हिन्दी भाषा एक हजार से भी अधिक विचारधाराओं की उत्पत्ति है

डॉ. बद्री प्रसाद पंचोली
अजमेर 19 सितम्बर। वेदविज्ञ और साहित्यकार डॉ. बद्री प्रसाद पंचोली ने कहा कि हिन्दी भाषा एक हजार से भी अधिक विचारधाराओं की उत्पत्ति है। वाणी और भाषा व्यक्ति का आभूषण है। हिन्दी मातृभाषा है जिसमें व्यक्ति अपनी संवेदनाओं और संभावनाओं को सहज रूप में अभिव्यक्त कर सकता है।
डॉ. पंचोली गुरूवार को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में राजभाषा क्रियान्वयन समिति की ओर से आयोजित हिन्दी सप्ताह के समापन समारोह में बोल रहे थे।
पद्मश्री श्री सी.पी. देवल ने कहा कि किसी भी देश को जीतने के लिए अब युद्ध की आवश्यकता नहीं, बस उसकी भाषा और संस्कृति को विकृत कर दीजिये। उन्होंने कहा कि हिन्दी के माध्यम से अपना अधिपत्य जमाने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष इसे हथियार के रूप में काम में ले रहे है। पश्चिम बंगाल हो या दक्षिण में तमिलनाडु, वहाँ भी राजनीतिज्ञ जनमानस के हृदय स्थल पर कब्जा जमाने के लिए हिन्दी में ही अपनी बात रख रहे है। अब हिन्दी की चिन्ता की जरूरत नहीं। विश्व के छः सौ विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढाई जा रही है। चीनियों को भी समझ में आ गया है कि यदि भारत के बाजार में अपनी पेठ जमानी है तो अपने यहाँ के युवाओं को हिन्दी भाषा में दक्ष बनाना होगा।
कथाकार और आलोचक जीवन सिंह ने कहा कि हिन्दी भाषी इस देश के अन्दर यदि बच्चे को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढाया गया तोे वह डॉक्टर, प्रशासनिक अधिकारी या बडा टैक्नोक्रेट बनेगा। यदि हिन्दी भाषी स्कूल में पढाया गया वह गरीब क्लर्क, सिपाही ही बनेगा। देश में इस मिथक को तोडना होगा। विदेशी मीडिया चैनलों को यह समझ में आ गया है कि भारतीय घरों के टी.वी. पर हिन्दी में ही अपने कार्यक्रम दिखाने होंगे। सन् 1957 से पहले भारत के अन्दर स्थानीय भाषा तेजी से फल-फूल रही थी, परन्तु उसके बाद भारत पर अगें्रजों के प्रभुत्व ने हिन्दी को कहीं पीछे धकेल दिया, परन्तु आज देश इस स्थिति में आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिन्दी ने अपने पैर मजबूती से जमा लिये है।
बोर्ड की विशेषाधिकारी सुश्री भावना गर्ग ने कहा कि कई बार ऐसा लगता है कि वैश्विकरण के इस युग में हमारे देश में ही हम अपनी मातृभाषा से दूर होते जा रहे है। मोबाइल संस्कृति ने तो हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं को विकृत कर दिया है जो देश की नई पीढी के लिए घातक होगा। उन्होनंे कहा कि युवाओं में लोगों की ऑनलाईन पढने की प्रवृति फैशन का रूप ले रही है जबकि किसी भी विषय के ज्ञान को मन-मस्तिष्क में रखने के लिए उसकी हार्डकापी के रूप में अध्ययन किया जाना चाहिए।
6 दिवसीय प्रतियोगिताओं में परिणाम इस प्रकार रहे – श्रृत लेखन में प्रथम राजेश कुमार शर्मा द्वितीय लक्ष्मण पंजाबी तृतीय संगीता सोपरा, सुलेख प्रतियोगिता में प्रथम जयराम द्वितीय ज्ञानसिंह तृतीय जगदीश, कविता लेखन में प्रथम अर्चना पारीक द्वितीय वीना नानवानी तृतीय प्रकाश पुरोहित पत्र लेखन प्रतियोगिता में प्रथम विनय माथुर द्वितीय शशि भारद्वाज तृतीय प्रकाश पुरोहित रहे, कहानी सुनाओं प्रतियोगिता में प्रथम लक्ष्मण पंजाबी द्वितीय अविनाश भारद्वाज तृतीय प्रकाश पुरोहित, नारा लेखक में प्रथम राकेश ढलवाल द्वितीय पुष्पा साहनी तृतीय वीना नानवानी तथा काव्य पाठ प्रतियोगिता में प्रथम अविनाश भारद्वाज द्वितीय लक्ष्मण पंजाबी तथा तृतीय विनीता रंगा रहीं।
हिन्दी सप्ताह के अन्तिम दिन बोर्ड सभागार में हिन्दी प्रश्नोतरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। क्विज मास्टर प्रदीप बहुगुणा और जी.के. माथुर ने बोर्ड कर्मियों से हिन्दी भाषा ज्ञान के संबंध में प्रश्न पूछे और समिति की ओर से विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार दिये गये। इस अवसर पर गजल गीतकार सादीक अली ने अपनी गजल अम्मा तेरी यादे कितना सताती है प्रस्तुत कर समा बांध दिया। बोर्ड कर्मी श्रीमती विनीता रंगा ने रामस्तुति प्रस्तुत की। श्री पी.डी. मंगल द्वारा रचित पुस्तक ’’शून्य का संगीत‘‘ का विमोचन भी इसी अवसर पर किया गया।
प्रारम्भ ने हिन्दी सप्ताह आयोजन समिति के संयोजक ने हिन्दी सप्ताह का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। बोर्ड की वित्तीय सलाहकार आनन्द आशुतोश, राजीव चतुर्वेदी, श्रीमती गीता पलासिया, संजय तायल और नीरज भूषणशर्मा की ओर से आगुन्तकों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन बृजेश शर्मा ने किया।

उप निदेषक (जनसम्पर्क)

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