संस्कारों अपने मूल्यों व राष्ट्रीय धरोहर के साथ जोड़ने का अनूठा प्रयत्न कर रही है संस्था

अजमेर 31 अगस्त। राष्ट्रीय कवि संगम अजमेर जिले की श्रीराम काव्यपाठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता के उन्नीसवें दिवस पर 30 प्रतिभागियों ने भाग लेकर भगवान राम पर आधारित कविताओं का वाचन किया।
माहेश्वरी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. आर.के. श्रीवास्तव ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम द्वारा संस्कारों अपने मूल्यों व राष्ट्रीय धरोहर के साथ जोड़ने का अनूठा प्रयत्न इस संस्था द्वारा किया जा रहा है, कविताओं को पढ़कर उसका दो प्रतिशत भी जीवन में उतार ले तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। डॉ. श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों को आशीर्वाद एवं शुभकामनाऐं दी। संस्था के उपाध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि प्रतियोगिता में सर्वप्रथम शक्ति सिंह ने किशरो तिवारी की रचना ‘‘राम रमापति के चरणों मे, कल्याण सभी का होता है’’, विश्वंभर दयाल बुनकर ने लोकेश इंदौरा की रचना ‘‘राम मंदिर का सपना हुआ साकार’’, भवदेव ने बृजलाल कर्मठ की रचना ‘‘भाई थे यहां कैसे, श्रीराम भरत जैसे’’, कु. अंजली भोगावत ने कन्हैयालाल मधुकर की रचना ‘‘पीले प्यारे राम नाम रस’’, कु. किरण माली ने अमर अक्षर की रचना ‘‘जो है इस कथा के प्राण, उनके प्राण है जानकी’’, रविन्द्र कुमार जैन ने कन्हैयालाल मधुकर की रचना ‘‘सुंदर श्यामल रूप सुहाना’’, मुकेश परिहार ने कन्हैयालाल मधुकर की रचना ‘‘रूप अनुप है, राघव जी का’’, विमला परिहार ने देवदत्त शर्मा की रचना ‘‘राम लखन सीता को केवट ने गंगा पार कराई’’, सुमन शेखावत ने आचार्य देवेन्द्र की रचना ‘क्यो ना लगाए खुलकर हम नारा श्रीराम का‘’,’ अनिता पारीक ने अमर अक्षर की रचना ‘‘सारा जग है प्रेरणा’’, हेमलता टेपन ने कमलेश शर्मा की रचना ‘‘राम स्मिता के प्रतीक है’,’ विशाल मेहरा ने अभय की रचना ‘‘राम संकल संसार है’’, डॉ. विनय सिंह ने लोकेश इंदौरा की रचना ‘‘जो वनवासी विजय राम है’’, भरत गोयल एवं अक्षत जैमन ने पं. नरेन्द्र शर्मा की रचना ‘‘राम का गुणगान कीजिए’’, अर्चना गोयल ने देवदत्त शर्मा की रचना ‘‘राम धरा पर फिर आओ’’, नीलम मिश्रा ने अमर अक्षर की रचना ‘‘राम राज्य आ गया तो, राम ही चले गए’’, कु. पूजा कंवर ने ‘‘कथा एक सन्यासी की’’, वीना महलोत्रा ने रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘‘दुष्ट कोरवों ने समझा, कायर तुमक को’’, रित्वी शर्मा ने सूर्यकांत निराला की रचना ‘‘राम की शक्ति पूजा’’, आराध्या शर्मा ने हरिओम पंवार की रचना ‘‘राम दया है क्रोध नहीं’’, कृति शर्मा ने सविता पाटिल की रचना ‘‘क्या वो श्रीराम मुझे मिल पाऐगें’’, दीक्षा मंगलानी ने डॉ. समीर शुक्ल की रचना ‘‘जो राम का नही, वो किसी काम का नहीं’’, जंयति पांडे ने लोकेश इंदौरा की रचना ‘‘नर-नारी का सम्मान है, हिन्दुत्व की पहचान है’’, काश्वी विजय ने हरि ओम पंवार की रचना ‘‘राम मिलेगे पंचवटी की छाया में’’, सौम्या शारदा ने लोकेश इंदौरा की रचना ‘‘राम भक्ति की धार है’’, इशिका ने ‘‘राम मिलेगें अंगद वाले पांव में’’, याशिका साहू ने ‘‘पुरूषोतम श्री राम है वो राम है’’,सुनीता शर्मा ने सत्या मिश्रा की रचना ‘‘भारत भूमि के कण-कण में है राम’’, पायल गुप्ता ने लोकेश इंदौरा की रचना ‘‘राम जीवन का आधार है’’, पवन कुमार जोशी स्वयं की रचना ‘‘यूं तो पत्थर की नगरी से हूं, पर दिल केवट का रखता हूँ’’ जैसी कविताओं की शानदार प्रस्तुति पूरे वातावरण को राममय कर दिया।
प्रतियोगिता का संचालन करते हुए महामंत्री नरेन्द्र कुमार भारद्वाज ने सभी निर्णायकगणों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। प्रतियोगिता का प्रसारण यू-ट्यूब व फेसबुक के ऑन लाईन पॉर्टल पर किया गया। प्रतियोगिता के निर्णायक साहित्यकार डॉ. विनिता आंशित जैन एवं डॉ. पूनम पांडे थे, निर्णायकों ने भी प्रस्तुतियां दी।
प्रतियोगिता के अंत में कंवल प्रकाश किशनानी ने सभी प्रतिभागियों व निर्णायको का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि प्रतियोगिता जिला, प्रांत व राष्ट्रीय स्तर पर चरणबद्ध प्रतियोगिता में विजेताओं को नकद पुरस्कार दिये जाऐगें व सभी प्रतिभागियों को ऑन लाईन प्रमाण पत्र देने की भी संस्था द्वारा प्रावधान किया गया है।

कंवल प्रकाश किशनानी
मो. 9829070059

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