गुरूजनों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रही सरकार: देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर 2 जून।
पूर्व शिक्षा मंत्री एवं विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा कि कोरोना महामारी की आड़ में नित नए तुगलकी आदेश निकाल गुरूजनों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का सिलसिला राजस्थान सरकार में रूकने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार की बदनामी होती देख एक आदेश निरस्त होता नहीं की दूसरा बेतुका आदेश पुनः शिक्षकों को थमा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को हमारे समाज में राष्ट्र निर्माता के रूप में विशेष सम्मान का दर्जा प्राप्त है जबकि राज्य सरकार द्वारा उनकी गरिमा को नजरअंदाज कर चाहे जिस काम काम के लिए उनकी ड्यूटी लगाई जा रही है जो कि निन्दनीय है। शिक्षा मंत्री एसे सभी बेतुके आदेशों को निरस्त कराते हुए इसके लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करे।
अजमेर उत्तर विधायक देवनानी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान विगत महीनों से शिक्षकों की ड्यूटी ऐसे कई कार्यों मे लगाई जा रही है जिसका शिक्षकों के मूल कार्यो से दूर-दूर तक का कोई संबंध नहीं है। धौलपुर जिले के राजाखेड़ा बीडीओ ने मनरेगा श्रमिकों पर निगरानी के काम के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। इटावा के उप खण्ड अधिकारी ने टिडियों को भगाने तो छोटी सादड़ी के उप खण्ड अधिकारी ने शिक्षकों की ड्यूटी बाढ़ व अतिवृष्टि नियंत्रण कक्ष में लगा दी। कोटा व अजमेर के जिला प्रशासन ने तो रेलवे स्टेशन पर यात्रिकों को विभिन्न राज्यों में ट्रेन से आगमन व भिजवाने की व्यवस्था में लगा दिया जिनमें रात को 2 बजे जाने वाली ट्रेन पर भी शिक्षकों को ही व्यवस्था सम्भालनी है।
इसी प्रकार करौली के जिला शिक्षा अधिकारी ने तो हद कर दी। उन्होंने क्वारंटीन सेंटरों में ठहरे श्रमिकों व नागरिकों के मनोरंजन करने की ड्यूटी तक शिक्षकों को सौंप दी। कहीं पर शादी समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराने की जिम्मैदारी शिक्षकों को सौंपी गई है तो पाली जिले में तो मृत्यु भोज में दोने-पतल गिनगर उनकी निगरानी के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति कर दी।
शिक्षकों के हितों व सम्मान की रक्षा नहीं कर पा रहे शिक्षा मंत्री –
देवनानी ने कहा कि शिक्षकों का मूल काम विद्यार्थियों को शिक्षा व संस्कार देकर उनके भविष्य को संवारने का है। राज्य कर्मचारी होने के नाते उन्हें आवश्यकता होने पर अन्य कार्य भी दिये जा सकते है परन्तु शिक्षकों की गरिमा के अनुरूप ही काम सौंपे जाने चाहिए जबकि राजस्थान सरकार इसका बिल्कुल उलटा कर रही है। सोशल मीडिया पर बबाल होता देख शिक्षा मंत्री द्वारा कुछ आदेश निरस्त भी किए गए है परन्तु शिक्षा विभाग के साथ ही जिला प्रशासन के स्तर पर भी शिक्षकों की ड्यूटी जिन अव्यवहारिक कामों के लिए लगाई जा रही है वे भी निरस्त किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री शिक्षकों के सम्मान व हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे है। शिक्षकों द्वारा पहले से ही बीएलओ, खाद्य सुरक्षा सर्वे, स्वास्थ्य सर्वे जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे है एसे में उन्हें मनरेगा, टिड्डीयों पर निगरानी, रेल यात्रियों की व्यवस्था, शादी समारोह, मृत्युभोज, बाढ नियंत्रण कक्ष जैसी ड्यूटी पर लगाना न्यायोचित नहीं हैं
कर्मचारी अन्य भी है-
देवनानी ने कहा कोरोना महामारी से सबकों मिलकर लड़ना है। प्रदेश में शिक्षकों के अलावा सरकार के अन्य विभागों में भी राज्य कर्मचारी कार्यरत है। शिक्षक लगभग दो माह से सर्वे, क्वांरटीन निगरानी, बीएलओ जैसे कार्यो पर ड्यूटी दे रहे है उसके बाद भी उन्हें ही हर काम सौंप दिया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री इस मामले में सरकार से बात कर शिक्षकों की ऐसी ड्यूटियां केंसिल करवाकर उन्हें राहत दिलावे।

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