एक को जानो-एक को मानो-एक हो जाओ -बहन संगीता

केकड़ी:– अनेकता हमें भटकाती है एकता हमें जोड़ती है।जो इंसान हमें संतो के संग जोड़े हमें उनका संग करना है।संत ही हमें एक परमात्मा की जानकारी कराते हैं,हमारा परमात्मा पर पक्का विश्वास होना चाहिए।एक परमात्मा को हमें जानना है,उसे मानना है फिर इकमिक हो जाना है।उक्त उद्गार बहन संगीता ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चन्द टहलानी के अनुसार बहन संगीता ने कहा कि जिंदगी में लहरें भी आएगी नाव भी डगमगाएगी पर परमात्मा के स्मरण के सहारे विश्वास के चप्पू से नाव भी तर जाएगी।मानव जीवन में कई प्रकार के दुख आते हैं इससे विचलित नहीं होना है संतो के संग से,परमात्मा के स्मरण से बड़े से बड़ा दुख भी हल्का नजर आने लगता है इंसान को सुख में अतिउत्साही नहीं होना है दुख में घबराना नहीं है बस एक रस रहकर सामना करना है।अनन्य भक्त ही परमात्मा को हाजिर नाजिर देखकर अपने अंग संग महसूस कर उस का आनंद मनाते हैं परमात्मा का आधार लेकर ही हमें दुनिया की हर कार्य को करना है जिससे हर कार्य में सुंदरता आती है।हार-जीत में,फेल-पास में विचलित नहीं होना है एक रस रहना है।दुनिया आपको संत मानती है अच्छी बात है पर जब तक घर वाले आपको संत नहीं मानते आप संत नहीं हैं हमें संतो महापुरुषों जैसा कर्म,व्यवहार अपने घर परिवार से ही शुरु करना है घर परिवार में अंदर-बाहर सब के साथ आदर,सत्कार,प्यार,नम्रता,सहनशीलता वाला व्यवहार करना है।भक्ति मार्ग पर मरना होता है तभी भक्ति परवान होती है।
सत्संग के दौरान मंजू,गौरव,मोहित,हर्षा,सानिया,भगवान,चेतन,दिव्या,मुकेश,पूरणप्रकाश,ऋशिता,समृद्धि,तरुणा,जानवी,आशा,अशोक रंगवानी ने गीत,विचार,भजन प्रस्तुत किए। संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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