय स्थिति के मद्देनजर भी सरकार का गृह विभाग अकर्मण्यता का परिचय दे रहा है निरंतर घटित होने वाली अराजक स्थितियों के उपरांत भी अजमेर संभाग के लिए अलग से रेंज का गठन नहीं किया जाना निराशाजनक है। वर्तमान में अजमेर संभाग की समस्त जेलें उदयपुर रेंज के ही नियंत्रण में है जिसके कारण अजमेर,भीलवाड़ा,नागौर,टोंक जिलों की जेलों पर उदयपुर डीआईजी द्वारा नियंत्रण रखा जाना सक्षमता परे सिद्ध होता है यदि अजमेर के लिए पृथक से कारागार रेंज का सृजन कर दिया गया होता तो शायद ऐसे दुखद घटना घटित ना होती यह ग्रहमंत्री की कानून व्यवस्था के प्रति निष्क्रियता को दर्शाती है।

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