नकली और हरियाणा ब्रांड की शराब आने लगी है मार्केट में

इनसे मरने वाले कहीं कोरोना के आंकड़ों को ना रख दे पीछे*
✍️✍️ *माननीय मुख्यमंत्री जी आप गांधीवादी विचारधारा के हैं ये अच्छी बात है।लेकिन इस देश में सिर्फ गांधी वादी विचारधारा मानने वाले लोग ही नहीं है।आपको सबको साथ लेकर चलना होगा।*
✍️✍️ *जो हालात मैं आपके सामने रख रहा हूं उन पर गहन जांच और उचित आदेश की जरूरत है।*

प्रदेश के जननायक श्री अशोक जी गहलोत साहब मैं आपका ध्यान अजमेर जिले के छोटे से गांव बांदनवाड़ा की और दिलाना चाहता हूं।लॉक डाउन के चलते मेरे गांव के लोग राज्य सरकार और केंद्र सरकार की एडवाइजरी का पालन कर रहे हैं।पुलिस, प्रशासन,मेडिकल विभाग सब अच्छे से काम कर रहे हैं।स्थानीय विधायक राकेश जी पारीक भी अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिखाते हुए क्षेत्र की जनता की सुध ले रहे हैं।लेकिन मेरे गांव के लगभग एक हजार लोग शराब के नहीं मिलने से तंग आ चुके हैं।उनकी सब्र का बांध टूट चुका है।25 रुपये में मिलने वाला क्वार्टर 200 रुपये में बिक रहा है।घरों में शराब की भट्टियां चालू हो गई है।जिनके के पास 200 रुपये हैं वो 200 रुपये का क्वार्टर पी रहे हैं।सिस्टम को कोस रहे हैं।जिनके पास नहीं है वो नकली शराब खरीद रहे हैं।हालात बहुत विकट है कोई सुनने वाला नहीं है।सिस्टम में अपना ओहदा रखने वाले लोग भी परेशान हैं।कहें किसको,कौन है सुनने वाला।कोई नहीं है।आप इन हालातों को समझें और कुछ उचित निर्णय लेंगे तो ठीक रहेगा।मान्यवर जी आप सिस्टम को सुधारना चाहते हैं हम भी आपका समर्थन करते हैं लेकिन सिस्टम ऐसे थोपने से नहीं सुधरता उसके लिए होमवर्क करना पड़ता है।शराब बंदी लागू होने पर भी सरकार ऐसे लोगों को शराब मुहैया करवाती है जो एडिक्ट हैं।आपने तो बिना कानून पास किये ही,बिना होमवर्क किये ही शराब बंदी का फैसला जनता पर थोप दिया है।जो बिल्कुल गलत है,अव्यवहारिक है।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी ने जिस प्रकार रातोंरात बिना होमवर्क किये नोटबन्दी का निर्णय थोपा था।उसका खामियाजा आज भी देश भुगत रहा है।आपका भी ये निर्णय उसी प्रकार है।आप आबकारी विभाग से पूछो जो विभाग 20 मार्च तक मेरे गांव के 1500 लोगों को सुगमता से शराब उपलब्ध करवा रहा था।एकाएक बिना कारण के कैसे बन्द कर दोगे आप।आपको बन्द करनी थी तो कम से कम उन्हें वक्त तो देते।हो सकता है आधे लोग सत्संग में जाने लग जाते,हो सकता है कुछ लोग नशा मुक्ति का कोर्स ज्वाइन कर लेते।इन हालातों में तो ना तो नशा मुक्ति का कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं।ना सत्संग में जा सकते हैं।और फिर वो लोग कहां जाएंगे जिन्हें शराब बंदी की वैधानिक घोषणा के बाद भी शराब उपलब्ध करवाना सरकार की जिम्मेदारी है।आप गुजरात सरकार से पूछिए वहां की सरकार शराब बंदी के बावजूद भी लगभग दस प्रतिशत जनता को लाइसेंस के माध्यम से शराब उपलब्ध करवाती है और कम से कम बीस प्रतिशत दूसरी जनता ब्लेकियों के माध्यम से शराब खरीदती है।महोदय जी ये हालात सभी जगहों के हैं।मैं गारंटी से कह सकता हूं कम से कम 20 प्रतिशत अधिकारी व कर्मचारी भी शराब का सेवन करते हैं।सोसायटी के बड़े बड़े ब्यूरोक्रेट्स,पॉलिटिशियन लीडर्स सब लोग शराब पीते हैं।आप किस किस को रोकोगे।और फिर रोकना है।