केकड़ी 10 फरवरी:– इंसान चिंता में दौड़ता रहता है मेरा क्या होगा मेरे परिवार का क्या होगा माया मिथ्या है परमात्मा सच्चा है हमें सच्चे से प्रीत लगानी है सच्ची भक्ति से ही प्रभु परमात्मा को रिझाना है उक्त उद्गार संत गोपाल ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए ।
मंडल प्रवक्ता राम चंद टहलानी के अनुसार संत गोपाल ने कहा कि तन मन धन परमात्मा की देन है उसी का समझ कर काम में लेना है तन मेरा खाकी की ढेरी जाती है तो जाने दो,मेरा हर स्वांस परमात्मा की भक्ति में ,प्रभु नाम के सिमरन में ,संतो के संग में ,सेवा में लग जाए।
हे परमात्मा मुझे तू कबूल है तेरा किया सब कुछ कबूल है। अगर हमें सच्चा सुख पाना है तो गुरु चरणों में जाना ही होगा क्योंकि सारे रिश्ते नाते,सारा संसार मतलब का है सच्चा रिश्तेदार गुरु होता है।हम लायक नहीं है फिर भी परमात्मा ने,गुरु ने हमारी हर गलती,हर गुनाह को माफ कर अपनाया है,गले लगाया है। दुनिया मे जो आया है उसे जाना ही है ऐसा काम कर चले कि बाद में भी लोगों के दिलों में छाए रहें। इंसान दुखी है पर परमात्मा के नाम का सिमरन नहीं करता, संतो का संग नहीं करता ,दुनिया के थपेड़े खाता रहता है पर सतगुरु की शरण में नहीं जाता जहां उसे हर प्रकार के सुख मिलने है ।जीवन में अगर सुख चाहते हैं तो हमें दूरियां मिटा कर गिले-शिकवे भुलाकर नफरत की दीवार गिरानी है सब के संग प्यार कर सबका भला मांगना है।
झूठी माया के चक्कर में धोखा ही धोखा है साथ केवल नाम धन ही जाना है, इसलिए समय रहते परमात्मा के नाम का स्मरण कर, संतों का संग कर,सत्संग सेवा सिमरन में जीवन जीना है और दूसरों को भी इस ओर प्रेरित करना है तो ही जीवन की सार्थकता है ।
सत्संग के दौरान दिव्या, मोहित, नमन ,समृद्धि, उमेश, शीतल , संगीता, माया, तरुणा, किशोर आदि ने गीत,विचार और भजन प्रस्तुत किये संचालन नरेश कारिहा नेकिया।