समय का सदुपयोग

Dinesh Garg
देखा गया है कि आम जीवन में हम संभी को अधिकांश चिंताए उसी समय होती है जब हम खाली होते है यही वह क्षण होते हैं जब हम व्यर्थ की कल्पनाअंों और अज्ञात भविष्य के बारे में सोचकर डर जाते है। अधिकांश बीमारियों की जड़ में समय के सदुपयोग ना करने से उपजी अशांति, क्रोध ही होता है। ऐसे में अपने आपको हमेशा व्यस्त रखकर अपने जीवन को खुशमय बनाया जा सकता है। प्रकृति का यह नियम है कि प्रकृति में क भी रिक्तता नहीं रहती इसी नियम के तहत मस्तिष्क भी जब भी खाली होने लगेगा उसमे अनायास ही विचारों का समुद्र उठने लगेगा। यह अपने ऊपर निर्भर करता है कि विचारों का यह तूफान सकारात्मक हो कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति रखता है या फिर यह विध्वंसक रूप ले लेता है। विनाश आने के पूर्व हमें केवल अपने विचारों को श्रेष्ठï दिशा निर्देश देना होगा, साथ ही प्रयास करना होगा कि दिमाग किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रहे। व्यस्तता चाहे रूचि की हो या फिर सामाजिक या फिर पारिवारिक मेल मिलाप की हमेशा अपने आपको किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखने से ही जीवन संवर सकता है। हममे से अधिंकाश यह सोचते है कि करने को कुछ नहीं है लेकिन मेरा मानना है कि प्रत्यके के भीतर प्रकृति ने विलक्षण प्रतिभा प्रदान की है, आवश्यकता है तो उसे बाहर निकालने की तो क्यूं नहीं अपनी रूचि के कार्य ही प्रारंभ कर ले। रूचि के कार्य करने से अर्थ कम मिले लेकिन आपका विश्वास आपको जीने की नई राह देगा। शायद यह भी हो सकता है आपके किए गए प्रयास से अनेक को भी अपनी जिदंगी की राह मिल जाएं। कार्य कोई छोटा या बड़ा नहीं होता उसे किस लग्र से किया है यह ज्यादा महत्व रखता है। मैं अपने आस पास कई महिलाओं व युवा साथियों को देखता हूं तो पाता हूं कि वे गृहस्थी व आजीविका का कार्य संभालने के साथ साथ वे सभी अपनी स्वरूचि के कार्यो को कर समाज को नई दिशा दे रहे है और आज उनक आत्मविश्वास को देखकर उनकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि वे सभी अपने आपको व्यस्त नहीं रखते तो उनकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता।
जिंदगी में आपके साथ भी ऐसे अवसर रोज आएंगे जब आपने अनिष्टï की सोचा होगा लेकिन वास्तविक जीवन में वह घटित ही नहीं होती। आज एक प्रयोग करते हैं कि हम अपनी सारी परेशानियों को एक कागज पर लिखें तो पाएंगे उसमें से नब्बे प्रतिशत तो हमारे जीवन मे घटित ही नहीं हुई लेकिन हम उसकी सोच से डरे है। इस डर ने ना जाने हमने कितने जीवन के वर्षो को डस लिया है। बाकी बची दस प्रतिशत परेशानियों में से नौ को हमने घबराहट के मारे सामना नहीं किया और वे छोटी समस्यायें हमारे लिए विकराल रूप बन गई। शेष एक प्रतिशत समस्यायें ही वास्तविक हुई। हमने उस एक प्रतिशत क ा सामना करने के लिए अपनी सोच का अधिकांश प्रतिशत सकारात्मक ऊर्जा को समय पूर्व ही समाप्त कर दिया। यदि हम अपने मनोमस्तिष्क को किसी भी सकारात्मक रूचि से जोड़े रखेंगे तो वह पल हमारे लिए खुशियां तो लेकर आएगा ही साथ ही उसके परिणामों से हमे संतुष्टिï भी मिलेगी और मान सम्मान भी। इससे पहले की समय का सूर्य अस्त हो जाएं क्यों नहीं हम अपने आपको क्रियाशील बनाने के लिए तैयार कर ले। खुशियां आपके द्धार पर है केवल हमेशा अपने आपको सृजनात्मक क्रियाओं में व्यस्त व प्रसन्न रखना है।

DINESH K.GARG ( POSITIVITY ENVOYER)
dineshkgarg.blogspot.com

error: Content is protected !!