विद्यालयीन शिक्षा का वर्तमान स्वरूप एवं भावी दिशा विषय पर कार्यशाला 3 से

अजमेर 2 अगस्त। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में विद्यालयीन शिक्षा का वर्तमान स्वरूप एवं भावी दिशा विषय पर त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला कल शुक्रवार से बोर्ड के सभागार में आयोजित की जा रही है। इस राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन हरियाणा के राज्यपाल श्री कप्तान सिंह सोलंकी कल शुक्रवार दोपहर 02.00 बजे करेंगे। उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी करेंगे।

बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. बी.एल. चौधरी ने बताया कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चांदकिरण सलूजा, केन्द्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त श्री संतोष कुमार, एन.सी.ई.आर.टी. के श्री हर्ष कुमार नेशनल ओपन स्कूल संगठन के प्रो. चन्द्रभूषण शर्मा, सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेट्री ऐज्यूकेशन के सचिव श्री अनुराग त्रिपाठी, विद्या भारती संगठन के श्रीमान् गोविन्द प्रसाद शर्मा आदि महानुभावों ने प्रमुख रूप से विभिन्न सत्रों में व्याख्यान देने की स्वीकृति प्रदान की है। कार्यशाला में, विषय से जुड़े हुए देशभर के 150 से अधिक शिक्षा उत्थान के लिए समर्पित शिक्षाविद्ों, प्रशासकों, शिक्षा क्षेत्र में नवाचार करने वाले महानुभावों के भाग लेने की संभावना है।

प्रो. चौधरी ने कहा कि हम आज देश मे विभिन्न सामाजिक, शैक्षिक संगठनों व सरकार के द्वारा किये जा रहे सकारात्मक तथा रचनात्मक प्रयत्नों का स्वागत करते हैं। तथापि हमारा मानना है कि आजादी के बाद शिक्षा उत्थान हेतु अब तक किये गये प्रयास अप्राप्त है। शिक्षा में सुधार हेतु सरकार के द्वारा शिक्षा की नीति व व्यवस्था में परिवर्तन आवश्यक है। देश के तीव्र विकास के लिए तथा आने वाले समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार शिक्षा हेतु अधिक संसाधन उपलब्ध करायें। शिक्षा भी सरकार की प्राथमिकता का विषय बनना चाहिये। जिस प्रकार देश के विकास हेतु कभी कृषि, कभी उद्योग प्राथमिकता का विषय रहा है। इसी प्रकार आज शिक्षा प्राथमिकता का विषय बनाना चाहिए।

इस राष्ट्रीय कार्यशाला के संयोजक प्रो. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि ’’शिक्षा में जमीनी बदलाव लाने के लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी अपने दायित्व का निर्वाह करना होगा। इसके लिए सरकार एवं समाज दोनों को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा। शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को इस हेतु अहम् सकारात्मक भूमिका निभानी होगी तभी शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन संभव हो सकेगा।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के चरित्र निर्माण प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक देशराज शर्मा ने कहा कि हम सभी जागरूक शिक्षा उत्थान के लिए सक्रिय शिक्षकों, प्रशासकों, चिन्तकों, प्रबुद्ध लेखकों पत्रकार बन्धुओं का आव्हान करते हैं कि देश के विकास के इस महान यज्ञ में हम सभी अपनी-अपनी आहुति प्रदान करें।

इस त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में 11 समूह सत्रों में विभिन्न विषयों पर मंथन होगा। प्रथम दिन शुक्रवार को उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त सायंकालीन सत्र में विद्यालय शिक्षा का शैक्षिक दर्शन, लक्ष्य एवं उद्देश्य विषय पर समूह चर्चा होगी। दूसरे दिन शनिवार को प्रातःकालीन सत्र में पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम एवं पाठ्य सामग्री एवं विद्यालय में आधारभूत विषय पर चर्चा होगी। दोपहर के सत्र में मूल्य आधारित शिक्षा एवं विद्यालयीन शिक्षा का माध्यम विषय पर चर्चा होगी। सायंकालीन सत्र में वर्तमान शिक्षा में शिक्षक शिक्षा का स्वरूप एवं व्यवहारिकता तथा विद्यालय का प्रबन्ध एवं परिवेश और नवाचार एवं अभिनव प्रयोग विषय पर समूह मंथन होगा। कार्यशाला के अन्तिम दिन समापन सत्र से पूर्व शिक्षा का अधिकार-समीक्षा एवं क्रियान्वयन की प्रक्रिया तथा परीक्षा का मूल्यांकन की प्रक्रिया विषय पर चर्चा होगी।

रविवार को समापन समारोह की अध्यक्षता हरियाणा के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.एल. चतुर्वेदी करेंगे और विशिष्ट अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जे.पी. सिंघल होंगे।
उपनिदेशक (जनसम्पर्क)

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