लोकतंत्र पर हमला नहीं सहेंगे

लोकतंत्र पर हमला नहीं सहेंगे! नहीं सहेंगे, तानाषाही नहीं चलेगी! नहीं चलेगी! अभिव्यक्ति की आजादी हमारा अधिकार है, इसका दमन मानवाधिकार का उल्लंघन है जैसे नारों की गूंज की आवाज से बजरंगगढ़ चैराहा हुआ गूंजायमान ।
पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज के बैनर तले आज 31 अगस्त, 2018 की शाम 5:00 बजे अजमेर के विभिन्न मानवाधिकार जनसंगठनों, महिला जनसंगठनों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, अधिवक्ताओं एवं पत्रकार दल ने मिलकर पूरे देश में अनेक क्षेत्रों में संघर्षरत् सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं, कवियों और लेखकों की पुलिस द्वारा अनेक ठिकानों पर हो रही छापे मारी और गिरफ्तारियों को अमानवीय बताते हुए अपनी आवाज बुलन्द कर पुरजोर विरोध किया।
सरकार की दमनकारी एवं अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को समाप्त करने वाली गतिविधियां लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने के साथ विरोध की आवाज को दबाने में जुटी हुई है। जिसके चलते सरकार से सवाल करना आज देषद्रोह की परिभाषा में आ गया है। यह हमारे लोकतंत्र के भविष्य के लिए भयंकर खतरा एवं चुनौती है। पी.यू.सी.एल. यह महसूस करती है कि सरकार के तानाषाही आचरण के मध्य नजर आम नागरिक को अपने हकों की लड़ाई के लिए एकजुट होकर सामने आना चाहिए।
जिस मामले को लेकर सरकार द्वारा गिरफ्तारी न्याय संगत बताई जा रही हैं, वह पहले ही न्यायालय के विचाराधीन हैं। ऐसे में विद्यमान कानूनों की अनदेखी कर इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर गिरफ्तार करना अमानवीय ही नहीं सरासर मानवअधिकारों का उल्लंघन भी है जो कि लोकतांत्रिक स्वातंत्रय चाहने वाले देष के लिए बेहद निन्दनीय है, जिसकी सभी सामाजिक जनसंगठन घोर निन्दा कर भत्र्सना करते है और मांग करते है कि सरकार ऐसे दुःसाहसी फैसलों पर अंकुष लगाये।
विरोध प्रदर्शन में PUCL के राज्य उपाध्यक्ष डी. एल. त्रिपाठी, राज्य महासचिव Dr. अनन्त भटनागर, जिला अध्यक्ष ओ पी रे, सिस्टर गीता कैरोल, कुसुम पालीवाल, सुरेश अग्रवाल, उषा देवी जैन, दिलीप सामनानी, केशव राम सिंघल, बदरुद्दीन कुरेशी, शहनाज़ खान, पुखराज जंगम, अमित कटारिया, फ़ादर हीरालाल मैसी, निजामुद्दीन कुरेशी, दीपा पारवानी, अस्मत चाची, नानूलाल प्रजापति, डॉ. सुनीता तंवर, शेख़ कमर, शेखज़दा जुल्फिकार चिश्ती, राधावल्लभ शर्मा, श्यामशंकर सिन्हा, जितेंद्र, कोमल मिश्रा, सिस्टर अलवीना, सुरेंद्र चतुर्वेदी, सिस्टर जेसिन्ध, MSA sisters, अन्जू नयाल, प्रिंस सलीम, संजय पलोड़, भवरी देवी, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जॉर्नलिस्ट (पत्रकार संघ) से मोहम्मद नज़ीर कादरी, रुस्तम अली घोसी, मनोज राजोरिया, C-FAR संस्था के सदस्यगण एवं पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज – अजमेर (पी.यू.सी.एल.), सास्विका संगठन, महिला जन अधिकार समिती की, दलित अधिकार केन्द्र, जन षिक्षण संस्थान, महिला सलाह एवं सुरक्षा केन्द्र, हिन्द मजदूर सभा, जन सेवा समीती, गरीब नवाज महिला एवं बाल कल्याण समिती, केन्द्रीय दलित अधिकार मंच, सवेरा संस्थान, साथिन कर्मचारी संघ, आर.सी.डी.एस.एस.-दिषा मदार, राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा, गरीब नवाज सूफी मिषन सोसायटी, हम लोग, खिती कलिया-अल्परिपु, जय अम्बे विकास समिती, रहमानिया महिला एवं बाल कल्याण केन्द्र, लोक संघर्ष सेवा समिती, एस.डब्ल्यु.आर.सी.-तिलोनिया, शाहिद भगत सिंह स्मृति सभा, जनवादी महिला समूह, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ अजमेर, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी आफ इण्डिया, बहुजन समाजवादी पार्टी, एपवा, विकासमंच – भिनाय, एकल नारी शक्ति संगठन, टी.एन.आई.जे. वेलफेयर एषोसियेषन, सचेत संस्था, ताराषाह नगर समिती, दलितजन सामाजिक न्याय समिती, जनसेवा समिती, अखिल भारतीय जन कल्याण ट्रस्ट, सिन्धी पंचायत अजयमेरू सेवा समिती, व्यापारिक एसोसिएषन गंज, आल इण्डिया कौमी एकता कमेटी, प्रथम प्रकाष संस्था , लेखक, अधिवक्ता पत्रकार व अन्य सभी जन संगठन सम्मिलित थे।

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