एसीडी कोर्ट ने दिए कार्यवाही के आदेश

स्वास्थ्य विभाग में संविद्धा कर्मियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार और धांधलेबाजी
सविदा कर्मियों की नियुक्ति में स्वास्थ्य विभाग अजमेर का बहुत बड़ा गड़बड़ घोटाला सामने आया है । भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय के विशेष न्यायाधीश आलोक सुरोलिया ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों डॉ केके सोनी सीएमएचओ, डॉ रामलाल चौधरी आरसीएचओ, डॉ वंदना चौधरी उपनिदेशक और जेडी अजमेर डॉ सिसोदिया और डॉ ओपी गुप्ता के विरुद्ध एसीडी कोर्ट ने प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए एफआईआर दर्ज कर मुकदमा चलाने और कार्यवाई करने के आदेश दिए हैं।
यह कहते हुए कि किसी ने भी नियमो का पालन नहीं किया है । डॉ वन्दना चौधरी ने टेंडर कमेटी की अध्यक्षता की और अपने ही पति भाजपा नेता डॉ एमएस चौधरी के एनजीओ सहज के नाम फर्जी टेंडर जारी कर दिया । एनजीओ में भी न इश्तहार दिए और न इंटरव्यू लिए ।

पूर्व मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ लक्ष्मण हरचंदानी का कहना है कि सविदा कर्मियों की नियुक्ति में इन्होंने भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं लांग दी है क्योंकि जिनको नियुक्त करना था अपने रिश्तेदारों मिलने वालों को नियुक्त कर दिया । इस तरह से उन्होंने बेरोजगारों का भविष्य दांव पर लगाते हुए गरीबों से खिलवाड़ किया है ।
डॉ लक्ष्मण हरचनदानी द्वारा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजो पर एडवोकेट प्रीतम सोनी और जिनेश सोनी ने पैरवी करते हुए कहा कि डाॅहरचंदानी ने वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्ट आचरण को लेकर जो शिकायत की थी, उसे एसीबी ने सलग्न दस्तावेजों के बावजूद गंभीरता से नहीं लिया। जबकि वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप थे । एडवोकेट प्रीतम सोनी और जिनेश सोनी के तर्कों को गंभीरता से लेते हुए न्यायाधीश सुरोलिया ने एसीबी के महानिदेशक को जांच के लिए निर्देशित किया है।
आरोप है कि सरकार ने जो सुविधाएं जच्चा बच्चा वार्ड में उपलब्ध करवाने के लिए दी थी उन्हें सिसोदिया ने अपने निजी हित में उपयोग किया। इसके अलावा केमिस्ट एसोसिएशन से अपनी सुविधा के लिए अनैतिक तरीकों से अपनी सुविधाओं के लिए एसी लेकर अपने कक्ष में लगाकर पद का दुरुपयोग किया है ।
कोर्ट का मानना था कि भ्रष्टाचार सिर्फ पैसों का लेनदेन नहीं होता बल्कि पदेय शक्तियों और पद का दुरुपयोग , भ्रष्ट आचरण भी भ्रष्टाचार है जो सलंग्न दस्तावेजों में डॉ सिसोदिया एवम् अन्य के भ्रष्ट आचरण को सिद्ध करता है ।

गत विधानसभा में भी नसीराबाद के पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर ने सीएमएचओ डॉ के के सोनी और जेडी डॉ सिसोदिया के भ्रष्ट कारनामों को उजागर करते हुए डॉ वी के माथुर पर लीपापोती करने और संरक्षण देने का आरोप लगाया था ।
एड्स संविदा कर्मी राजकीय कार्य छोड़ अपनी टैक्सी से अफसरों की सेवा चाकरी में लगा और 2014 से लाखों रुपए का भुगतान उठा रखा है । वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्ट आचरण तथा प्रशासनिक जांच में महिला उत्पीड़न के बावजूद लीपापोती में माहिर स्वास्थ्य विभाग ने 2014 से तमाम जांचों को ठंडे बस्ते में डालते हुए तत्कालीन सीएमएचओ झाला वाड़ और जेडी कोटा डॉ गजेंद्र सिसोदिया को न सिर्फ प्रमोशन दिया बल्कि जयपुर निदेशालय में 6 महीने से एपीओ को डॉ वीके माथुर, डॉ सुनील सिंह ने उन्हें 2014 में हिडिन्न एजेंडा के तहत अजमेर सीएमएचओ और 6 महीने बाद जेडी अजमेर नियुक्त कर दिया ।
यहां भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद अजमेर और जिला कलेक्टर की प्रस्तावित 16 सीसी और 17 सीसी की पांच जांचें ठंडे बस्ते में डाल रखी है जिनसे इन सब अधिकारियों के हौसले बुलंद है ।

पूर्व चिकित्सा राज्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव ललित भाटी अजमेर जिला कांग्रेस सेवादल मुख्य संगठक देशराज मेहरा, मंसूर अली , राष्ट्रीय सेवा दल कांग्रेस सचिव श्रीमती कल्पना भटनागर एवं अनेक कांग्रेसी नेताओं ने भी चिकित्सा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रखी है और जांच के दौरान भाजपा सरकार के मंत्रियों की मेहरबानी से तैनात अधिकारियों को अन्यत्र स्थानांतरण करने की जोरदार मांग कर रखी है ।

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