खिलाडियों को सपने दिखाने में माहिर प्रदेष सरकार -देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर, 3 मार्च।
पूर्व षिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार खेल व खिलाड़ियों को सपने दिखाने में माहिर है। देवनानी ने मंगलवार को विधान सभा में ’खेल एवं युवा सेवाएं’ विषय की अनुदान मांगों पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पिछले सवा साल में प्रदेष के युवाओं और खिलाडियों को केवल सपने दिखाए है तथा ना तो युवाओं के हित की किसी योजना को और ना ही खेल योजनाओं को धरातल पर लागू करने की दिषा में कोई कारगर कदम उठाया है। सरकार खेल, खिलाड़ी व युवाओं को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है तथा इनकी योजनाएं केवल कागजों में दौड रही है।
उन्होंने कहा कि जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में हम दूसरे स्थान पर है परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में हम अब भी पिछे रहते है। सरकार ने ओलम्पिक खेलों में स्थान प्राप्त करने पर भारी ईनाम की घोषणा तो कर दी परन्तु इसके लिए खिलाड़ियों को आवश्यक सुविधाएं व इसके लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं की फिर प्रदेश के खिलाड़ी कैसे आगे बढेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल, काॅलेज व विश्वविद्यालयों में आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिताएं भी औपचारिक होती है क्योकि वहां पर उपलब्ध सुविधाएं व संसाधन ऊंट के मुहं में जीरे के समान है। सरकार ने प्रदेश के 3 करोड़ युवाओं के लिए वर्ष 19-20 में 15 करोड़ व 20-21 में 20 करोड़ का बजट रखा है जबकि खेल गतिविधियों के लिए गत वर्ष के 10.7 करोड़ को घटाकर इस वर्ष 8 करोड कर दिया है। इसी प्रकार प्रदेश में लगभग 27 लाख युवा बेरोजगार है जिसमें से 12.91 लाख तो रोजगार कार्यालय में पंजीकृत है जबकि गिने-चुने बेरोजगारों को ही भत्ता दिया जा रहा है। उन्होने सरकार से मांग रखी कि कम से कम सभी पंजीकृत युवाओं को तो बेरोजगार भत्ता दिया जाना चाहिए।
देवनानी ने सरकार पर उच्च शिक्षा को राजनीति का अखाड़ा बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार युवा शक्ति का दुरूपयोग कर रही है। गत दिनों प्रदेश के महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों व शिक्षकों को जयपुर में आयोजित राहुल गांधी की रैली में जाने का दबाव बनाया गया। अजमेर के एमडीएस विश्वविद्यालय में निर्धारित योग्यताओं को ताक पर रखकर वहां के राजकीय महाविद्यालय में कार्यरत भूगोल की व्याख्याता को खेल बोर्ड अधिकारी नियुक्त कर दिया गया जबकि इस पद पर शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति होनी चाहिए। इस प्रकार की कार्यवाही पर देवनानी ने सरकार से पूछा कि वे युवाओं व विद्यार्थियों को क्या संदेश देना चाहती है।
देवनानी ने कहा कि सरकार ने झुंझुनु में 2013 में राजस्थान क्रीडा विश्वविद्यालय खोले जाने की घोषणा की थी जिसके लिए जमीन भी आवंटित की जा चुकी है परन्तु आज तक शुरू नहीं हुआ है और सरकार के दोनों बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया है जबकि सरकार वास्वत में यदि खेल के क्षेत्र में प्रदेश को आगे बढ़ाना चाहती है तो सभी संभाग केन्द्रो तक क्रीडा विश्वविद्यालयों का विस्तार करना होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने तहसील स्तर पर खेल स्टेडियम का निर्माण कराने की घोषणा की थी लेकिन इसके लिए जो बजट का प्रावधान रखा है उससे तो दो-तीन स्टेडियम भी नहीं बन पाएंगे। सरकार द्वारा जिला स्तर पर खेल विभाग द्वारा कोई बजट दिये जाने का प्रावधान नहीं है तो एसी स्थिति में खेलों का विकास कैसे हो सकेगा। सरकार के सवा साल के शासन में युवा बोर्ड का गठन नहीं हो सका है। वर्ष 2018 में यूथ आईकान योजनान्तर्गत आईटी, पर्यावरण सुरक्षा सहित 10 श्रेणियों मेें युवा प्रतिभाओं का चयन किया गया था परन्तु आचार संहिता के कारण इन्हें अवार्ड नहीं दिया जा सका। प्रदेश सरकार ने इसे भी ठण्डे बस्ते में डाल दिया।
