सत्संग से विवेक जागृत होता है

केकड़ी:–परमात्मा कण-कण में समाया हुआ है इससे कोई जगह खाली नहीं है परमात्मा हाजिर नाजिर है कभी ओझल नहीं होता लेकिन अज्ञानतावश इंसान आज दर-दर भटक रहा है।उक्त उद्गार संत गोपाल ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चन्द टहलानी के अनुसार संत गोपाल ने कहा कि आज इंसान दुनियावी माया इकठ्ठी करने में लगा हुआ है जबकि उसे पता है कि कुछ भी साथ नहीं जाता है,सब को रिझाने की कोशिश में लगा हुआ है पर जो जग का दाता है उसे रिझाने की कोशिश नहीं करता है परमात्मा को रिझाने पर स्वतः ही सब अपने हो जाते हैं कोई पराया बेगाना नहीं होता सब अपने नजर आते हैं फिर तेरा रूप है यह संसार वाली अवस्था बन जाती है। इंसान को संतो महापुरुषों का संग कर सत्संग का सहारा लेना चाहिए सत्संग से इंसान के विषय विकार नष्ट होते हैं विवेक जागृत होता है भटकन समाप्त होती है जिस इंसान ने मानव योनि में आकर परमात्मा को नहीं जाना उसका स्मरण नहीं किया फिर उसका चौरासी वाला चक्र समाप्त होने वाला नहीं है।
सत्संग में सतगुरु की कृपा से विवेक मिलता है फिर मिलवर्तन, भाईचारा,विशालता,सहनशीलता, अपनापन और प्यार वाला व्यवहार सब से करता है जिससे उसे आनंद ही मिलता है।परमात्मा अखंड,अडोल,अविनाशी,अछेद्य घट घट वासी है इसको जानकर फिर इसका हमें स्मरण करना है।धरती पर जब जब पापाचार बढ़ा है जब जब धर्म की हानि हुई है तब-तब परमात्मा ने धरती पर अवतार लेकर सबको कष्टों से मुक्त कर धर्म की गंगा बहाई है। हमें परमात्मा का उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए हर पल उसे याद करते रहना चाहिए।
सत्संग के दौरान अंजू,शीतल, उमेश,किरण,गौरव,ओम,नरेश, संगीता,समृद्धि,नमन,सानिया, पूजा आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किये संचालन केकड़ी ब्रांच मुखी अशोक रंगवानी ने किया।

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