रामराज्य लाना है तो उसके लिए होमवर्क तो करना ही पड़ता है।लोगों को मोटिवेट तो करना ही पड़ता है।कोई भी व्यक्ति अपने परिवार को बदनाम नहीं करना चाहता।नशा सब छुपकर ही करते हैं।सब जानते हैं कि ये सामाजिक बुराई है इसलिए बोल नहीं पा रहे हैं।आपके साथ में रहने वाले अफसरों,मंत्रियों,विधायकों सबके पास ये अपडेट्स होंगे ही।लेकिन वो आपकी शर्म करते हैं।वो जानते हैं कि आप अपने सिद्धांतों के अनुसार सही कर रहे हैं लेकिन यहां जो हकीकत है उसको हम नकार नहीं सकते।सरकार तो व्यसनियों को भी लाइसेंस देती है।डोडा पोस्त,बांग ये सब नशे के आदि लोगों के लिए आप और आपकी सरकार ही तो ठेके छोड़ती है।आप ही की सरकार ने इस वर्ष का आबकारी विभाग का राजस्व लक्ष्य 12500 करोड़ रखा है।ये लक्ष्य मनमर्जी से थोड़ी तय होता है।इसके पीछे लॉजिक होता है।इसी लॉजिक के आधार पर मेरे गांव के ठेकेदार को एक साल में 1,31,89756 रुपये की देशी शराब बेचने का लक्ष्य दिया है।इसका मतलब वह प्रतिदिन कम से कम 1445 लोगों को देशी शराब बेचेगा।ये वो कोई जबर्दस्ती थोड़ी बेचेगा,होम डिलीवरी थोड़ी करेगा।आबकारी विभाग की पॉलिसी के अनुसार इस गांव में इतने लोग शराब पीने वाले हैं।और ये तो देशी का आंकड़ा है।अंग्रेजी पीने वालों का आंकड़ा अलग है।ये वो लोग हैं जो एडिक्ट नहीं है।ये आपकी बात को फॉलो करते हुए अभी रुके हुए हैं।जरूरत इन्हें भी है।लेकिन ये खुशी और गम में पीते हैं।ये थकान उतारने के लिए पीते हैं।इनके पास अभी दूसरी वैकल्पिक व्यवस्थाएं है।खुशी जैसा कुछ नहीं।गम करने से कुछ होगा नहीं।और थकान यदि है भी तो करे क्या? तो माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी इन बिंदुओं पर गौर फरमाएंगे तो अच्छा रहेगा।और फिर जब आप राजस्व संग्रह करने के लिए खनिज विभाग,छोटे उद्योग धंधों को छूट दे सकते हैं तो इसमें कौनसी अड़चन आ रही है।आज के अखबार को भी आप देखना।कम से कम मेरे जिले में ही चार पांच स्थानों पर अवैध शराब की वॉश, नकली शराब पकड़ी है।ये उपाय नहीं है इस समस्या का।उपाय ये है कि आप प्लानिंग करके सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी की पालना सुनिश्चित करवाते हुए दो तीन घण्टों के लिए दुकानें खोलने के आदेश देकर उन लोगों को राहत पहुँचवाएं सर। *पुलिस को तो आप आबकारी विभाग के जितने केस का लक्ष्य देंगे।बना देगी ये पुलिस तो।ये तो हर बात में यस सर बोलकर स्टार्ट हो जाएगी।* लेकिन ये सॉल्यूशन नहीं है।ये हालात पूरे राजस्थान के हैं।आप इन बिंदुओं पर विचार कीजिये।उचित लगे तो उचित निर्णय पारित कीजिये।नहीं लगे तो जय राम जी की।हम तो आपके साथ ही हैं।उसी तरह से।जैसे कि….
*जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे।*
*तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे*
✍️ *यही हालात रहे तो नकली शराब भी बन सकती है,जो यदि बाजार में बिकी तो हो सकते हैं गंभीर हादसे भी।सरकार को इस विषय में गंभीरता से सोचकर त्वरित निर्णय लेना चाहिए*
*मध्यप्रदेश की सरकार व देश के सबसे शिक्षित प्रदेश केरल की सरकार ने इस समस्या का समाधान निकाला है।आप चाहें तो हमारे प्रदेश के आबकारी विभाग के अधिकारियों को वहां की सरकार से जानकारी लेने के निर्देश दे सकते हैं।*

-डॉ. मनोज आहूजा एडवोकेट एवं पत्रकार,मोबाइल नम्बर 9413300227

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