73 वां वार्षिक वर्चुअल निरंकारी संत समागम 5 दिसम्बर से

केकड़ी 19 नवंबर(पवन राठी) सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से इस वर्ष का 73 वां वार्षिक निरंकारी संत समागम वर्चुअल रूप में 5- 6 – 7 दिसंबर 2020 को आयोजित किया जाएगा।
केकडी ब्रांच मुखी अशोक रंगवानी ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के संक्रमण को लेकर भारत सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यह संत समागम वर्चुअल रूप में आयोजित किया जाएगा। जिसे विश्व भर के लाखों श्रद्धालु घर बैठे ऑनलाइन माध्यम द्वारा देख सकेंगे।
निरंकारी मिशन के इतिहास में ऐसा प्रथम बार होने जा रहा है कि वार्षिक निरंकारी संत समागम वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है।
इस सूचना से समस्त साध संगत में हर्ष व उल्लास का वातावरण है।
संपूर्ण समागम का वर्चुअल प्रसारण मिशन की वेबसाइट पर दिनांक 5 से 7 दिसंबर 2020 को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त यह समागम संस्कार टीवी चैनल पर तीनों दिन सांय 5:30 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक प्रसारित किया जाएगा।
भारत विभाजन के उपरांत पहाड़गंज दिल्ली में आकर बाबा अवतार सिंह जी ने 1949 में संत निरंकारी मंडल की स्थापना की सन 1949 में ही मिशन का प्रथम निरंकारी सन्त समागम हुआ। जिस निर्गुण भक्ति का पौधा 91 वर्ष पूर्व बाबा बूटा सिंह जी ने लगाया और जिसे सब्र संतोष गुरमत के पानी से बाबा अवतार सिंह जी ने सींचा, सहनशीलता और नम्रता का पोषण देखकर बाबा गुरबचन सिंह जी ने जिसे बढ़ाया, प्रेम भाईचारे से ओतप्रोत छायादार वृक्ष के रूप में जिसे बाबा हरदेव सिंह जी ने बनाया,ऐसे बाग को पुनः सजाने और सवांरने की जिम्मेदारी सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी के कंधों पर रही उन्होंने इसे बखूबी निभाया। वर्तमान में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज उसी ऊर्जा और तन्मयता के रूप में इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
इस वर्ष निरंकारी संत समागम का मुख्य विषय स्थिरता है सन्त निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से विश्व में सत्य,प्रेम,एकत्व का संदेश दे रहा है जिस प्रकार प्रभु परमात्मा स्थिर है और संसार में अन्य सभी कुछ गतिशील अस्थिर व परिवर्तनशील है, तो जो स्थिर है उसके साथ जुड़कर स्थिरता प्राप्त की जा सकती है आजकल के आधुनिक परिवेश में जहां संसार गतिमान होने के साथ-साथ कहीं ना कहीं अस्थिर होता जा रहा है मानव मन को आध्यात्मिक रुप से स्थिर होने की परम आवश्यकता है।सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने जीवन में स्थिरता को समझाते हुए बताया कि जिस वृक्ष की जड़ें मजबूत होती है वह हमेशा स्थिर रहता है तेज हवाएं और आंधियां चाहे कितनी भी हो पर अगर वृक्ष का मूल रूप से जड़ों से जुड़ाव रहता है तो उसकी स्थिरता बनी रहती है।इसी प्रकार जिस मनुष्य ने ब्रहमज्ञान प्राप्त करके अपना नाता इस मूल रूप निरंकार से सदैव जोड़े रखा है उसके जीवन में जैसी भी परिस्थितियां हो वह निरंकार प्रभु का सहारा लेकर स्थिरता को प्राप्त कर लेता है।
संत निरंकारी मिशन सदैव ही समाज सेवा के लिए अग्रणी रहा है इसके लिए वह सदैव ही प्रशंसा का पात्र भी रहा है। मिशन की सभी सामाजिक गतिविधियों को नियमित रूप से निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के अंतर्गत जनकल्याण के लिए चलाया जा रहा है जिनमें स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण,रक्तदान इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा जैसे भूस्खलन,बाढ़,सुनामी आदि पीड़ितों की सहायता के लिए मिशन द्वारा भरपूर योगदान दिया जा रहा है।
वैश्विक आपदा कोविड-19 के दौरान संत निरंकारी मिशन द्वारा सरकार के दिए गए दिशा निर्देशानुसार सोशल डिस्टेंसिंग (दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी) को निभाते हुए जनकल्याण की भलाई के लिए अनेक कार्य किए गए जिसमें ब्लड डोनेशन कैंप, राशन वितरण सेवा , निरंकारी सत्संग भवनों को क्वारंटाइन सेंटर के रूप में प्रदान किया गया प्रवासी शरणार्थियों के लिए शेल्टर होम में रहने की तथा उनके जलपान की भी उचित व्यवस्था की गई इसके अतिरिक्त मास्क एवं सेनेटाइजर का कार्यालयों में जाकर किया गया , यह सेवा निरंतर जारी है देश-विदेश के निरंकारी सदस्यों को इस वर्ष समागम का बेसब्री से इंतजार है और इस परिस्थिति को भी निरंकार प्रभु परमात्मा का हुक्म मानते हुए हर्षोल्लास के साथ स्वीकार कर रहे हैं।

error: Content is protected !!