एकीकरण की समीक्षा के नाम पर किया जा रहा है भ्रमित

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 11 फरवरी। प्रदेश की गत भाजपा सरकार द्वारा जो विद्यालयों के एकीकरण किये गये वो आर.टी.ई. एक्ट 2009 एवं आर.टी.रूल्स 2011 के अनुसार निर्धारित नियमों के अनुसार किये गये। राजस्थान विधान सभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में वर्तमान कांग्रेस सरकार ने यह बात स्वीकार की है। अजमेर उत्तर के विधायक व पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि हमने वर्ष 2014-15 से 2018-19 के मध्य कुल 22204 विद्यालयों का एकीकरण किया गया था जिसमें से 2450 विद्यालयों को आर.टी.ई. के नियम विरूद्ध पाये जाने पर पुनः एककीरण से मुक्त कर दिया गया था।
देवनानी ने बताया कि आज विधानसभा प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह माना कि गत भाजपा सरकार द्वारा विद्यालयों के जो एकीकरण किये गये थे वे आर.टी.ई. के नियमों के अनुसार ही किये गये थे फिर भी कांग्रेस सरकार द्वारा एकीकरण की समीक्षा कराये जाने के नाम पर भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी कांग्रेस एकीकरण को विद्यालय बंद किया जाना बताकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास करती रही है जबकि हमने कोई विद्यालय बंद नहीं किया। उन्होंने कहा कि कम नामांकन, कम दूरी पर स्थित विद्यालयों व एक ही भवन में संचालित अलग-अलग विद्यालयों का एकीकरण किया गया था जिससे कक्षा 1 से लेकर 12 तक का अध्ययन एक ही विद्यालय में सम्भव हो सका। देवनानी ने बताया कि विद्यालयों के एकीकरण से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ फलस्वरूप सरकार विद्यालयों के नामांकन में भी वृद्धि हुई।
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने बताया कि विधान सभा में पूछ्रे गये पूरक प्रश्न जो कि एकीकृत विद्यालयों कार्यरत अध्यापकों की संख्या के बारे में था, इस प्रश्न का शिक्षा मंत्री कोई जवाब नहीं दे सके। एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में शिक्षा मंत्री ने बताया कि एकीकरण के समय प्रदेश में 28 हजार ऐसे विद्यालय थे जहां पर विद्यार्थियों का नामांकन 30 से कम था।
उन्होंने बताया कि सरकार ने प्रश्न के जवाब में यह भी बताया कि 1 किमी दूर पढ़ने जाने वाले कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों व 2 किमी. दूर पढ़ने जाने वाले कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को ट्रांसपोर्ट बाउचर के रूप में 68.676 करोड़ की राशि सरकार द्वारा व्यय की गई है।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस इस विषय पर लगातार जनता को भ्रमित कर रही है कि एकीकृत विद्यालयों की समीक्षा करवाकर पुनः खोला जाएगा जबकि जिन विद्यालयों को कम नामांकन के आधार पर एकीकृत किया गया था उन्हें पुनः खोलने के लिए उनके लिए भवनों की व्यवस्था व शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कोई व्यवस्था सरकार ने अभी नहीं की है।

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