अजमेर ! योगाभ्यास से मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका नियमानुसार व्यवहार करती है और उससे शरीर स्वस्थ रहता है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति यदि नियमानुकूल व्यवहार करना सीख जाता है तो वह भी योग है। योग से प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ एवं प्रज्ञावान बनता है तथा वह एक प्रज्ञावान समाज एवं राष्ट्र का निर्माण का आधार बनता है। शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान आदि नियमों का आचरण व्यक्गित शुचिता के लिए आवश्यक है। बिना नियमों के आचरण के योग संभव नहीं है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान के प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख डॉ. स्वतन्त्र शर्मा ने क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में चल रहे दस दिवसीय योग सत्र के पांचवे दिन छात्रों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
नगर प्रमुख रविन्द्र जैन ने बताया कि इससे पूर्व विद्यार्थियों को सूर्यनमस्कार, त्रिकोणासन, पश्चिमतानासन तथा सुप्तवज्रासन का अभ्यास कराया गया। इस योग सत्र में 150 से अधिक विद्यार्थी योग का व्यवहारिक एवं सैद्धांतिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। सत्र में नगर सह प्रमुख अखिल शर्मा, योग प्रमुख अंकुर प्रजापति, लक्ष्मीचंद मीणा एवं रीना सोनी सहयोग कर रहे हैं।
(रविन्द्र जैन)
नगर प्रमुख
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी
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