देवनानी ने कहा कि कांग्रेसियों को पुतला तो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जलाना चाहिए था जिनकी कमजोर विदेश नीतियों के कारण 1962 में चीन ने भारत की भूमि पर कब्जा कर लिया था जिसे वापिस लेने के लिए नेहरू ने कभी कोई प्रयास तक नहीं किये। नेहरू की विदेश नीति का खामियाजा तो भारत को आज तक भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बरसों तक केन्द्र में शासन किया लेकिन चीन से मुकाबला करने की कोई तैयारी नहीं कि जबकि मोदी जी ने वहंा पर सड़के व हेलीपेड तक बनवा दिये जिसके कारण चीन की नींद उडी हुई है। देवनानी ने कहा कि कंाग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टीयों के गठबंधन का ही असर है कि कांग्रेस आज ऐसी भाषा बोल रही हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों की आदत हो गई है मोदी जी का विरोध करने की। फिर चाहे उनके द्वारा राष्ट्रहित में लिया गया कोई फैसला हो या कोई जनहित का कार्य कांग्रेसी तो विरोध करेंगे ही करेंगे। उन्हें कम से कम दुश्मन देशों से संघर्ष के समय तो मोदी जी का विरोध व कम्युनिस्ट प्रेम छोड़ राष्ट्रहित में एकजुटता दिखानी चाहिए। जब देशवासियांें को एकजुटता दिखाने का तथा हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने का वक्त है तब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री मोदी का पुतला जलाने का कदम उठाने से पहले नेहरू का टाईम याद करना चाहिए था ताकि उनके समझ में आ जाता कि पुतला किसका जलाना चाहिए।