राज संपर्क पोर्टल एक लॉलीपाप

राजस्थान सरकार द्वारा प्रारम्भ राज संपर्क पोर्टल एक लॉलीपाप साबित हो रहा है।पोर्टल पर दर्ज करवाई जाने वाले परिवाद को पढ़कर कार्यवाही करने तक की जहमत तक अधिकारी नही उठाते है।बार बार निवेदन करने पर भी अड़ियल रवैया अपनाते हुए जांच अधिकारी तक नही बदला जा रहा है।कुल मिलाकर राज संपर्क पोर्टल एक मार्ग मरीचिका साबित हो रहा है।इसका ज्वलंत उदाहरण है अजमेर जिले के प्रारंभिक शिक्षा विभाग के विरुद्ध दर्ज प्रकरण जो अत्यंत ही गंभीर प्रकृति के है परंतु अधिकारियो को इससे कोई लेना देना नही है।भरस्टाचार और गबन जैसे गंभीर मामले में भी पोर्टल अधिकारीगण एक अधिकारी को बचाने के लिए किस प्रकार से उसी के समक्ष अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर बिना जांच पूर्ण किये ही आरोपी को क्लीन चिट प्रदान करके एक नई मिशाल राज्य में कायम की गई है।प्रस्तुत है प्रकरण का पूर्ण विवरण:-
केकड़ी के पूर्व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के जल स्वावलंबन योजना में गबन की जांच एक ही दिन में कैसे पूर्ण हो गई।28 नवंबर2017को रात में दो सदस्यीयजांच कमेटी बनाई गई। जिस पर बीओ अरांई धनपत राज यादव का पूर्ण नियंत्रण था।दूसरे सदस्य कमेटी में adl. Beeo भिनाय श्री केवट थे।29 नवंबर2017 को आनन फानन में जांच के नाम पर लीपा पोती करके आरोपी को क्लीन चिट देकर30 नवंबर2017 को सेवा निवृत्त कर दिया गया।इस जांच में न्याय के तमाम नैसर्गिक सिधान्तो की धज्जियां उड़ाई गई।परिवादी-गवाहों और तमाम नोडल प्रधानाध्यापको के बयान तक दर्ज नही किये गए।प्रकरण का खुलासा होने के बाद राशि जमा करवाई गई है जो यह स्पष्ट करता है कि शिक्षकों से एकत्रित राशि का तत्कालीन BEEO केकड़ी ने अपने राजकीय पद का दुरुपयोग करते हुए दुरुपयोग किया।यदि प्रकरण का खुलासा नही होता तो यह राशि भी जमा नही हो पाती।इसी प्रकार ups नायकी से प्राप्त राशि का प्रस्तुत हिसाब में जिक्र तक नही हैं।आखिर वो राशि कँहा गई।इसकी पुष्टि तत्कालीन प्रधानाध्यापिका विजय ललक्ष्मी गुप्ता से की जा सकती है।9 मई2018 को केवल यात्रा एवम दैनिक भत्ता वसूलने के मकसद से जांच का ड्रामा यादव द्वारा किया जा रहा है।इसके साथ ही सरकारी वाहन का दुरुपयोग भी किया जा रहा है।
Beeo अरांई और adl beeo भिनाय केवट के पास ही एक शिक्षक के वेतन संबंधी जांच भी थी जिसकी जांच पूर्ण तीन माह से भी अधिक समय मे जान बूझकर इनके द्वारा पूर्ण नही की जाकर शिक्षक का आर्थिक और मानसिक शोषण आज भी निर्बाध रूप से जारी है।इस प्रकरण में भी दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि दोषियों के विरुद्ध जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा4-7-2016 से ही किसी प्रकार की कार्यवाही सरकारी रिकॉर्ड गायब करने के आरोप में नही की जाकर खुला संकरक्षण दिया जा रहा है।पीड़ित ने परेशान होकर किसी प्रशाशनिक अधिकारी से जांच का परिवाद पोर्टल पर 5-2-2018 को डाला है।परंतु अभी तक जांच अधिकारी नही बदला गया है।केकड़ी विधायक श्री गौतम द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को पुलिस में सरकारी रिकॉर्ड गायब करने के आरोप में दोषियों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाने हेतु जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक अजमेर को निर्देश दिए गए थे उनकी भी पालना नही की जाकर आरोपियों को बचाया जा रहा है।
दोनों ही प्रकरणों में परिवाद संपर्क पोर्टल पर दर्ज है और जिला स्तरीय अधिकारी सबको असत्य सूचनाएं देकर गुमराह करने से बाज नही आ रहे है।अधिकारियों द्वारा निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को किस प्रकार नजर अंदाज किया जाता है इसकी पुष्टि भी ये दोनों प्रकरण कर रहे है।

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