मुआवजा भुगतान रहित अवाप्त अनुपयोगी भूमि साधारण मानी जाए

अजमेर। अजयमेरु नागरिक अधिकार समिति के जनसंपर्क प्रभारी एन. के. जैन सीए ने नगरीय विकास विभाग मंत्री शांति धारीवाल को पत्र लिख कर मांग की है कि मुआवजा भुगतान रहित अवाप्तशुदा अनुपयोगी भूमि को साधारण भूमि माना जाए और उसी के अनुसार नियमन प्रिमियम दर भी लागू की जाए।
पत्र में लिखा है कि 20 वर्ष से अधिक पुरानी नगर सुधार न्यास, अजमेर की ज्वालाप्रसाद नगर योजना में काफी भूमि ऐसी है, जिसका अवार्डपारित होने के बाद भी आज तक न कोई मुआवजा भुगतान किया गया न मुआवजा न्यायालय में जमा कराया न भूमि राजस्व रिकार्ड में नगर सुधार न्यास के नाम दर्ज हुई। ऐसी भूमि पर कोई योजना भी नहीं बनाई गई क्योंकि यह भूमि प्रारम्भ से ही इस योजना हेतु अनुपयुक्त थी। ऐसी भूमि पर भूखण्डधारी ही भवन निर्माण कर स्थाई रूप से निवास कर काबिज हैं। राजस्व रिकार्ड में भी यह भूमि नगर सुधार न्यास के नाम हस्तांतरित नहीं हुई है, खातेदार के ही नाम अंकित है। यहां लगभग 80 प्रतिशत भूमि पर मकानात व अन्य निर्माण कार्य हो चुके हैं। ऐसी भूमि की नियमन प्रीमियम दर 1500 रुपये वर्गगज घोषित की है जो सामान्य दर रु. 150 रु. प्रति वर्गगज से 10 गुना है।
इसी ज्वाला प्रसाद नगर योजना क्षेत्र के कई ऐसे भी मामले हैं, जिनमें आवेदकों ने नियमन हेतु वर्ष 2000 में ही आवेदन किया हुआ है, किन्तु उनके प्रकरणों का निस्तारण नगर सुधार न्यास अजमेर द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। उनसे नियमन दर 1500 रुपये के आधार पर ली जानी अव्यावहारिक एवं लोक कल्याणकारी सरकार की भावना के विपरीत है।
सरकार ने पूर्व में भी अपने परिपत्र क्रमांक : प 3 (28) नविवि/ 3/ 96, दिनांक 22 दिसम्बर 1999 व प 3 (8) नविवि/ 3/ 2001, दिनांक 12 जुलाई 2001 में इस प्रकार की भूमि को अन्य आवाप्तशुदा भूमि के मुकाबले भिन्न माना है और साधारण भूमि ही मानकर साधारण नियमन की प्रीमियम दरें ही लगाई गई हैं। अत: अनुरोध है कि सरकार पूर्व की भांति ऐसी भूमि को साधारण भूमि मानकर उस पर सामान्य नियमन दर रु. 150 प्रति वर्गगज ही निर्धारित करे ताकि जनता आसानी से नियमन करा सके और सरकार को भी रेवेन्यू प्राप्त हो सके तथा सरकार की प्रशासन शहरों की ओर योजना का जनता को भरपूर लाभ मिल सके।

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