आधुनिक भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी नई शिक्षा नीति

आधुनिक भारत के लिए शिक्षा में नवाचार आवश्यक थे। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के क्षेत्र में कई मूलभूत परिवर्तन किए गए है जो आवश्यक थे जैसे कक्षा 6 से व्यावसायिक परीक्षण देना । साथ साथ 10+2 फार्मेट को भी पूरी तरह खत्म कर दिया गया है अब इसे बाटकर 5+3+3+4 फॉरमेट में ढाला गया है । इसका मतलब है की अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 व कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे । अगले तीन साल 3 से 5
चरण में विभाजित किया गया है ।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण कदम है 11 से 12 वाणिज्य , विज्ञान , कला संकाय की कठोर पलना नही होगी । स्कूली शिक्षा के साथ साथ उच्च शिक्षा में किए गए परिवर्तन भी सराहनीय है जैसे स्नातक को 3 की बजाय 4 वर्ष का किया गया है।नई शिक्षा नीति में शिक्षा को रोजगार मुखी बनाने का प्रयास किया है। इस बात को मानने में कोई संकोच नही होना चाहिए विकसित देश पूर्व में ही अपनी शिक्षा में किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्व तकनीकी ज्ञान को दिया जिससे वहा के युवाओं को ज्यादा रोजगार के अवसर प्राप्त होते है । भारत को युवाओं का देश कहा जाता है यदि यहा भी स्कूली शिक्षा से ही तकनीकी परीक्षण प्राप्त होगा तो उस क्षेत्र में उनके कौशल का विकास होगा । आदरणीय प्रधानमंत्री जी के देश की 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के सपने में भी अहम भूमिका होगी नई शिक्षा नीति की । इस फैसले के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रशंसा के काबिल है की वह शिक्षा वह शिक्षा को रोजगार मुखी बनाने का प्रयास कर रहे है।
पीयूष पारीक

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