मजदूरों का पलायन रोकने में केन्द्र सरकार पूर्ण रूप से विफल

हजारो मजदूरों का पलायन मोदी सरकार से टूटे भरोसे का परिणाम

अजमेर 31मार्च।अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज दुबे व राष्ट्रीय महासचिव व अजमेर संभाग प्रभारी शैलेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि मोदी सरकार लॉकडाउन में फंसे हजारो मजदूरों का पलायन रोकने में पूर्ण रूप से विफल रही है हजारो मजदूरो का पलायन मोदी सरकार से टूटे भरोसे का परिणाम है।यही नही मजदूरों के पलायन में 29 मासूम मजदूरों की जान चली गई इसका जिम्मेदार कौन है।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि देश के लाखों गरीब मजदूरों ,बेरोजगारों व किसानों के साथ साथ देश की आम जनता ने सरकार का हर आदेश माना लेकिन सरकार का हर आदेश मानने के बाद भी लॉकडाउन में बेरोजगार हुए लाखो मजदूरों को सरकार के द्वारा कोई राहत नही मिलने व रोजी रोटी के लिए परेशान होकर पलायन करना बेहद शर्मनाक है। लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मजदूरों ,बेरोजगार,व गरीब किसान परेशान है सरकार पैकेज व राहत की बात कर रही है अगर मजदूरों, बेरोजगारों को राहत मिल रही होती हो हजारो मजदूर पैदल पलायन को मजबूर नही होते।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली हरियाणा गुजरात उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशो में लॉकडाउन बेरोजगार हुए मजदूर पैदल ही अपने घरों को जा रहे है सरकार बेरोजगारों, मजदूरों व गरीब किसानों को नकद मदद व खाद्य सामिग्री उपलव्ध करवाती तो ऐसे चिंता जनक हालात नही होते।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि बिना तैयारी नोटबन्दी की तरह लॉकडाउन करने से गरीब बेरोजगारों व मजदूरों के साथ साथ गरीब किसानो को भीभारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी लिए अपनी जान जोखिम में डालकर लाखो मजदूर पलायन को मजबूर है।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि ये कैसा लॉकडाउन है जो लाखो की मजदूरों की भीड़ पैदल सड़को पा निकलने को मजबूर है।ओर ये कैसी सोसल डिस्टेंसिंग है। जो हजारों लोग एक जगह एक साथ है।क्यो?
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि पूरे देश मे सामाजिक संगठन व सक्षम लोग लगातार लॉकडाउन में फंसे मजदूरों व गरीब परिवारों को भोजन व खाद्य सामिग्री की व्यवस्था लगातार कर रहे कई संगठन व व्यापारी भी यथा योग्य सहयोग कर रहे है इसके बाबजूद सड़को पर हजारो लाखो मजदूरों का पलायन जहाँ दुर्भाग्यपूर्ण है वही मोदी सरकार के इस मामले पूरी तरह से फेलियर रहने को भी दर्शाता है।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के आव्हान पर थालिया बजाने वाले लोग आज थालिया भर भर कर बेरोजगार मजदूरों को क्यो नही भोजन व खाद्य सामिग्री दे रहे है थालिया बजाने के स्थान पर थालिया बजाने वाले लोग अगर गरीब मजदूरों की मदद करते तो लाखों मजदूरों को जान जोखिम में डालकर पलायन नही करना पड़ता।
दुबे व अग्रवाल ने मजदूरों बेरोजगारों का पलायन रोकने व उन्हें राहत देने को मांग सरकार से की है।

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