गुरूवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि प्रदेशभर में कोरोना मरीजों की जान बचाने और आॅक्सीजन की कमी दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर आॅक्सीजन कंसेंटेªटर और अन्य चिकित्सा उपकरण खरीदे गए। इसके लिए अनेक विधायकों ने विधायक स्थानीय क्षेत्र निधि कोष से लाखों रूपए दिए हैं। आॅक्सीजन कंसेंटेªटर को लेकर अजमेर के तीन-चार विधायकों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कंसेंटेªटर महंगे और कम गुणवत्ता वाले खरीदे गए। इन हालात को देखते हुए इस बात को बल मिलता है कि कंसेंटेªटर और उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर घोटाला और कमीशनखोरी हुई है और मापदंडों से समझौता किया गया है।
अधिकारियों ने किया गुणवत्ता से समझौता
उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में चिकित्सा विभाग का एक भी अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि जो आॅक्सीजन कंसेंटेªटर व अन्य उपकरण खरीदे गए हैं, उनका गुणवत्ता क्या है, बाजार में मूल्य कितना है और कंपनी से महंगी कीमत पर क्यों खरीदे गए, इनके मापदंड क्या हैं। उन्होंने कहा, विधायकों द्वारा उठाई गई आपत्ति से यह जाहिर हो जाता है कि अधिकारियों ने मापदंडों और गुणवत्ता से समझौता करने के साथ महंगे उपकरण खरीदे हैं। यदि कोरोनाकाल में अब तक हुई खरीद की आॅडिट कराई जाती है, तो भ्रष्टाचार, हेराफेरी और कमीशनखोरी का सच सामने आ जाएगा।
आॅडिट से हो जाएगा खुलासा
देवनानी ने कहा कि विपदा और तत्काल जरूरत की आड़ में ऐसे उपकरण भी खरीद लिए गए हैं, जो जनोपयोगी नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिन उपकरणों की अभी जरूरत ही नहीं थी, तो फिर उनको खरीदने का औचित्य क्या रहा। उन्होंने कहा कि सरकार ने कितने आॅक्सीजन कंसेंटेªटर व अन्य उपकरण खरीदने की मंजूरी दी, इनके लिए कितना बजट दिया, जिसमें से कितना खर्च हुआ और कितना बाकी है, खरीदे गए उपकरण ज्यादा कीमत पर क्यों खरीदे गए, जबकि वही उपकरण बाजार में सस्ते उपलब्ध थे, कंसेंटेªटर और उपकरण किस मापदंड के हैं, कितने कामयाब हैं और कितने दिन चल सकते हैं, आदि बिंदुओं के आधार पर आॅडिट कराई जानी चाहिए। आॅडिट होने से करोड़ों रूपए के हेरफेर का खुलासा हो सकता है। इसके बाद निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराकर भ्रष्टाचार, हेराफेरी और कमीशनखोरी में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।