अजमेर का जवाहर लाल नेहरू अस्पताल का असली नाम है अस्वस्थ अस्पताल – कीर्ति पाठक

कीर्ति पाठक
आम आदमी पार्टी द्वारा अजमेर संभाग के सब से बड़े अस्पताल में कुप्रबंधन को ले कर एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गयी |
आम आदमी पार्टी महिला शक्ति प्रदेश अध्यक्ष कीर्ति पाठक ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए उसे कोरोना महामारी में असंवेदनशील , अव्यवस्थित व् अव्यवहारिक ठहराया |
उन का सवाल था – मीडिया के एक बंधु अतुल सिंह बाघ के पिता की शार्ट सर्किट के कारण हुई मृत्यु , कल ही गोटा कॉलोनी निवासी नीरज सिंह के पिता की ऑक्सीजन के अभाव में हुई मृत्यु क्या इंगित कर रही है ? क्या ये सरकार की विफलता नहीं है ?
उन्होंने ब्यावर से आयी एक महिला पेशेंट का हवाला देते हुए बताया कि तेजकँवर नाम की महिला को कल शाम साढ़े पांच से साढ़े पांच बजे के बीच ब्यावर से अजमेर रेफर किया गया , पेशेंट कोविड सस्पेक्ट थी और ब्लड saturation 30 प्रतिशत था पर संभाग के सब से बड़े अस्पताल में कोई भी वेंटीलेटर नहीं था | उन का आरोप था कि एक दिन पहले हुए शार्ट सर्किट हादसे जिस में कई वेंटिलेटर्स ख़ाक हो गए और धुंए के कारण एक पेशेंट की मौत तक हो गयी उस के बाद अस्पताल प्रशासन पूरे चौबीस घंटे से ज़्यादा के समय में भी और वेंटिलेटर्स की व्यवस्था नहीं कर पाया | उन्होंने सीधे प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस महामारी में भी प्रदेश सरकार द्वारा अस्पताल प्रशासन को सीधे खरीद का हक़ नहीं दिया गया है जिस से वे सामान्य जनता के हित में तुरंत उपकरणों की खरीद कर आम जनता को राहत पहुंचा सकें , वे सरकार से स्वीकृति के पश्चात निविदा के पचड़े में पड़ कर समय नष्ट कर आम जनता के जीवन के साथ समझौता करने को मजबूर हैं |
ब्यावर के अस्पताल में वेंटीलेटर धूल फांक रहे हैं और वहीँ के पेशेंट अजमेर रेफेर होकर आने पर वेंटीलेटर के अभाव में मर रहे हैं |
उन्होंने अजमेर के सीएमएचओ डॉ के के सोनी , डॉ गोखरू , डॉ गहलोत आदि का उदहारण देते हुए बताया कि जब भी अजमेर का कोई अमीर व्यक्ति अथवा वीआईपी कोविड पॉजिटिव होता है तो वो अपना इलाज करवाने जयपुर क्यों भागता है ? क्यूंकि उसे अपने ही अस्पताल की सेवाओं पर भरोसा नहीं है |
प्रदेश सरकार व् स्थानीय अस्पताल प्रशासन पर जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं |
अंजू नाम की महिला ने आज प्रेस के सामने रूबरू हो कर अपनी व्यथा सुनाई
अंजू का आरोप था कि अस्पताल कुप्रबंधन के कारण उन के पति ने अपनी जान गंवाई |
उन्होंने ने अस्पताल की सच्चाई सामने लाते हुए बताया कि उन के पति के बीमार पड़ने पर भी वेंटीलेटर नहीं मिला , ऑक्सीजन देने के लिए ( nasal cannula set ) ट्यूब सेट भी उन को स्वयं को खरीदने के लिए बोला गया – तीन हज़ार माह कमाने वाली महिला ने इक्कीस सौ रूपये का ट्यूब सेट खरीद कर अस्पताल को देना पड़ा फिर उन के पति का इलाज शुरू किया गया |
उन का प्रश्न था – सरकार द्वारा कोरोना महामारी में अब तक सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह में कटौती की जा रही है , विभिन्न सूत्रों से दान लिए जा रहे हैं , विभिन्न संगठन व् एनजीओ द्वारा मदद ली जा रही है , केंद्र सरकार द्वारा मदद दी जा रही है – आखिर वो सारा पैसा यदि जनता के लिए अस्पताल व्यवस्थाओं में काम नहीं आ रहा तो कहाँ जा रहा है ?

साथ ही अभी की घटनाओं पर आम आदमी पार्टी की और से कुछ सवाल उठाये गए –
* अस्पताल अधीक्षक ने AAP प्रतिनिधिमंडल से ये झूठ क्यों बोला कि शार्ट सर्किट के कारण किसी भी पेशेंट की जान नहीं गयी है – इस का ये अर्थ हुआ कि वे इस कोताही में शामिल है
* अस्पताल में बिछी वायरिंग व् बिजली उपकरणों की मेंटेनेंस के लिए 2017 के बाद बजट क्यों नहीं जारी किया गया ?
* जब इतने लम्बे टाइम से मेंटेनेंस के लिए बजट जारी नहीं हुआ तो क्या सार्वजनिक निर्माण विभाग ने जन हित में इस की शिकायत अपने आला अफसरों को की और क्या उन्होंने जिला कलेक्टर के माध्यम से तत्कालीन प्रदेश सरकार को सूचित किया ? यदि हाँ तो सार्वजनिक विभाग इस का प्रूफ दे और न करने की स्थिति में विभाग के अधिकारियों को इस घटना का समान रूप से दोषी माना जाये |
कीर्ति पाठक ने दो दिन पहले के शार्ट सर्किट हादसे के लिए बीजेपी को भी दोषी ठहराया और कहा कि उन्हीं की तत्कालीन सरकार के समय में ही रखरखाव हेतु बजट रिलीज़ नहीं हुआ था इसी लिए उन के वर्तमान विधायक मुंह में दही जमा कर बैठे हैं |
आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की सरकार से निम्न जांच कमीशन बनाने की मांग की –
* समूचे कोविड काल में हुए हादसों की जांच हेतु एक जांच समिति बनायी जाए जिस में अस्पताल प्रबंधन का कोई भी व्यक्ति न हो और न ही वर्तमान में सरकार में सेवारत तकनीकी जानकार इस के सदस्य हों |
जांच समिति में अजमेर के प्रबुद्ध नागरिक हों , सेवानिवृत तकनीकी जानकार हों , सेवानिवृत अथवा प्राइवेट डॉक्टर्स हों , प्रमुख स्थानीय मीडिया हाउस के प्रतिनिधि हों , विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि हों साथ ही एनजीओ के प्रतिनिधि भी हों , जब सरकार कोविड काल में इन्हें लोगों की आवश्यकता पूर्ति हेतु सक्षम मानती है तो इन को नागरिक हिताय जांच करने है हक़ भी दिया जाये |
उन्होंने राज्य सरकार को इस जांच समिति के गठन हेतु दस दिन का समय दिया है और चेतावनी दी है कि यदि समिति गठित नहीं की जाती है तो आम आदमी पार्टी आंदोलन करने को बाध्य होगी और इस आंदोलन की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी |

कीर्ति पाठक
प्रदेश अध्यक्ष
आम आदमी पार्टी
महिला शक्ति
राजस्थान

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