देवनानी ने कहा कि आज हमारे परम्परागत खेलों की अनदेखी हो रही है। विद्यालयों में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में भी औपचारिकता हो रही है। खिलाड़ियों को दिये जाने वाले भत्ते की राशि कम है। खेल अकादमियों के बुरे हाल हे। फुटबाॅल अकादमी में 30 स्थानों में से 23, बालिका बाॅस्केटबाल में 25 में से 7 तथा साईकिलिंग में 30 में से 11 खिलाड़ी ही प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। सरकार को देखना चाहिए कि एसे हालात क्यों है।
उन्होंने कहा कि खेलों के प्रति सरकार की गंभीरता का हाल यह है कि राज्य क्रीडा परिषद द्वारा खिलाड़ियों को प्रदान किये जाने वाले महाराणा प्रताप पुरस्कार तथा खेल प्रशिक्षकों को दिया जाने वाला गुरू वशिष्ट पुरस्कार हेतु वर्ष 2018-19 के अब आवेदन मांगे जा रहे है। गत दिनांे जनवरी में आयोजित स्टेट गेम्स को आयोजित कराने वाले तकनीकी अधिकारियों को अभी तक टीए, डीए का भुगतान नहीं किया गया है।
देवनानी ने कहा कि हमारी सरकार के 5 वर्षो में प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में देश में दूसरे स्थान पर आ गया था परन्तु वर्तमान सरकार की कार्यशैली से प्रदेश में शिक्षा विभाग व विद्यालयों की दशा दयनीय है फिर वहां पर खेलकूद की गतिविधियां कैसे आयोजित हो सकेगी। शिक्षा विभाग में उपनिदेशक व जिला शिक्षा अधिकारियों के पद रिक्त पड़े है। विद्यालयों में शिक्षकों के साथ ही शारीरिक शिक्षकों के पद रिक्त है। पूर्व से संचालित विद्यालयों को बन्द करके उनमें अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने के नाम पर झूठी वाहवाही लूटी जा रही है। एमडीएम योजना में भुगतान नहीं हो रहा है तो दूध में पानी मिलाने की शिकायतें आ रही है। बालिकाओं को विद्यालय तक आने के लिए ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना की राशि नहीं दी जा रही ह। बालिकाओं को सेनेटरी नेपकिन नहीं मिल रहे है। समग्र शिक्षा अभियान में सरकार राज्यांश नहीं मिला पा रही है।
ये दिये सुझााव
प्रदेश में खेल विश्वविद्यालय शीघ्र खोला जाए
मनरेगा योजना में ट्रेक का निर्माण कराया जाए
खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का भत्ता बढाया जाए
जिला स्तर पर खेल सामग्री व बजट आवंटित किया जाए
युवाओं में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए विज्ञान मेलो का आयोजन
खेल बजट बढाया जाए
सभी पंजीकृत को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए
उच्च शिक्षा कैम्पस को राजनीति से मुक्त रखा जाए
खेल पुरस्कारों को समय पर प्रदान किया जाए
अजमेर में खेल व युवाओं की उपेक्षा
देवनानी ने कहा कि गत सरकार द्वारा अजमेर के जवाहर विद्यालय में इण्डोर खेल स्टेडियम का निर्माण कराया गया था जो कि पिछले 1 वर्ष से उद्घाटन के इन्तजार में बन्द पड़ा है। अभी से खिड़की-दरवाजे टूट रहे है। गत सरकार द्वारा अजमेर में डे-बोर्डिंग कबड्डी एकेडमी की सैद्धान्तिक स्वीकृति मिली थी व खिलाड़ियों के चयन हेतु ट्राॅयल भी हुआ था परन्तु इस सरकार ने इसे भी ठण्डे बस्ते में डाल दिया। चन्द्रवरदाई नगर में निर्मित सिंथेटिक टेनिस कोर्ट देखरेख के अभाव में खराब हो रहा है।
देवनानी ने विधान सभा में कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री व मंत्री मोदीजी व संघ की तथा सीएए, एनआरसी, धारा 370 की आलोचना करना बन्द करे तथा प्रदेश के युवाओं व खिलाड़ियो के बारे में सोचे व उनके लिए प्रभावी योजनाएं बनाकर उनको लागू करे।

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