झलकारी बाई स्मारक पर भाजपा का कब्जा

वीरांगना झलकारी बाई की 182वीं जयंती के मौके पर पंचशील नगर स्थित झलकारी स्मारक जब हजारों दीपों के साथ जगमगाया गया तो एक बार यह फिर याद हो आया कि इस स्मारक का न तो आज तक विधिवत उद्घाटन हो पाया है और न ही इसकी ठीक से देखरेख हो पा रही है।
यह वाकई दुर्भाग्य की बात है कि अजमेर में कोली समाज राजनीतिक रूप से निर्णायक की भूमिका में रहता है, मगर कोली समाज की आदर्श झलकारी बाई के स्मारक को बनने के बाद भी एक दर्शनीय स्थल के रूप में स्थापित नहीं किया जा सका है। गाहेबगाहे अगर साल में एक बार याद भी किया जा रहा है तो भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल की पहल के कारण। आखिरकार इसमें श्रीमती भदेल के विधायक कोष का पैसा भी तो लगा हुआ है। हालांकि महापुरुषों के स्मारक किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं होते, मगर एक अर्थ में देखा जाए तो इस पर अनिता भदेल के नेतृत्व में भाजपाइयों का ही कब्जा है। तभी तो जयंती के मौके पर दीपों से रोशनी किए जाने की पहल झलकारी बाई समिति की प्रमुख श्रीमती अनिता भदेल ने ही की और कोली समाज के प्रमुख नेता पूर्व उप मंत्री ललित भाटी व उनके समर्थक नहीं नजर आए। कार्यक्रम में भाटी के प्रतिद्वंद्वी भाई हेमंत भाटी, जो कि एक प्रमुख उद्योगपति व समाजसेवी हैं, की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कहने की जरूरत नहीं है कि भाई से प्रतिद्वंद्विता की वजह से ही वे अनिता भदेल का साथ देते रहे हैं। श्रीमती भदेल के नेतृत्व में आयोजित समारोह को चुनावी सरगरमी की शुरुआत से ठीक पहले विशेष अर्थ में देखा जा रहा है। हालांकि स्मारक परिसीमन के बाद अब अजमेर उत्तर में है, मगर कोली समाज की आदर्श होने के नाते अजमेर दक्षिण में बसे कोली समाज की तो इसमें आस्था का लाभ श्रीमती भदेल को मिल ही सकता है। यह तथ्य इस कारण भी अहम है क्योंकि इस बार समझा जा रहा है कि केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट से नजदीकी के चलते ललित भाटी इस बार टिकट के प्रमुख दावेदार हैं।
बहरहाल, प्रसंगवश आपको बता दें कि वीरांगना झलकारी बाई का जन्म झांसी के निकट भोझला गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। इनके पिता सिद्धू बाबा एवं माता जानकी बाई थीं। झलकारी बचपन से ही वे बहादुर थीं। जब उनकी वीरता की जानकारी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को हुई तो उन्होंने झलकारी को नारी सेना का प्रमुख बनाया। झलकारी बाई ने अनेक वीरता के कार्य किए। 1857 में अंग्रेजों से युद्ध में लोहा लेते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुईं।
-तेजवानी गिरधर

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