ह्रदय रोग उपचार में आया नया शोध – डॉ तरुण सक्सेना

Dr Tarun Saxena
वर्तमान समय में हृदय रोग बहुत तेजी से फैलता दिख रहा है। हृदय संबंधी रोगों को लेकर समाज में अत्यधिक आशंका और डर व्याप्त है। हाल ही में अमरीका की प्रसिद्ध पत्रिका क्लिनिकल कार्डियोलोजी एंड कार्डियोवस्क्यूलर मेडिसिन में प्रकाशित वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ तरूण सक्सेना के नवीन शोध पत्र ‘एंडोथेलियल सेल्स स्ट्रेन्थेनिंग: इम्प्रूविंग फंक्शन्स इन मेनेजमेंट आॅफ एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम‘ में हृदय रोग के कारण और उपचार पर नये तथ्य सामने आये हैं। शोध में एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम या हृदयघात एवं अनस्टेबल एन्जाइना के 80 मरीजों का चयन किया गया। इसमें से 40 मरीजों को निर्धारित मेडिकल ट्रीटमेंट के अतिरिक्त 10 मि.ग्रा. त्रिफला चूर्ण को एक कप पानी में घोलकर पिलाया गया। 50 मिनिट बाद इन मरीजों के सीने के दर्द में ईसीजी एवं ईको कार्डियोग्राफी में काफी गुणात्मक सुधार हुआ। इससे यह निष्कर्ष निकला कि त्रिफला पाउडर कोरोनरी झिल्ली में एटीपी की मात्रा को काफी बढ़ा देता है, जिससे एण्डोथिलियम झिल्ली सामान्य हो जाती है एवं आन्तरिक टीपीए अर्थात खून का थक्का तोड़ने वाला एन्जाइम स्त्रावित करती है। इससे थक्का खुल जाता है और एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम एसीएस या हृदयघात में लाभ होता है। .
डाॅ तरूण सक्सेना ने बताया कि एण्डोथिलियम झिल्ली का सामान्य रूप से कार्य नहीं करना प्लाॅक को जन्म देता है जो कि टूटने पर एसीएस उत्पन्न करते हैं। झिल्ली के अन्दर एटीपी अर्थात ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता में अचानक परिवर्तन आना एण्डोथिलियम झिल्ली के डिस्फंक्शन का प्रमुख कारण है। यह अत्यधिक तनाव से सिन्फेथेटिक नाडी में तीव्रता अथवा वातावरण में अभ्यस्त न होने के कारण अचानक बीएमआर या मेटाबोलिज्म में परिवर्तन आने से होता है। अतः त्रिफला का नियमित सेवन करके हृदय रोगों में लाभ लिया जा सकता है।

-डाॅ तरूण सक्सेना
वरिष्ठ चिकित्सक, मित्तल हास्पीटल एण्ड रिसर्च सेन्टर
फोन नं. -01452420698

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