परमात्मा सत्य है,कल्याणकारी है- बहन आशा

केकड़ी 19 मई ।परमात्मा सत्य है यानी कण कण में व्याप्त है,शिव है यानी कल्याणकारी है,सुंदर है यानी उसकी हर रचना सुंदर है।मैं भी उसका अंश हूं अगर यह खूबियां मुझ में है तो मैं हर मायने में सही हूं।उक्त उद्गार बहन आशा ने संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मीडिया सहायक राम चन्द टहलानी के अनुसार बहन आशा ने कहा कि जो पत्थर कारीगर को समर्पित हो गया वह पत्थर मूर्ति बनकर पूजने योग्य बन जाता है और जो समर्पित नहीं हो सका वह राह की ठोकर बन जाता है।इसलिए हमें भी पूरी तरह से तन करके,मन करके, धन करके परमात्मा दर पर, सद्गुरु दर पर समर्पित होंगे तो ही हम लायक बन पाएंगे।
भोजन को भजने से भूख नहीं मिटती है उसे ग्रहण करने पर भूख मिटती है ठीक उसी प्रकार जब हमें सद्गुरु की कृपा से ज्ञान मिला है तो हमें उसे निरंतर पल-पल स्मरण करना होगा तो ही हम परमात्मा के नजदीक हो पाएंगे उसका एहसास भी हमें हर पल बना रहेगा तब हमारा मन भी आनंदित रहेगा।संतो का संग करना,सत्संग में जाना हमारे समय का सदुपयोग है संतमति को धारण कर हमें अपना जीवन सुंदर बनाना है अगर हमारे बोल सही नहीं है तो हमारा मौन रहना उचित है।
हमें सब की गलतियों को नजरअंदाज कर क्षमा के गुण अपनाने हैं अगर हम सद्गुरु से जुड़े हुए हैं तो हमें वही देखना है जो सद्गुरु की सिखलाई है जो हमने ज्ञान प्राप्त किया हैं उसी अनुरूप हमें व्यवहार करके अपना जीवन सुंदर बनाना है।हमारे मन का ठहरना,स्थिर होना जरूरी है बस हमें सत्कर्म करते जाना है फल की इच्छा नहीं करनी है,यह चिंता स्वंय सतगुरु करेंगे, परमात्मा करेंगे। हमें मांगने का ढंग भी परमात्मा से मांगना है। हमें सारे सुख मिले पर संतों का संग भी मिले तो ही हमारा जीवन जीना सार्थक है।
सत्संग के दौरान मंजू,गौरव, समृद्धि, नमन,संगीता, दीपक, लाली,प्रिया,आरती,प्रेम,ऋषिता,रेणू, सलोनी,पूजा,अंजू,सरिता,तरूणा, जतिन,माया आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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