महाराजा दाहरसेन युद्ध भूमि में राष्ट्र रक्षा के लिये स्वयं सहित परिवार का बलिदान

अजमेर 16 जून- सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन का बलिदान 16 जून 712 में हुआ प्रतिवर्ष महाराजा दाहरसेन का बलिदान वर्ष समारोह समिति द्वारा मनाया गया है। इस वर्ष 1308वें बलिदान दिवस के उपलक्ष में प्रातः काल के समय पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत की उपस्थिति में हिंगलाज माता पूजन व महाराजा दाहरसेन को श्रृद्धासुमन अर्पित किये गये।
लखावत ने कहा कि भारत के पश्चिमी प्राचीर रक्षक सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन सिंध धर्मवीर, दानवीर युद्धवीर महाराजा थे। सिंधु संस्कृति का विकास में महती भूमिका का निर्वहन करने वाला हिन्दू कुल रक्षक का रूप में ख्याति जन-जन के मन में समाई हुई है। महाराजा दाहरसेन युद्ध भूमि में राष्ट्र रक्षा के लिये स्वयं सहित परिवार का बलिदान दिया। जिसे इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
महापौर धर्मेन्द्र गहलोत महाराजा दाहरसेन के बलीदान के पीछे मोहम्मद बिन कासिम द्वारा किया गया छल कपट रहा। आज के अवसर पर हम प्रेरणा ले कि अपनी संस्कृति की रक्षा के लिये प्रण लें और अपने अपने परिवार में परिवार प्रबोधन से संस्कृति को बचायें।
उप महापौर सम्पत सांखला ऐसे वीर महापुरूषों को याद करना हमारे लिये सच्चे भारतीय होने पर गर्व है हमें उनसे प्रेरणा लेकर राष्ट्र की सेवा करनी है। महारानी लाडी बाई का जोहर व सूर्यकुमारी व परमाल का बलिदान इतिहास में सदैव याद किया जायेगा।
भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि बलिदान दिवस पर देश भर में अलग-अलग ईकाईयों द्वारा देशभक्ति आधारित कार्यक्रम कर श्रृद्धासुमन अर्पित किये गया और हम हिंगलाज माता व जगद्गुरू श्रीचन्द्र भगवान के चरणों में प्रार्थना करते है कि देश दुनिया से कोरानावायरस कष्ट से मुक्ति हो और सभी स्वस्थ व प्रसन्न हो।
समारोह समिति के कवंल प्रकाश ने कहा कि 15 दिन से अलग अलग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें चित्र बनाओ प्रतियोगिता, निबंध आलेख प्रतियोगिता के साथ महाराजा दाहरसेन के जीवन पर आधारित प्रश्नोतरी की प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिनका आने वाले समय में विजेताओं को कार्यक्रम आयोजित कर सम्मान किया जायेगा।
समन्वयक मोहन तुलस्यिाणी ने बताया कि लाॅकडाउन व धारा 144 की वजह से बडा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया अलग संगठनों व संस्थाओं द्वारा दिन भर पुष्प्प अर्पित कर महाराजा दाहरसेन व उनके परिवार को श्रृद्धासुमन अर्पित की गई। पूजा अर्चना ताराचन्द राजपुरोहित ने करवाई। प्रतिवर्ष महाराजा दाहरसेन समारोह समिति के अलावा अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पर्यटन विभाग सहित सिन्धु शोधपीठ, मदस विश्वविद्यालय व भारतीय सिन्धु सभा का सहयोग रहता है।

समन्वयक,
मो 9413135031

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