पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में कोटा पुलिस की भूमिका संदेहास्पद

– कटारिया व देवनानी ने पार्टी की जांच रिपोर्ट सौंपी डीजीपी को
– उच्च स्तरीय जांच, पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा एवं परिवार को 20 लाख का मुआवजा व सरकारी नौकरी की मांग

अजमेर, 30 अगस्त। विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कोटा के महावीर नगर थाने में दलित हनुमान महावर की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में पुलिस की भूमिका को पूरी तरह संदिग्ध बताया।
इस सम्बंध में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया व विधायक देवनानी ने शुक्रवार को जयपुर में पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह यादव को पार्टी की जांच रिपोर्ट सौंपी जिस पर तुरन्त कार्यवाही की जाने की मांग की अन्यथा आन्दोलन कर इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की चेतावनी दी। भारतीय जनता पार्टी द्वारा कोटा के पुलिस थाने में दलित की मौत के सम्बंध में एक जांच समिति गठित की गई थी जिसमें विधायक वासुदेव देवनानी व मदन दिलावर को सदस्य नियुक्त किया गया था। जांच समिति ने कोटा जाकर मृतक के परिजनों, महावीर नगर थाने, पुलिस अधिकारियों व अन्य लोगों से जानकारी लेकर इस मामले में जांच रिपोर्ट तैयार की है।
जांच समिति के सदस्य विधायक देवनानी ने बताया कि इस मामले में पुलिस की भूमिका मृतक की गिरफ्तारी से लेकर उसके दाह संस्कार तक पूरी तरह संदेहास्पद नजर आती है जिससे ऐसा संदेह होता है कि पुलिस कस्टडी में उसकी मृत्यु ना होकर हत्या की गई हो। देवनानी ने बताया कि उन्होंने मृतक के परिजनों से जानकारी लेने के बाद थाने पर सहायक पुलिस अधीक्षक डा. अमृता दुहन तथा पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हर्ष रत्नू व अन्य अधिकारियों से भी मामले में चर्चा की परन्तु उनसे संतोषजनक जवाब नहीं मिले तथा वे अपने विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को बचाते हुए नजर आये।
देवनानी ने बताया कि इस प्रकरण की जांच में ये बाते उभरकर आई कि मृतक हनुमान की मौत का उसकी बेटी के साथ हुई रेप की घटना से तो कोई सम्बंध नहीं है। मृतक ने दो दिन पूर्व ही अपनी बच्ची के साथ रेप की घटना की रिपोर्ट इसी थाने में दर्ज कराई थी। थाने में रात्रि के समय मृतक के साथ थर्ड डिग्री व्यवहार किये जाने का अंदेशा है। उसके परिजनों को रात्रि में व बाद में तबियत बिगड़ने तथा अस्पताल ले जाने की सूचना तक नहीं दी गई। मृत्यु थानें में हुई या अस्पताल में या ईलाज के दौरान हुई तथा उसे क्या बीमारी थी, क्या ईलाज किया गया, कितनी बजे मृत्यु हुई जैसे सवाल निरूत्तर है। मृतक की साक्षर पत्नी से खाली कागजों पर क्यों हस्ताक्षर करवाये गये इसका भी कोई जवाब नहीं है। मोर्चरी में शव क्यों नहीं सौंपा गया व चेहरा क्यों नहीं देखने दिया गया। परिवार को रीति रिवाज अनुसार विधिवत दाह संस्कार क्यों नहीं करने दिया। परिजनों में माॅ, पत्नी व बच्चों को न मानकर दूर के दो रिश्तेदारों के नाम गिनागर मामले को अलग दिशा क्यों दी जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने पुलिस महानिदेशक को कोटा के महावीर नगर थाने में दलित हनुमान महावर की मृत्यु के मामले में पुलिस के रवैये को पूरी तरह संदिग्ध बताते हुए उनसे मांग की कि सम्बंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 302 के अन्तर्गत हत्या का मुकद्मा दर्ज किया जाये। इस प्रकरण की जांच जिले के बाहर के किसी प्रशासनिक अधिकारी कम से कम संभागीय आयुक्त के स्तर से कराई जाये। मृतक के परिवार को कम से कम 20 लाख रूपये मुआवजा दिया जाये। परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाये।
देवनानी ने बताया कि मृतक के परिवार की दयनीय स्थिति को देखते हुए वहां के भाजपा संगठन की ओर से 1 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई। मामले की जांच के दौरान जांच समिति के दोनो सदस्यों के साथ स्थानीय विधायक संदीप शर्मा, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष प्रहलाद पंवार, जिला अध्यक्ष हेमन्त विजय, युवा मोर्चे के छगन माहुर आदि प्रमुख कार्यकर्ता साथ थे।

error: Content is protected !!